सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
दोहे
"राधे का संदेश "
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
राधे का संदेश है, सबको अपना मान ।
घर आए का कीजिए, मन से तुम सम्मान....
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इसकी उसकी पूजा करने के दिन लद गये
‘उलूक’ कुछ दिन अपनी अब करवाले
मंदिर संदिर हो सके
कहीं तो आज और अभी
दो चार छोटे बड़े बनवाले
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जब समाचार आपको नकारात्मक बना दे
हमारे दिन की शुरुआत किसी समाचार पत्र को पढ़कर ही होती है और जब तक हम समाचार पत्र नहीं पढ़ लेते, तब तक पूरा दिन ऐसा लगता है कि आज शुरुआत ही नहीं हुई। परंतु आजकल जब कोई मुझे कहता है कि तुमने तो आज अपने आसपास के समाचार देखना ही बंद कर दिया तो....
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तैयारी
सुबह उठने के साथ
करने लगती हूं तैयारी
घर छोडने की
हाथ मुंह धुलते धुलते
वही उतार कर रख देते हूं
मन की थकन
जो नही मिटी सो कर भी..
डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
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पानी का भविष्य !
सिर्फ डराइये या सुझाइये नहीं
कुछ अमल में भी लाइए
बहस में भाग लेने वाले "उस्ताद लोगों" के पास कोई ठोस उपाय नहीं होते; वह वहाँ बैठे ही होते है दूसरों को उपदेश देने या सरकार की आलोचना करने के लिए ! उनसे कोई पूछने वाला नहीं होता कि जनाब आपने इस मुसीबत से पार पाने के लिए निजी तौर पर क्या किया है ? क्या आपने अपने लॉन-बागीचे की सिंचाई में कुछ कटौती की है ? क्या आप शॉवर से नहाते हैं या बाल्टी से ? आपके 'पेट्स' की साफ़-सफाई में कितना पानी जाया किया जाता है ? क्या आपके घर के AC या TV के चलने का समय कुछ कम हुआ है ? आपके घर से निकलने वाले कूड़े में कितनी कमी आई है ? क्या आप कभी पब्लिक वाहन का उपयोग करते हैं ? क्या जब आप यहां आए तो संयोजक से AC बंद कर पंखे की हवा में ही बात करने की सलाह दी ?...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा,
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टेढी हुई जुबान
भोर हुई मन बावरा, सुन पंछी का गान
गंध पत्र बाँटे पवन, धूप रचे प्रतिमान
पानी जैसा हो गया, संबंधो में खून
धड़कन पर लिखने लगे, स्वारथ का कानून...
sapne(सपने) पर
shashi purwar
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----- ॥ दोहा-पद 12॥ -----
दीप मनोहर दुआरी लगे चौंकी अधरावत चौंक पुरो |
हे बरति हरदी तैल चढ़े अबु दीप रूप सुकुँअरहु बरो ||
पिय प्रेम हंस के मनमानस रे हंसिनि हंसक चरन धरो |
रे सोहागिनि करहु आरती तुम भाल मनोहर तिलक करो...
हे बरति हरदी तैल चढ़े अबु दीप रूप सुकुँअरहु बरो ||
पिय प्रेम हंस के मनमानस रे हंसिनि हंसक चरन धरो |
रे सोहागिनि करहु आरती तुम भाल मनोहर तिलक करो...
NEET-NEET पर Neetu Singhal
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दहलीज़.....
सीमा "सदा" सिंघल
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
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द्रास युद्ध स्मारक :
कैसे फतह की हमने टाइगर हिल की चोटी?
Drass War Memorial
Manish Kumar
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वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और कवि
राजकिशोर का निधन
.....राजकिशोर ने ‘रविवार’ से अपनी पत्रकारिता शुरू की थी और ‘नवभारत टाइम्स’ दिल्ली में काफी समय तक पत्रकार रहे। ‘दूसरा शनिवार’ मैग्जीन का संपादन किया था। वे कई अखबारों में समसामयिक विषयों पर स्तंभ भी लिखते रहे।
उनके उपन्यास संग्रह में से ‘सुनंदा की डायरी’, ‘दूसरा सुख’ प्रमुख हैं। उनका कविता संग्रह ‘पाप के दिन’ और व्यंग्य संग्रह ‘राजा का बाजा’ भी काफी लोकप्रिय था। उनको लोहिया पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
उनके उपन्यास संग्रह में से ‘सुनंदा की डायरी’, ‘दूसरा सुख’ प्रमुख हैं। उनका कविता संग्रह ‘पाप के दिन’ और व्यंग्य संग्रह ‘राजा का बाजा’ भी काफी लोकप्रिय था। उनको लोहिया पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
अब छोड़ो भी पर Alaknanda Singh
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधा बहन जी।
आज के सुन्दर बुधवारीय अंक में 'उलूक' के उल्लू के मन्दिर को भी जगह देने के लिये आभार राधा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा हमें शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा हमें शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद
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