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शनिवार, सितंबर 30, 2017

"विजयादशमी पर्व" (चर्चा अंक 2743)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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बोल - दो मीठे बोल ! 

एक चुटकला है । There is a joke. पहला व्यक्ति - मैं ट को हमेशा ट बोलता हूँ । First person - I always speak T to T दूसरा व्यक्ति - तो इसमें क्या है, ट को सब ट ही बोलते हैं, ठ नहीं । second person - so what is in it, speaks everyone T, T, not Th. पहला व्यक्ति - लगटा है, बाट टुम्हारी समझ में नहीं आयी... 
rajeev Kulshrestha 
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किनारे तक बहते जाना है 

ये किसी अन्य क्षितिज की बातें हैं 
हार-जीत से परे मन को मन की सौगातें हैं... 
अनुशील पर अनुपमा पाठक  
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लड़ो स्त्रियों लड़ो लड़ो कि 
अब लड़ना नियति है तुम्हारी 
करो दफ़न अपने भय के 
उन ५१ पन्नो को जो 
अतीत से वर्तमान तक 
फडफडाते रहे , डराते रहे... 
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नाचा का एक गम्मत : 

भकला के लगन 

छत्तीसगढ़ के लोकनाट्य नाचा में एक गम्मत खेला जाता है। इस गम्मत में नायक की शादी होने वाली रहती है, गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति उनके सामने बहुत सारी लड़कियों को लाकर एक-एक करके पूछता है। सबसे पहले ब्राह्मण लड़की को सामने लाकर पूछता है कि इससे शादी करोगे? नायक कहता है, नही। इससे शादी करने के बाद दिन भर इसके पांव पड़ते-पड़ते मेरा माथा 'खिया' जाएगा। राजपूत लड़की के लिए कहता है कि, इससे शादी करने पर यह मुझे 'दबकार-दबकार के झोल्टु राम' बना देगी। इसी तरह अन्य समाज की लड़कियोँ को उनके जातिगत विद्रूपों को उधेड़ते हुए, नायक विवाह से इंकार कर देता है... 
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धर्म के नाम पे जीव हत्या कैसे उचित? 

ईश्वर के नाम पर उनकी ही संतानों को मार देना कहीं से भी ईश्वर को प्रसन्न करने की बात नहीं हो सकती। एक तरफ हमारे सभी धर्म ग्रंथ कहते हैं कि सारे जीव जंतु ईश्वर की संतान हैं तो फिर कैसे अपने ही संतान की बलि लेकर कोई प्रसन्न हो सकता है! हालांकि धर्मों के आधार पर हमारी सोच और मान्यताएं बदल जाती है। कुछ दिन पहले कुर्बानी पर पशु प्रेम हमारा जागृत हो गया था, परंतु आज वही सन्नाटा है... 
चौथाखंभा पर ARUN SATHI 
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आत्मा और आत्मस्थ 

प्रवचन सुना, जाना मैंने 
पढ़ा शास्त्र तो जाना मैंने 
आत्मा हूँ मैं, काया नहीं, 
ब्रह्म-रूप कोई माया नहीं... 
pragyan-vigyan पर Dr.J.P.Tiwari  
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एक ताज़ा ग़ज़ल 

हर क़दम अपने में सिमट कर भी 
जी रहा हूँ सभी से कट कर भी 
साथ चलने की बात करता था 
उसने देखा नहीं पलट कर भी ... 
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एक व्यंग्य : 

रावण का पुतला--- 

आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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आत्मा व वैद्य टूर गए 

बीमार रह गया 

udaya veer singh  
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कार्टून :-  

धीरे धीरे बोल कोई सुन्ना ले =D 

शुक्रवार, सितंबर 29, 2017

"अब सौंप दिया है" (चर्चा अंक 2742)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

उपवन का माली 

Akanksha पर Asha Saxena  
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एक रोज.... 

Parul Kanani  
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छंद स्रग्विणी 

दर्द सह कर सजन मुस्कुराते रहे 
राज़ दिल का पिया हम छिपाते रहे...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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द्वन्द ?!! 

अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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आदतें 

शुरू से मुझे चुप रहने की आदत सी थी 
पर तुमने बोल बोल कर 
खुद को मेरी आदत बना ली... 
प्यार पर Rewa tibrewal 
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याद रखना! आपको कमीशन तब ही मिलेगा...  

खबरों से दूर रहने का मेरा फैसला भंग होने की गति में बढ़ोतरी हो गई है। समाचार पढ़ने का आग्रह करने के फोन पहले, दो-तीन दिनों में आते थे। अब लगभग प्रतिदिन आ रहे हैं। मैं खबरों से दूर रहना चाहता हूँ लेकिन भाई लोग हैं कि मानते ही नहीं। बाबाजी कम्बल छोड़ना चाह रहे और लोग फिर-फिर ओढ़ा देते हैं। आज भी ऐसा ही हुआ। एक युवा व्यापारी का फोन आया - ‘फलाँ अखबार में फलाँ खबर पढ़िए... 
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महागौरी माँ 

( कुंडलिया ) 

चम चम अष्टम रूप है, कर लो माँ का ध्यान। 
उज्ज्वल मंगलदायिनी ,देती माँ वरदान देती माँ वरदान , 
महागौरी रूप धवल शिवा,शाम्भवी नाम, 
गौर वर्ण पूरण नवल माँ के हाथ त्रिशूल, 
बजे है डमरू डम डम 
सरिता छाया ओज,चेहरा चमके चम चम ।। 
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया 
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माया में प्रतिबिंबित 

ब्रह्म को ही ईश्वर कहा गया है। 

ब्रह्म के भी दो स्वरूप हैं  

(१ )अपर ब्रह्म और : 

अपर ब्रह्म ही माया में प्रतिबिंबित ब्रह्म होता है 

(२ )परब्रह्म या पारब्रह्म परमचेतन तत्व है 

"गुरप्रसादि "का "गुर " है। 

परमव्यापक चेतना है।