मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ज़िन्दग़ी को प्यार करना चाहिए
हौसले से थाम कर पतवार को
सागरों को पार करना चाहिए
मुल्क की अस्मत बचाने के लिए
दुश्मनों पर वार करना चाहिए...
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पिता
तुम्हारे जाने के बाद मैंने जाना कि
कितना चाहता था मैं तुम्हें.
जब तुम ज़िन्दा थे,
पता ही नहीं चला...
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अँधा युग
गोली और गाली जो बन चुके हैं पर्यायवाची
इस अंधे युग की बनकर सौगात
लगाते हैं ठिकाने बडबोली जुबान को...
vandana gupta
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एक बार फ़िर
चल आज एक बार फ़िर बहकने चलते हैं
लड़खड़ाते कदमों को सँभालने चलते हैं
ना मंदिर ना मस्जिद, थाम खुदा का हाथ
मधुशाला के द्वार चलते हैं ...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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हिसाब-किताब के रिश्ते
दिल की बातों में ये हिसाब-किताब के रिश्ते
परखते रहे कसौटी पर बेकाम के रिश्ते!
वक़्त के छलावे में जो ज़िन्दगी ने चाह की
कतरा-कतरा बिखर गए मखमल-से ये रिश्ते...
डॉ. जेन्नी शबनम
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----- || दोहा-एकादश || -----
जीव-जंतुओं के जैसे मनुष्य का भी क्रमगत विकास कैसे होता है"बाह्य स्वरूप में क्रमागत विकास के पश्चातआतंरिक स्वरूप में क्रमबद्ध परिवर्तन से मानव में जाति का उद्भव हुवा....."
पाश्विकता से अधिकाधिक परिष्करण ने
मनुष्य में उच्च जाति को उद्भिद किया.....'
जनम संगी मातु जनित एक पितु कर संतान |बंसानुगत कौटुम के होत गयउ निर्मान || १...
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एक उम्मीद जरूरी है
जीने के लिए
एक उम्मीद
जिसकी नाउम्मीदी पर
उठती है मन में खीज, झुंझलाहट
निराश मन कोसता बार-बार
उम्मीद उनसे जो खुद
उम्मीद में जीते-पलते हैं...
जिसकी नाउम्मीदी पर
उठती है मन में खीज, झुंझलाहट
निराश मन कोसता बार-बार
उम्मीद उनसे जो खुद
उम्मीद में जीते-पलते हैं...
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जी ही लेते हैं न...
अभिशप्त होते हैं कुछ मन
वेदना की अतल गहराईयों में
गोते लगाने के लिए
कितने ही अच्छे मन से
कुछ करने जायें
बुरा ही पाते हैं...
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शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर लिंक्स. मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंमनमोहक चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!