गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।
रविकर
गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।
कहाँ चन्दन लगाया है, कहाँ माला चढ़ाते हो।।
चलो उस पार्क में चलते, जहाँ कुछ वृद्ध आते हैं।
स्वजन सब व्यस्त हैं जिनके, चलो उनको हँसाते हैं।
सुनेंगे बात उनकी हम, कहो क्या साथ आते हो।
गये भगवान छुट्टी पर, कहाँ घंटा बजाते हो।।१।।
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कुछ पल
ऐ जिंदगी कुछ पल ठहर जा
इठलाने की उम्र अभी बाकी हैं
शरारतें अभी बहुत करनी बाकी हैं
माना दहलीज़ बचपन की गुज़र गयी
पर मुक़ाम बचपने का अब तलक बाकी हैं ...
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बहुत सुन्दर और पढनीय लिंकों के साथ सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रविकर जी।
सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंअति सुंदर ब्लॉग चर्चा,
सादर।
सुन्दर चर्चा । आभार रविकर जी 'उलूक' के काले सफेद को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा..
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत-बहुत आभार।
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