मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ग़ज़ल
"वो बादल कहलाते हैं"
जो प्यासी धरती की, अपने जल से प्यास बुझाते हैं।
आसमान में जो उगते हैं, वो बादल कहलाते हैं।।
जो मुद्दत से तरस से थे, जल के बिना अधूरे थे,
उन सूखे नदिया-नालों को, निर्मल नीर पिलाते हैं...
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दोहे
"शिक्षा का अधिकार"
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
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मोल दोहे
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
लूट रहे हैं आज तो, बड़े शहर के मॉल l
बिकते महंगे दाम में, घटिया घटिया शॉल...
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कासे कहूँ हिया की बात !
बिरहन बिलखे बेरी बेरीबिखन चिर संतापबुझी बाती आस कीआँखिन अंधियारी छात
कासे कहूँ हिया की बात !
पलक अपलक, उलझे अलकदहक दहक दिन रात .सबद नीर नयन बह निकले भये तरल दोउ गात .
कासे कहूँ हिया की बात...
कासे कहूँ हिया की बात !
पलक अपलक, उलझे अलकदहक दहक दिन रात .सबद नीर नयन बह निकले भये तरल दोउ गात .
कासे कहूँ हिया की बात...
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संविधान ...खतरे में।।
हर तरफ से बस एक ही शोर है।
संविधान है खतरे में वन्समोर है।
अराजकता की धुंध दिख रही है कहीं!
या सिर्फ़ हंगामा कुछ और है...
kamlesh chander verma
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दहलीज पर ठिठकी यादें
दहलीज के बाहर ठिठकी
ये खट्टी मीठी तीखी यादें
गाहे बे गाहे
मेरे अंतर्मन के द्वार पर
जब तब आ जाती हैं और
कभी मनुहार कर तो
कभी खीझ कर...
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डर है तो इंसान है , वर्ना हैवान है ...
हम भारतीय अपने देश में जितना चाहे अराजकता फैला लें , लेकिन विदेश जाकर सभ्य इंसानों की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। इसका कारण है वहां नियमों और कानून का सख्ताई से पालन किया जाना। यानि कोई नियम या कानून तोड़ने पर आपको भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। उस दशा में ना कोई चाचा ( सिफारिश ) काम आता है न ही धन दौलत ( रिश्वत )। इसका साक्षात उदाहरण हमने देखा अपने यूरोप टूर पर। आईये देखते हैं , कैसे....
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
अत्यंत आभार! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों का संकलन
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
बढ़िया अंंक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों का संकलन आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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