मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ग़ज़ल
"चलना ही पड़ेगा"
दिल के फासलों को दूर करना ही पड़ेगा l
कुछ हमें कुछ तुम्हें चलना ही पड़ेगा...
कुछ हमें कुछ तुम्हें चलना ही पड़ेगा...
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
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" मात-पिता का साथ"
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
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मात-पिता का चाहिए, सब को आशीर्वाद l
बच्चों उनसे तुम कभी, करना नहीं विवाद...
बच्चों उनसे तुम कभी, करना नहीं विवाद...
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घर की दहलीज़
घर की दहलीज़ ने
आना-जाना और निभाना देखा
बन्द किवाड़ों ने
सिर्फ़ अपना वजूद जाना
ये भूलकर कि
उन्हें थामकर रखने वाली दहलीज़ ...
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क्या जल रहा है...?
नीरो ...हाँ मैन सुना है.... कही इतिहास दोहरा तो नही रहा...।काल और सीमा से परे जाकर..। जब हमने उससे द्वेष और ईर्ष्या किया तब ...जब प्रेम से भरी उसके प्रति दीवानगी देखी तब...। हाँ ...कुछ ऐसा ही है ...वो घृणा से उत्त्पन्न असृप्यता के उद्द्बोध से उन अनगिनत सारो से एकरूप हो एक उत्कट प्रेम में आराध्य है...।ऐसा पहले हुआ क्या...?...
Kaushal Lal
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जी हजूरी है आज बहुत जरूरी
जब से नौकरी लगी है
आफ़िस तो देखा नहीं
बगले पर हूँ तैनात
क्या करूं
जी हजूरी आजकल बेहद
जरूरी हो गई है...
आफ़िस तो देखा नहीं
बगले पर हूँ तैनात
क्या करूं
जी हजूरी आजकल बेहद
जरूरी हो गई है...
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----- ॥ दोहा-पद 13॥ -----
----- || राग - भैरवी || -----पट गठ बाँधनि बाँध कै देइ हाथ में हाथ |बोले मोरे बाबुला जाउ पिया के साथ ||
काहे मोहि कीजौ पराए, ओरे मोरे बाबुला जनम दियो पलकन्हि राख्यो जिअ तै रहेउ लगाए || १ || ...
NEET-NEET पर
Neetu Singhal
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दस्तक दहलीज पर.....
कुसुम कोठारी
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दस्तक दे रहा दहलीज पर कोई
चलूं उठ के देखूं कौन है कोई...
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेर्री रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
सुन्दर रविवारीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
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