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Monday, September 18, 2017

"देवपूजन के लिए सजने लगी हैं थालियाँ" (चर्चा अंक 2731)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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बुलेट ट्रेन और  

‘है की नहीं’  

पर हां में हां 

दैनिक निपटान के लिए पटरी के किनारे बैठे घंसु और बिस्सु नित क्रिया कर्म के साथ नित देश की बनती बिगड़ती स्थितियों पर विमर्श भी कर लिया करते हैं. बैठे हैं तो बातचीत भी की जाये की तर्ज पर. यूँ भी देश में अधिकतर निर्णय इसी तर्ज पर लिए जा रहे हैं. आज घंसु ज्यादा चिन्तित दिखा. पढ़ाई लिखाई का यह फायदा तो होता ही है कि और कहीं कुछ हासिल हो या न हो, चिन्तन में तो आप अपनी धाक जमा ही सकते हैं. घंसु दसवीं पास था और बिस्सु आठवीं फेल. चिन्तित होने का कारण नई रेल गाड़ी बताई गई. घंसु ने बिस्सु को बताया कि एक ठो नई रेल गाड़ी आने वाली है २०२२ में जो गोली की स्पीड़ से भागेगी..मने की इत्ता तेज कि अगर तुम यहाँ... 
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कैसी ज़िन्दगी? 

(10 ताँका) 

1.  
हाल बेहाल  
मन में है मलाल  
कैसी ज़िन्दगी?  
जहाँ धूप न छाँव  
न तो अपना गाँव!  
2.  
ज़िन्दगी होती  
हरसिंगार फूल,  
रात खिलती  
सुबह झर जाती,  
ज़िन्दगी फूल होती!  
3... 
म्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम 
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अनुरागी मन 

है सौभाग्य चिन्ह मस्तक पर
बिंदिया दमकती भाल पर
हैं नयन तुम्हारे मृगनयनी
सरोवर में तैरतीं कश्तियों से
तीखे नयन नक्श वाली
तुम लगतीं गुलाब के फूल सी... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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बातों वाली गली में 

टहलना रश्मि का.... 

अपनी बात...पर वन्दना अवस्थी दुबे  
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बस ! अब और नहीं  

वक्त और हालात नेइतने ज़ख्म दे दिए हैंकि अब हवा काहल्का सा झोंका भीउनकी पर्तों को बेदर्दी सेउधेड़ जाता है... 
Sudhinama पर sadhana vaid  
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ग़ज़ल 

बुझे’ रिश्तों का’ दिया अब तो’ जला भी न सकूँ  
प्रेम की आग की’ ये ज्योत बुझा भी न सकुं |  
हो गया जग को’ पता, तेरे’ मे’रे नेह खबर 
राज़ को और ये’ पर्दे में’ छिपा भी न सकूँ... 
कालीपद "प्रसाद"  
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बचपन कुछ कहता है ! 

धुँधली यादो के झरोखे से , 
बचपन मुझसे कहता है  
!जब मैं था कितना खुश था तू ,  
अब क्यों चुप चुप सा रहता है... 
Manoj Kumar 
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खाता नम्बर 

ग़ौर से देखो गुलशन में बयाबान का साया है ,  
ज़ाहिर-सी बात है आज फ़ज़ा ने बताया है।  
आपने अपना खाता नम्बर विश्वास में किसी को बताया है 
तभी तो तबादला होकर दर्द आपके हिस्से में आया है ... 
Ravindra Singh Yadav 
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पेट्रोल - डीजल में  

लूट-खसोट 

पेट्रोल – डीजल की लागत मूल्यों और इनके रीटेल में बिक रहे कीमतों का अंतर सरकारी मुनाफाखोरी के कारण इतना बड़ा हो गया है कि अब चमचा चेनल्स भी वास्तविक आकडे बताने लग गए हैं. मेरे इसी स्तम्भ में इसी विषय में लिखे गए लेखों में पहले भी कई बार ध्यान आकर्षित किया गया था. आज भी जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें निचले स्तर पर चल रही हैं तो भी सरकारी और गैरसरकारी तेल कंपनिया धड़ल्ले से मुनाफ़ा कमाकर उपभोक्ताओं का शोषण कर रही हैं. अफसोस इस बात का है कि सरकार के उच्च पदों पर आसीन अफसर व मंत्री बेशर्मी से अपना मुह छुपाये हुए हैं. आज एक केन्द्रीय मंत्री अलफांसो महाशय ने तो हद कर दी कि... 
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8 comments:

  1. शुभ प्रभात..
    आभार
    सादर

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  2. विविधता से परिपूर्ण आज का बेहतरीन चर्चामंच।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
    आदरणीय शास्त्री जी का समर्पण हमें ऊर्जा देता है।
    उन्हें बधाई।
    मेरी रचना "खाता नम्बर" को चर्चामंच में स्थान मिलने पर मन प्रसन्न हुआ।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  4. शास्त्री जी को 'क्रांतिस्वर' की ब्लाग पोस्ट को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।

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  5. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

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  6. बहुत सुन्दर चर्चा आज की ! मेरी और आशा दीदी की पोस्ट्स को सम्मिलित करने के लिए हम दोनों की ओर से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं हृदय से आभार शास्त्री जी !

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  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर चर्चा ,मेरी पोस्ट् को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं हृदय से आभार शास्त्री जी

    ReplyDelete

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