मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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चिड़िया:
पाषाण
पाषाण सुना है कभी बोलते, पाषाणों को ?
देखा है कभी रोते , पाषाणों को ?
कठोरता का अभिशाप, झेलते देखा है...
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शुभ प्रभात मयंक भैय्या
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा। आभार 'उलूक'के 1250वें सूत्र को भी स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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