मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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काला रंग और हंसमुख चेहरा
याने कि मास्साब की नजर में
...हमारे स्कूल में एक कुट्टिय्या स्वामी मास्साब थे. उनका नाम यूँ तो आर के शास्त्री था मगर जिस बेरहमी से वो बच्चों की कुटाई किया करते थे, उसके चलते न जाने कब कौन उनका नामकरण कुट्टिय्या स्वामी कर गया. बैच दर बैच उन्हें अनऑफिसियली आपसी बातचीत में इसी नाम से संबोधित करता रहा. शायद उनको पता भी न रहा हो.
बात बात पर बांस की बेंत से छात्रों को तब तक कूटते, जब तक कि बन्दा न टूट जाये या बेंत न टूट जाये. हालांकि हम पढ़ाई में इतने बड़े गणेश भी न थे कि रोज कूटे जायें...
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छम्मकछल्लो
ठाणे की एक अदालत का सराहनीय फ़ैसला आया है,
महिला को "छम्मकछल्लो " कहना जुर्म ठहराया है।
शब्द ,इशारे या किसी गतिविधि से महिला का अपमान होने पर
केस दर्ज़ होता है -
भारतीय दंड संहिता की धारा 509
केस दर्ज़ हुआ : 09 -01 -2009
आरोप - पड़ोसी पुरुष ने "छम्मकछल्लो" कहकर पड़ोसन को अपमानित किया
फ़ैसला - आरोप सही , शब्द अपमानजनक
सज़ा - अदालत उठने तक साधारण क़ैद
जुर्माना -एक भारतीय रुपया
केस की अवधि - साढ़े आठ साल से अधिक
पुलिस - केस दर्ज़ नहीं किया...
कविता मंच पर
Ravindra Singh Yadav -
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अँधेरे का समर्थन करना
याने खुद अँधेरे में गुम होना
गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई। लगा, घर में मौत हो गई है। कोई अपनेवाला नहीं रहा। दुःख तो बहुत हो रहा है किन्तु ताज्जुब बिलकुल ही नहीं हुआ। यह तो होना ही था। खुद गौरी ने ही अपनी यह मौत तय की थी। अपनी ही बनाई हुई सलीब पर चढ़ीं वह। गौरी जैसा दूसरा कोई नहीं हो पाएगा। उनसे बेहतर या उनसे बदतर ही होगा। लेकिन उनकी मौत से उनकी परम्परा के लेखन का सिलसिला रुकेगा नहीं...
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स्व शरद बिल्लोरे को समर्पित :
कविता
वो था तो न था
नहीं है तो तैर कर
आ जाता है आँखों में
टप्प से टपक जाता है
आँसुओं के साथ
फिर गुम हो जाता है वाष्पित होकर
विराट में
आता ज़रूर है
गाहे बगाहे
भाई था न ...
नहीं है तो तैर कर
आ जाता है आँखों में
टप्प से टपक जाता है
आँसुओं के साथ
फिर गुम हो जाता है वाष्पित होकर
विराट में
आता ज़रूर है
गाहे बगाहे
भाई था न ...
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कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना। जमाना बदल रहा है। आप को क्या है कहना जरा लोगों से पूछ भी लेना । आज की प्रस्तुति में 'उलूक' को भी जगह देने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह उम्दा चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चामंच की प्रस्तुति सुरुचिपूर्ण एवं वैचारिक मंथन को आमंत्रित करती है। बधाई आदरणीय शास्त्री जी। आभार सादर। मेरी रचना छम्मकछल्लो को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंअच्छे चयन हैं , चर्चामंच का नया गेट अप सुन्दर है --
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा.
जवाब देंहटाएंgood one !thanks !
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