मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जीवन का संगीत
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
चिड़िया बोली ची-ची-ची।
और पपीहा पी-पी-पी।।
होता है जब सुखद सवेरा।
मिट जाता तब सभी अंधेरा...
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शीर्षकहीन
उसने मुझे गालियाँ दीं मैं सुनता रहा
वह मुझे कोस रहा था मैं
सर झुकाए खड़ा था
वह मुझे गिना रहा था...
सरोकार पर Arun Roy
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जय कन्फ्यूज्ड देवा
हम भारतीयों की एक आदत है और अमूमन सब की ही है। आप पूछेंगे क्या! अजी बताते हैं। किसी भी बात में अपना थूथन घुसाना और कैसी भी गैर जिम्मेदाराना अपनी राय देना। राय देते-देते दूसरे पर हावी हो जाना और हाथापाई तक पर उतर जाना। मीडिया पर यह खेल रोज ही खेला जाता है और बरसों से खेला जा रहा है। अब तो यह सब देखकर उबकाई सी आने लगी है। लेकिन यह बे-फालतू सा राय-मशविरा कल एक चैनल पर और दिखायी दे गया। नया सीरियल था, कुछ देखने को नहीं था तो सोचा इस दोराहे पर खड़े व्यक्ति ने जो अनावश्यक बहस और समाधान देने की पहल की है, उसे ही देख लिया जाए...
smt. Ajit Gupta
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योगी
ऐसा क्यों महसूस होता है कि
मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है
वो तुम ही थे न
जो रोज़ ख़्वाबों में आकर
मेरे दिल की सफ़ाई कर
प्यार का दीप जला जाते थे
कई बार तुम्हें रोकना चाहा
पर तुम वो योगी थे...
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मौत मंजिल है जीवन सफर हो गया
प्यार करने का ऐसा असर हो गया
बाखबर पहले था बेखबर हो गया...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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खुद तय करो, तुम क्या हो ।
मान लिया,
सामने रावण और शूर्पणखा हैं
तो उनके विनाश के लिए
तुम्हें रावण और शूर्पणखा
नहीं बनना है
राम और लक्ष्मण बनना है ...
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर ईद चर्चा। ईद की शुभकामनाएं सभी के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंईद मुबारक!
सभी पाठकों को ईद की हार्दिक शुभकामनाएं ! बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स
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