मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
--
--
गंगा
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
गंगा जी के नीर को, रखो हमेशा साफ l
माँ गंगा हरदम करें, पाप सभी के माफ...
--
--
कासे कहूं हिया की बात!
बिरहन बिलखे बेरी बेरी
बिखन चिर संताप
बुझी बाती आस की
आँखिन अंधियारी छात
कासे कहूँ हिया की बात !
पलक अपलक, उलझे अलक
दहक दहक दिन रात .
सबद नीर नयन बह निकले
भये तरल दोउ गात ...
बिखन चिर संताप
बुझी बाती आस की
आँखिन अंधियारी छात
कासे कहूँ हिया की बात !
पलक अपलक, उलझे अलक
दहक दहक दिन रात .
सबद नीर नयन बह निकले
भये तरल दोउ गात ...
--
--
दशरथ मांझी की राह चला
एक और मांझी

MBBS की प्रवेश परीक्षा NEET पास करके
भोपाल स्थित चिरायु मेडिकल काॅलेज एंड हॉस्पिटल में दाखिला लेकर ही दम लिया है...
--
मौसम...

मै अपने लिख दूँगी तुम, तुम्हारे लिखना।।
लिखना कैसी है वो बूंदें जो बारिश में बरसती है
और कैसा है वो पानी जिनको आंखें तरसती है
कि हो सकता है बन जाये फिर से वही मौसम
मैं भी लिख दूँगी खामोशी तुम दर्द अपने सारे लिखना...
Parul Kanani
--
औरतें जी का जंजाल -
कांधला से कैराना

कांधला से कैराना और पानीपत ,एक ऐसी बस यात्रा
जिसे भुला पाना शायद भारत के सबसे बड़े घुमक्कड़
व् यात्रा वृतांत लिखने वाले राहुल सांकृत्यायन जी के लिए भी
संभव नहीं होता यदि वे इधर की कभी एक बार भी यात्रा करते...
--
--
सफ़ेद मछली

छोटे से एक्वेरियम में बंद
बेचैनी से चक्कर काटती
उस सफ़ेद मछली को
देखती रहती हूँ मैं अपलक !
कितनी छोटी सी थी
जब मैं लाई थी उसे
अब बूढ़ी हो चली है...
--
राजनीति में
सीनाजोरी तो गहना है
इन दिनों, राजस्थान के पूर्व मुख्य मन्त्री अशोक गेहलोत का एक वीडियो फेस बुक और वाट्स एप पर छाया हुआ है जिसमें गेहलोत कहते हुए नजर आ रहे हैं कि बिजली प्राप्त करने के लिए बनाए बाँधों का पानी सिंचाई के काम नहीं आएगा क्योंकि उसमें से ‘पॉवर’ तो रहेगा ही नहीं। गेहलोत की खूब हँसी उड़ाई जा रही है और गेहलोत के बहाने उनकी पार्टी और पार्टी नेताओं की खिल्ली उड़ाई जा रही है। यह सब देखकर मुझे शुरु में ताज्जुब हुआ। क्योंकि हमारे यहाँ कहावत है कि कहनेवाला भले ही मूर्ख हो
लेकिन सुननेवाला तो समझदार होता है...
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्रों का संकलन आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को आज की चर्चा में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया संकलन!!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएं