मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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घर में सड़क में पार्क में बाजार में
स्कूल के खेल के मैदान में
बज रहें हैं भीषण तीखे भोंपू
भागने वाले है शोर से ही
रावण शुँभ निशुंभ इस बार
बिना आये दशहरे के त्यौहार में...
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उस शख़्स पर से तीरे नज़र यूँ फिसल गया
मानिंदे बर्फ़ कोह सा पत्थर पिघल गया
हाँ! शम्स दोपहर था चढ़ा शाम ढल गया...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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चिड़िया: बस, यूँ ही....
चिड़िया: बस, यूँ ही....:
नौकरी, घर, रिश्तों का ट्रैफिक लगा,
ज़िंदगी की ट्रेन छूटी, बस यूँ ही...
है दिवाली पास, जैसे ही सुना,
चरमराई खाट टूटी, बस यूँ ही
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कितना लंबा इंतज़ार
प्रसिद्ध ग्रीक कवि यिआन्निस रित्सोस ने लिखा :
मुझे मालूम है हम में एक एक को
कदम बढ़ाना पड़ता है प्रेम की राह पर अकेले ही
वैसे ही आस्था के रास्ते
और मृत्यु को जाते रास्ते पर भी
मैं अच्छी तरह जानता हूँ
कोशिश तो बहुतेरी की पर कर नहीं पाया कुछ .
अब मैं एकाकी नहीं
तुम्हारे साथ चलना चाहता हूँ
चलोगी प्रिय?
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़
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क्या है ब्ल्यू -बेबी -सिंड्रोम ?
चिकित्सा शब्दावली में बात करें तो कुछ ऐसे बालक होते हैं जिनके साथ नियति ऐसे खेल खेलती है कि इनका नन्ना दिल गर्भावस्था में ही कुछ ऐसी विकृतियों का शिकार हो जाता है जो जन्म के बाद ही अपनी... This is a content summary only. Visit my website for full links, other content, and more!...
Virendra Kumar Sharma
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ज़रा ठहरो
ज़रा ठहरो !
तुम इनको न छूना,
ये एक बेहद पाकीजा से रिश्ते के
टूट कर बिखर जाने से
पैदा हुई किरचें हैं जिन्हें छूते ही
धारा प्रवाह खून बहने लगता है ,
डरती हूँ तुम्हारे छू लेने से
कहीं इनकी धार कुंद ना हो जाए,
अगर इनकी चुभन से लहू ही ना बहा
तो इनकी सार्थकता क्या रह जायेगी ...
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर
आदरणीय शास्त्री जी का आभार एवं धन्यवाद 'क्रांतिस्वर ' की यह पोस्ट इस अंक में शामिल करने हेतु।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर राविवारीय अंक में 'उलूक' का भी जिक्र करने के लिये आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा सूत्र.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, विस्तृत एवं सार्थक चर्चा आज की ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
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