मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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“ग़ज़लियात-ए-रूप” की भूमिका”
(डॉ. राजविन्दर कौर)
क्या ग़ज़ल सिर्फ उर्दू की जागीर है
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
मैंने सोशल साइटों पर देखा है कि डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ जी ने अब तक अनेकों पुस्तकों की भूमिकाएँ और समीक्षाएँ लिखी हैं और अब भी कई पुस्तकें समीक्षाएँ लिखने के लिए उनके पास कतार में हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि एक बड़े साहित्यकार की पुस्तक की भूमिका लिखने का मुझे अवसर मिला है।
सर्वप्रथम मैं उनके प्रथम ग़ज़ल संग्रह ‘ग़ज़लियात-ए-रूप’ के प्रकाशन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित करती हूँ। मयंक जी से मेरी प्रथम भेंट सितारगंज में एक सम्मान समारोह में हुई थी।
मैं जब ‘ग़ज़लियात-ए-रूप’ की भूमिका लिख रही थी तो मेरे मन में ग़ालिब, मीर और निदा फाज़ली का ख्याल आ रहा था। जिन्होंने आम आदमी की पीड़ा को अनुभव करते हुए अपनी कलम चलाई थी। मुझे ग़ज़लकार डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ भी उन्हीं की श्रेणी के लगे। ग़ज़ल में प्रेमी-प्रेमिका की बातचीत के अतिरिक्त समाज में जो घट रहा है उसको भी अपनें शब्दों में ढालना होता है। जिसे ग़ज़लकार ने बाखूबी अपनी ग़ज़लों में उतारा है....
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बाल कविता
"मेरी माँ"
( राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
सुबह सवेरे चार बजे,
मेरी माता जग जाती है l
मेरी माता जग जाती है l
दिन भर की आपाधापी में,
आराम कहाँ वो पाती है...
आराम कहाँ वो पाती है...
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आओ भूत खोद कर लायें
भविष्य की बात आये
उससे पहले
उसकी कब्र
वर्तमान में ही बनाकर
मंगलगीत मिलकर गायें
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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अहद यह थी के उस ही दम ज़माना छोड़ देना था
मुझे है याद क्या क्या जाने जाना छोड़ देना था;
तेरा हर हाल मुझको आज़माना छोड़ देना था...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर शुक्रवारीय चर्चा। आभार 'उलूक' के भूत को स्थान देने के लिये आदरणीय।
जवाब देंहटाएंशानदार संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर - सादर प्रणाम -- आज की हलचल प्रस्तुति में अपनी रचना को पा बहुत ख़ुशी हो रही है | बाकी सभी रचनाकारों की प्रस्तुतियां अपनी अपनी जगह लाजवाब हैं |मेरी रचना को बहुत से नए पाठकों के साथ जोड़ने के लिए सादर आभार और नमन |
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर, सादर आभार 🙏 आप जैसे विद्वजनों
जवाब देंहटाएंका साथ पाकर मैं धन्य हो गई ।आपने मेरी रचना को चर्चा अंक 3016 में स्थान देकर नए पाठकों के साथ जोड़दिया, साथ ही आपकी और अन्य रचनाकारों की
श्रेष्ठ रचनाओं को पढने का आनंद भी प्राप्त हुआ
इसके लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद 🙏 🙏