मुक्तक-
बहस माता-पिता गुरु से, नहीं करता कभी रविकर ।
अवज्ञा भी नहीं करता, सुने फटकार भी हँसकर।
कभी भी मूर्ख पागल से नहीं तकरार करता पर-
सुनो हक छीनने वालों, करे संघर्ष बढ़-चढ़ कर।।
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राजनीति में न तो कोई स्थायी मित्र होता हैऔर न ही स्थायी दुश्मन
haresh Kumar
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मंत्री जी! ज़बान संभाल के...
pramod joshi
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''दीवार में आले'' का लोकार्पण वक्तव्य :ऋषभदेव शर्मा |
कौन से घटक (कारक )बनते हैंअल्जाइमर्स रोग की वजह।
Virendra Kumar Sharma
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खोई हुई पहचान हूँ मैं...राजेश रेड्डी
yashoda Agrawal
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दोहे"एकल कवितापाठ"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
शुभ प्रभात रविकर भाई
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंसादर ,