कहीं कुछ रह तो नहीं गया-
पिलाकर दूध झट शिशु को, फटाफट हो गई रेडी।
उठाई पर्स मोबाइल घड़ी चाभी चतुर लेडी।
इधर ताके उधर ताके नहीं जब ध्यान कुछ आया।
लगा आवाज आया को, वही फिर प्रश्न दुहराया।
कहीं कुछ रह तो नहीं गया।
हाय री ममता मुई मया।।
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शिकायत
शिकायतों का तुमने ऐसा पहाड़ बना दिया
ना ख़ुद हँस के जिये, ना हमें जीने दिया...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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पुजारी ईश की आरती उतारने के बादआरती का थाल भक्तों तक लाता है,इसका क्या मतलब होता है ?
Virendra Kumar Sharma
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शुभ प्रभात रविकर भाई
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
विविध रंगों से सजी सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
रंगबिरंगी उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंचर्चा में लेख को शामिल करने का बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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