सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ओ मेरे कान्हा
( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
*दूज का चांददिख जाए मेरा, रमजान हो जाए l
* * अगर तूछत पर आजाए ,पूरा अरमान हो जाए ll
* * तेरी जुल्फोंके साए में, मुझे ऐसेही रहने दे l
* * तुम्हारे साथ मुझपर भी, खुदा मेहरबान हो जाए ll *
RADHA TIWARI at राधे का संसार
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मेरे अरमाँ तेरी यादों से जब भी बात करते हैं
कभी हँसकर कभी गाकर कभी जोरों से झुँझलाकर
न जाने बह्र में किस, बात की शुरुआत करते हैं
तबस्सुम और आँसू बाँधते हैं क्या समां उस दम
मेरे अरमाँ तेरी यादों से जब भी बात करते हैं -‘ग़ाफ़िल’
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
at अंदाज़े ग़ाफ़िल
------सावधान - सतीश सक्सेना
Satish Saxena
at मेरे गीत !
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हमराही
जब चाहा तुम्हारा साथ
तुम्हारे कंधे से कंधा मिला कर चलना ,
तुम्हे अपना सबसे प्यारा हमराही और
दोस्त बनाना तब तुमने छिटक दिया
मेरा हाथ साथ तो क्या प्यार के
दो बोल भी मय्यसर न हुए,
अब जब ठोकरें खा कर मैंने चलना सीख लिया तो
अचानक तुम्हे एहसास हुआ की
मुझे तुम्हारी जरूरत है और तुम्हे मेरी
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सुरमई शाम का मंज़र....कुमार अनिल
yashoda Agrawal at विविधा....
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नाप लो नभ
नाप लो नभ का हर कोण
पर क्षितिज वहाँ भी है।
हर सूरज अपना क्षितिज जानता है।
अपने उगने की परिधि जानता है।
इसलिये हरदिन उगता है
असीम विस्तार पाता है।
दिवसावसान पर क्षितिज में सिमट जाता है।
अस्त होकर भी उदित होता है।
अभिनव रचना पर
Mamta Tripathi
--सधी हुई चाल
purushottam kumar sinha
--cartoons
सबकी गरदन झुकी है
मेरे देश में
राजनीतिक उठापटक का दौर जारी है
आरोप प्रति आरोप का दौर भी जारी है...
--एटलस साईकिल पर योग-
यात्रा भाग ११:
मंठा- मानवत
Niranjan Welankar
--कहीं ऐसा न हो
प्रभात
--वो ख़्वाब जो बरस रहा है...
Pratibha Katiyar
--रानी की खीर में लाल चावल
एक लघु कथा याद आ रही है, आपको भी सुनाए देती हूँ – एक महारानी थी, उसे देश के विद्वानों का सम्मान करने और उन्हें भोजन पर आमंत्रित करने का शौक था। उनके राज्य में एक दिन अपने ही मायके के एक विद्वान आए, उन्होंने अपनी आदत के अनुसार उन्हें भोजन पर आमंत्रित किया और सुस्वादु भोजन के रूप में खीर परोसी। खीर में बड़ी मात्रा में सूखे मेवे पड़े थे और मलाई के साथ मिलकर उनकी एक मोटी परता खीर पर जम गयी थी। विद्वान ने सबसे पहले मेवे युक्त मलाई की परत को हाथ से निकाला और बाहर रख दिया। फिर तेजी से हाथ की अंगुली को खीर के अन्दर डाला और एक लाल चावल उसमें से निकाला और रानी को दिखाया...
smt. Ajit Gupta
--चांद नदी में घुल रहा है
जल चांदनी में धुल रहा है
चांद नदी में घुल रहा है
सितारे अब आंखें मल रहे
मन तो सबका झूल रहा है...
Shyam Bihari Shyamal
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
श्रम के साथ की गयी सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधा जी।
बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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