मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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श्री कृष्ण और स्वाधीन भारत :
ज्योतिषीय समरूपता
विजय राजबली माथुर
क्रांति स्वर पर विजय राज बली माथुर
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गीतिका
"आजादी की वर्षगाँठ"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चौमासे में श्याम घटा जब आसमान पर छाती है।
आजादी के उत्सव की वो मुझको याद दिलाती है।।
देख फुहारों को उगते हैं, मेरे अन्तस में अक्षर,
इनसे ही कुछ शब्द बनाकर तुकबन्दी हो जाती है...
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* भारत माँ का आर्तनाद *
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इकहत्तरवां स्वाधीनता-दिवस
अंग्रेज़ी हुक़ूमत के ग़ुलाम थे हम 15 अगस्त 1947 से पूर्व अपनी नागरिकता ब्रिटिश-इंडियन लिखते थे आज़ादी से पूर्व। ऋषि-मुनियों का दिया परिष्कृत ज्ञान शोध / तपस्या से विकसित विज्ञान राम-कृष्ण का जीवन दर्शन नियत-नीति-न्याय में विदुर-चाणक्य का आकर्षण बुद्ध-महावीर के अमर उपदेश करुणा और अहिंसा के संदेश जन-जन तक न पहुँचा सके हम सूत्र एकता का अटूट न बना सके हम...
कविता मंच पर
Ravindra Singh Yadav
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शुभकामनायें ..........
हम एक अभिसप्त समय के मूक दर्शक बनते जा रहे है। बहुत सारे सवाल जब शूल की भांति मन के हर नस में अपनी पीड़ा उड़ेलना चाहता है, हम दार्शनिकता का भाव भर विचार शृंखला से टकराना छोड़ कही कोने में दुबकने ज्यादा आकर्षित होने लगते है । किंतु दम तो हर कोने में घुट रहा है, अंतर इतना ही है कि उस विषैली फुफकार जो लीलने के लिए तैयार बैठा है, कब उसके साँसों में घुल कर स्वयं को विषाक्त करता जा रहा है, इस क्षमता को पड़खने की मष्तिष्क की तंतू कब की विकलांग हो गई है, शायद हम में से बहुतो को आभास भी नहीं हो पा रहा है...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal
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स्वतंत्रता सेनानी श्री गोपीकृष्ण जोशी :
दिनेश पारे
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तिरंगे में पुते चेहरे दिखने लगे हैं
तिरंगे फिजा में लहरने लगे हैं
ये कुछ पल का नज़ारा है
मानो न मानो फिर तो
बस शाम को बुहरने लगे हैं...
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श्याम सवैया छंद---
निज हाथ में प्यारा तिरंगा उठाए--
डा श्याम गुप्त....
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भूख का जिम्मेदार कौन
दिव्यांग माँ बेटे ने आत्महत्या भूख से करली सीधे इसकेलिए भी सरकार दोषी कि योगी उसके घर क्यों नहीं देख कर ए कि वह भूख से मर रहा है जानना चाहूंगी माँ दिव्यांग थी क्या बीटा भी दिव्यांग था अगर थे तो दिव्यांग योजना मैं क्यों नहीं नाम लिखवाया वैसे मुझे मालूम है अगर योजना मैं नाम लिखा भी लेते तो बिना पहुँच या बिना पैसे दिए वो दिव्यांग योजना का लाभ नहीं उठा सकता था हमारे यहाँ अफसर बिना खये तो रह नहीं सकते चाहे बदन पर चीथड़े होंगे उससे भी कहेंगे जा चीथड़े को बेच दे पर तेरे को सांस भी तब ही लेने दूंगा
जब म्रत्यु सर्टिफिकेट देने मैं भी पैसे मांग लेते हैं
जब म्रत्यु सर्टिफिकेट देने मैं भी पैसे मांग लेते हैं
उनकी आत्मा को क्या कहेंगे वैसे लोग ...
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"स्वतंत्रता दिवस"
एवं "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी" की
हार्दिक शुभकामनाएँ
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----- || दोहा-एकादश || -----
भगवन पाहि पहुँचावै दरसावत सद पंथ |
धर्मतस सीख देइ सो जग में पावन ग्रन्थ || १ ||
भावार्थ : -....
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इन चुप्पियों के समन्दरों में...
