सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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दोहे
"रखना कभी न खोट"
(राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
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लिखती हूं तुम पर सदा, दोहे गजलें गीत।
आकर के वाचन करो, ओ मेरे मनमीत...
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पागलख़ाना :
बाज़ारवाद पर एक आधुनिक क्लासिक
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घर से भागी बेटी के नाम --
इज्जत की चादर ओढ़ के तुम -
हो गयी किन अंधियारों में गुम ?
ना हो ये चादर तार- तार -
लौट आओ बस एक बार,
चौखट जो लाँघ गई थी तुम
अभी खुला है उस का द्वार-
आ जाओ पौ फटने से पहले -
रह जाए पिताकी लाज का भ्रम...
हो गयी किन अंधियारों में गुम ?
ना हो ये चादर तार- तार -
लौट आओ बस एक बार,
चौखट जो लाँघ गई थी तुम
अभी खुला है उस का द्वार-
आ जाओ पौ फटने से पहले -
रह जाए पिताकी लाज का भ्रम...
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सच का ताबीज़
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सनौली के माध्यम से
हमारी सभ्यता का इतिहास
दोबारा लिखा जाएगा
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अब छोड़ो भी पर
Alaknanda Singh
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तन्हाइयों के पैगाम
ऐ शाम क्यों तुम तन्हाइयों के पैगाम लाती होना सितारों की बारात ना चन्दा का साथ
फ़िर क्यों करवटों में सपने सँजोती हो
दिन ठहरता नहीं रात गुजरती नहीं
क्यों फ़िर तुम इन अधखुली पलकों को जगाती हो...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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३१२. तितलियां
आजकल ख़तरे में हैं तितलियां।
आजकल कोई भी,
कहीं भी,
किसी भी तितली के
पर नोच सकता है,
महफूज़ नहीं हैं आजकल तितलियां...
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मधुपुर मेरा मालगुडी है
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गुलमोहर
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noopuram
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तू चन्दा मैं चाँदनी - 1
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(दादा श्री बालकवि बैरागी के आकस्मिक निधन के बाद, फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ के उनके गीत ‘तू चन्दा मैं चाँदनी’ की बहुत चर्चा हुई। इस गीत से जुड़ा यह संस्मरण ‘एकोऽहम्’ पर 20 जुलाई को प्रकाशित हो चुका है। तब ब्लॉग जगत में मेरी उम्र कुल दो माह की थी। तब मैं, लेख में न तो फोटू लगाना जानता था न ही परमा लिंक। मित्रों के आग्रह पर इस लेख को मैं एक बार फिर दे रहा हूँ - दादा के निधन के बाद बनी स्थितियोंनुसार संशोधन, सम्पादन सहित।) ब्लाग की दुनिया में घूमते -घूमते आज श्री सुरेश चिपलूनकर के महाजाल की सैर की तो 2 मई 2007 की पोस्ट पर नजर ठहर गई। ‘बालकवि बैरागी: तू चन्दा मैं चाँदनी’ शीर्षक ने....
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दर्द..
विजय कुमार सप्पत्ति
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जो दर्द तुमने मुझे दिए, वो अब तक सँभाले हुए हैं !!
कुछ तेरी ख़ुशियाँ बन गई हैं कुछ मेरे ग़म बन गए हैं
कुछ तेरी ज़िंदगी बन गए हैं कुछ मेरी मौत बन गए हैं
जो दर्द तुमने मुझे दिए, वो अब तक सँभाले हुए हैं !!
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नागपुर में किसे, क्या मिला?
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गीत
"सागर सा गहरा"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधा बहन।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
सुरंग चूनर आज की चर्चा .
जवाब देंहटाएंएक धागा गुलमोहर का .
हार्दिक आभार राधा जी .
चर्चा में सम्मिलित सभी लेखकों को बधाई एवं शुभकामनायें .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राधाजी, मेरी ब्लॉगपोस्ट को शामिल करने के लिए, हमारी ब्रजनगरी में आपका नाम कण कण में लिया जाता है सो आपसे लगाव एक अलग किस्म का है
जवाब देंहटाएंवाह लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ उत्क्रष्टता को प्राप्त हैं
सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ
हमारी रचना को भी स्थान देने हेतु हार्दिक आभार
सादर नमन शुभ संध्या
सुन्दर लिंक्स.
जवाब देंहटाएंआदरणीय राधा जी -- सादर आभार और नमन इस मंच पर एक बार फिर से मेरी रचना को सम्मान देने के लिए | सभी बाकी के लिंक भी शानदार है | आदरणीय कवि बाल बैरागी जी पर लेख और आदरणीय अलकनंदा जी का इतिहास शोध को समर्पित लेख मुझे खास तौर पर पसंद आया | सभी सहयोगी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें |सादर --
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