मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मेवालाल और उसका प्याज
मेवालाल खुद को सचमुच में अन्नदाता मानने लगा था। शहर ने एक झटके में उसका मुगालता दूर कर दिया। उसे उसकी औकात बता दी।
यह कल, 31 मई 2018 गुरुवार को ही हुआ। रतलाम की मण्डी में।
मेवालाल रतलाम जिले के गाँव बरबोदना का रहनेवाला है। उसे मालूम हुआ कि रतलाम मण्डी में प्याज का भाव साढ़े तीन/चार रुपये किलो मिल रहा है। वह बड़ी आशा से अपना प्याज लेकर रतलाम मण्डी में आया। लेकिन उसकी आशाओं पर ओले गिर गए...
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हिसाब
सब हिसाब मांगते हैं । पल-पल का हिसाब मांगते हैं ।बच्चे अपने माँ-बाप से गिन-गिन कर हिसाब मांगते हैं। पूछते हैं बार-बार गुस्से से, आपने हमारे लिए क्या किया ?जो किया क्या वो काफ़ी था ?जो नहीं किया उसका हिसाब कौन देगा ?...
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लहलहाते खेत
(राधातिवारी "राधेगोपाल")
शस्य श्यामला है धरा ,ये मेरे हिंदुस्तान की।
वीणापाणि है बजाती, ताल लय सुर तान की ।।
लहलहाते खेत में ,झुकती फलों की डालियाँ।
नीर से परिपूर्ण झरने ,शान हिंदुस्तान की...
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दो जून की रोटी
( राधा तिवारी " राधेगोपाल " )
बस चार दिन की जिंदगी होती बहुत छोटी।
मय्यस्सर हो सभी को यहाँ दो जून की रोटी।।
है किस्मत कौन सी पाई जो करते काम खेतों में ।
भिगोया तन गरीबों ने मिली दो जून की रोटी...
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तेरा अश्क़ मेरा दामन
सु-मन (Suman Kapoor)
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ललक
purushottam kumar sinha
बावला आइना
बावला है यह आइना
कुछ भी दिखाओ
उसी पर यकीन कर लेता है !
सब कहते हैं
आइना कभी झूठ नहीं बोलता,
आईने को कोई भी
बरगला नहीं सकता,
उससे कुछ भी छिपाना असम्भव है...
Sudhinama पर sadhana vaid
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एटलस साईकिल पर योग-
यात्रा: भाग ४:
परतूर- अंबड
Niranjan Welankar
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पाचन क्रिया को
खत्म करने वाली चार चीजें
आपकी खाने की आदत, सोने की आदत और पानी पीने की आदत यह सब आपकी पाचन क्रिया से सीधे संबंधित हैं, तो इन पर ध्यान रखिये और इनको ठीक करिये। जितना हम समझते हैं पाचन क्रिया इतनी आसान नहीं है। हम लोग अधिकतर पाचन क्रिया को यह कहकर अनदेखा कर देते हैं कि....
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तेरी निगाहें
ऐसी आकर्षक निगाहें तेरी
यदि पड़ गईं किसी पर
देखते ही प्यार हो जाएगा
यदि भूल से भी वह
इनसे बच कर निकल गया
दिन पूरा उसका खराब जायगा...
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कार्ट्रन :-
नो कमेंट
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"अँधेरे का मध्य बिंदु"
समीर लाल जी की नज़र में
vandana gupta
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----- ॥ दोहा-पद 11॥ -----
-----|| राग मेघ-मल्हार || -----
साँझ सलोनी अति भाई | ( देखु माई )
चारु चंद्र की कनक कनी सी बिंदिया माथ सुहाई || १ ||
उरत सिरोपर सैंदूरि धूरि जगत लखत न अघाई || २ ||
अरुन रथी की रश्मि लेइ के बीथि बीथि बिहराई || ३ ||
दीप अली दुआरि लग जौंहे लौनी लौ न लगाई || ४ ||
बिरत भई गौ धूलिहि बेला रैनि चरन बहुराई || ५ ||
साँझ सलोनी अति भाई | ( देखु माई )
चारु चंद्र की कनक कनी सी बिंदिया माथ सुहाई || १ ||
उरत सिरोपर सैंदूरि धूरि जगत लखत न अघाई || २ ||
अरुन रथी की रश्मि लेइ के बीथि बीथि बिहराई || ३ ||
दीप अली दुआरि लग जौंहे लौनी लौ न लगाई || ४ ||
बिरत भई गौ धूलिहि बेला रैनि चरन बहुराई || ५ ||
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात आज मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदो जून रोटी का हिसाब सबसे अहम् होता है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
इस रचना पर श्री अनमोल माथुर ने एक कथा साझा की है "नमस्ते" पर, जो कविता के विचार क्रम को पूरा करती है.पढियेगा ज़रूर. ऐसा सौभाग्य कम ही मिलता है.
बहुत सुंदर लिंक और रचनाऐं, मेरी रचना को जगह देने के लिये हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।