चुप है हवाएँ , चुप है धरती , चुप ही है आसमान ,
चुप से हैं उड़ाने भरते पंछी... पसरी है दूर तलक चुप्पियाँ।
इन घुटन भरी चुप्पियों के समन्दरों में. छिपे हैं,
जाने कितने ही ज्वार...
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जन्माष्टमी पर
आज फुर्सत में हूँ मैं ,कहाँ हो बोलो प्यारे
तुमसे हैं बातें करनी,आ जाओ कान्हा प्यारे
सदियों से देखें रस्ता ,ये आँखें जागी-जागी
राह में ऐसे लगीं हैं , जैसे हों कोई अभागी
मुरली की तान सुनाने ,कुछ मेरी भी सुन जाने
आ जाओ कान्हा प्यारे...
तुमसे हैं बातें करनी,आ जाओ कान्हा प्यारे
सदियों से देखें रस्ता ,ये आँखें जागी-जागी
राह में ऐसे लगीं हैं , जैसे हों कोई अभागी
मुरली की तान सुनाने ,कुछ मेरी भी सुन जाने
आ जाओ कान्हा प्यारे...
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स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी की
हार्दिक बधाईयां
मालीगांव पर
Surendra Singh bhamboo
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भारत माता की जय
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जीवन्त जीवन ही खिलखिलाता है
आधा-आधा जीवन जीते हैं हम, आधे-आधे विकसित होते हैं हम और आधे-आधे व्यक्तित्व को लेकर जिन्दगी गुजारते हैं हम। खिलौने का एक हिस्सा एक घर में बनता है और दूसरा हिस्सा दूसरे घर में। दोनों को जोड़ते हैं, तो ही पूरा खिलौना बनता है। यदि दोनों हिस्सों में कोई भी त्रुटी रह जाए तो जुड़ना असम्भव हो जाता है। हम भी खिलौना बना दिये गए हैं,
हमने भी अपनी संतान को खिलौने जैसे संस्कारित किया है...
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श्रीकृष्ण--
त्रिगुणात्मक प्रकृति से
प्रकट होती चेतना सत्ता---
डा श्याम गुप्त...
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कहाँ है मेरा हिन्दोस्तान -
अजमल सुल्तानपुरी
भी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए
मुसलमाँ और हिन्दू की जान
कहाँ है मेरा हिन्दोस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ
मिरे बचपन का हिन्दोस्तान...
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स्वतंत्रता सुतंत्रता ले आएगी ::
सत्यनारायण पाण्डेय
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ये तो मैं ही हूँ !!!
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क्या हम भय,भूख,बेरोज़गारी,
बीमारी,छुआछूत,जातपात से आज़ाद हुए है?
सिर्फ अंग्र...
Anil Pusadkar
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जय हिन्द,
जय हिन्द की सेना...
पर्वतों की उस ऊंचाई तक संदेशे
जाने कैसे पहुँचते होंगे...
उन वीरानों में कैसे वो
सपनों सा रचते बसते होंगे...
कैसा उनका तेज़ प्रखर
कि वो जीवन जय करते हैं...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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सीखा है
सच बोलना अपने घर से सीखा है।
झूठ मैंने तेरे शहर से सीखा है...
हालात आजकल पर
प्रवेश कुमार सिंह
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कैसी आज़ादी पाई
(स्वतंत्रता दिवस पर 4 हाइकु)
1.
मन है क़ैदी,
कैसी आज़ादी पाई?
नहीं है भायी!
2.
मन ग़ुलाम
सर्वत्र कोहराम,
देश आज़ाद!
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, सार्थक सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! मेरी रचना, 'भारत माँ का आर्तनाद', को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
'क्रांतिस्वर ' की पोस्ट को इस अंक में स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद और आभार।
जवाब देंहटाएंBehtreen Prayas....
जवाब देंहटाएंसभी को स्वतंत्रता दिवस एवं जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति
सभी को स्वतंत्रता दिवस एवं जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति
shukriya v aap sabko bhi svatantrata divas ki badhaee.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की प्रस्तुति स्वाधीनता दिवस और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष बन गयी। मेरी रचना "इकहत्तरवां स्वाधीनता दिवस " को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार। बधाई एवं नमन आदरणीय शास्त्री जी। चर्चा में देर से शामिल होने के लिए क्षमा।
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