मित्रों!
गुरूवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
--
--
एंड्राइड ओ जानिये खासियत और रोचक बातें -
Android O Know Features
And Interesting Things
गूगल का नया मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का अगला वर्जन एंड्राइड ओ (Android O) आधिकारिक रूप से लॉन्च हो गया है, एंड्राइड ओ (Android O) 21 अगस्त यानि पूर्ण सू्र्यग्रहण (Full Solar Eclipse) को लॉन्च किया गया है, तो एंड्राइड ओ (Android O) में क्या-क्या खूबियां हैं और एंड्राइड ओ (Android O) के कुछ रोचक तथ्य आईये जानते हैं - एंड्राइड ओ जानिये खासियत और रोचक बातें...
--
--
--
--
--
--
--
मशीन अनुवाद - 5
मशीन अनुवाद सिर्फ सीधे सीधे वाक्यों के अतिरिक्त भी होता है. अगर हम किसी भी शासकीय पत्र को लें तो उसके लिखने का तरीका और उसकी शब्दावली अलग होती है. इसमें हर शब्द का एक अलग अर्थ हो सकता है. इसके लिए एक अलग शासकीय शब्दों का भण्डारण करते हैं और जब ऐसे पत्रों का अनुवाद होता है तो उसी को प्रयोग करते हैं...
--
--
भागे रे! #हवा खराब हौ!!!
कर्फ्यू वाले दिनों में बनारस की गलियाँ आबाद, गंगा के घाट गुलजार हो जाते । इधर कर्फ्यू लगने की घोषणा हुई, उधर बच्चे बूढ़े सभी अपने-अपने घरों से निकल कर गली के चबूतरे पर हवा का रुख भांपने के लिए इकठ्ठे हो जाते। बुजुर्ग लड़कों को धमकाते..अरे! आगे मत जाये!! बनारस की गलियों में लड़कों को गली में निकलने से कौन रोक सकता था भला! घर के दरवाजे पर बाबूजी खड़े हों तो बंदरों की तरह छत डाक कर पड़ोसी के दरवाजे से निकल जाना कोई बड़ी बात नहीं थी...
--
--
Punarvasu Joshi V/S Prabhu Joshi
V/S Sandip Naik
and Devil's Advocate Shashi Bhushan
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik
--
--
--
खबर
ख़ुद में हम यूँ मशगूल रहे
खबर अपनों की भी ना रहीं
साँसे चल रहीं या ठहर गयी
धड़कने भी इससे अंजान रहीं...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
--
--
बाढ़
1.
यह कहना गलत है कि
नदियाँ तटों को तोड़ कर
चली आ रही हैं
घरों में , खेतों में, खलिहानों में
गाँव , देहात , शहरों में
वे तलाश रही हैं
अपना खोया हुआ अस्तित्व
जिसके अतिक्रमण में
संलग्न हम सब..
यह कहना गलत है कि
नदियाँ तटों को तोड़ कर
चली आ रही हैं
घरों में , खेतों में, खलिहानों में
गाँव , देहात , शहरों में
वे तलाश रही हैं
अपना खोया हुआ अस्तित्व
जिसके अतिक्रमण में
संलग्न हम सब..
--
मेरे किस्से मेरी दुनिया भी कोई जाना नहीं
मेरे किस्से मेरी दुनिया भी कोई जाना नहीं,
दर्द कितना मेरे दिल में था कोई माना नहीं |
साथ रहते थे..........तसव्वुर का पता देते थे,
पहले दीवाने बहुत... अब कोई दीवाना नहीं
--
एक श्रृंगार गीत
कजरे गजरे झाँझर झूमर चूनर ने उकसाया था
हार गले के टूट गए कुछ ऐसे अंक लगाया था ।
हरी चूड़ियाँ टूट गईं क्यों
सुबह सुबह तुम रूठ गईं
कल शब तुमने ही मुझको अपने पास बुलाया था...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात शास्त्री जी ! बहुत सुन्दर प्रस्तुति आज की ! आशा दीदी की ओर से भी हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स, शानदार चर्चा. मेरे श्रृंगार गीत को सम्मिलित करने हेतु आभार.
जवाब देंहटाएंछत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध करने के उद्देश्य से मैं अपने प्रदेश की नई पीढ़ी को छत्तीसगढ़ी में छंद सिखा रहा हूँ. जिनकी छंदबद्ध रचनाओं का संकलन मेरे द्वारा बनाए गए नए ब्लॉग "छन्द खजाना" में किया जा रहा है.
जवाब देंहटाएंURL - www.chhandkhjana.blogspot.com
चर्चामंच से निवेदन है कि यदाकदा "छन्द खजाना" के लिंक को भी चर्चा मंच में सम्मिलित करके नए छन्द साधकों को प्रोत्साहित करने की अनुकम्पा करें.साभार.
नाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपका ब्लॉग हमारी ब्लॉग डायरेक्ट्री में सूचीबद्व है। यदि आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
जवाब देंहटाएंइस लिंक पर जाएं :::::
http://www.iblogger.prachidigital.in/p/magazine-blogs.html
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहां स्थान देने के लिये हार्दिक आभार मंच की कीर्ति पताका सदा यूं ही फहरती रहे...इसकी शुभ गूंज चहुँ दिशा में गूंजती रहे... भगवान गणपति से इसी प्रार्थना के साथ...चर्चा मंच के सभी सद्स्यों को गणेश चतुर्थी की सपरिवार हार्दिक शुभकामना...
जवाब देंहटाएं