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रविवार, अगस्त 12, 2018

"बता कहीं दिखा कोई उल्लू" (चर्चा अंक-3061)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 
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दोहे  

"कृमि मुक्ति दिवस"  

(राधा तिवारी" राधेगोपाल ") 

कृमि दिवस पर आज तोकरें कृमि की बात।
 कीड़े पहुंचाते सदाइस तन को आघात।।

 हाथ सदा ही धोइए ,जब हो जाए काम 
साफ रखो अपना सदा ,सुंदर सा यह चाम.. 
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आत्म बोध 

जन्म से मरण तक की सीढ़ियों के उसपार 
शून्य से आरंभ और शून्य की ओर उन्मुख 
यह देह का आकार खोज रहा है सदैव सत्य को 
मैं ही नहीं सन्यासी भी ... 
अपनी तपस्या में कवि .भी .. 
Mera avyakta पर 
राम किशोर उपाध्याय 
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रखते हैं तुम्हें अपने दिल में 

रखते हैं तुम्हें
अपने मन में
छिपाकर  मन की
गहराई में
डरते हैं जमाने  से
कहीं धोका न हो जाए... 
Akanksha पर 
Asha Saxena 
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श्री की जगह  

शहीद लिखती हूं....... 

[मेरी इस कविता में एक शहीद की बेटी के भावों को प्रकट करने का प्रयास किया गया है....} जब तुम पापा! आये थे घर तिरंगे में लिपटकर तब मैं बहुत रोई थी.... शायद तब मैं बहुत छोटी थी, बताया गया था मुझे, तुम मर चुके हो.... 
kuldeep thakur 
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किस्मत 

उम्र पीछे छूट गयी 
रफ़्तार जिंदगी की 
बचपन चुरा ले गयी 
वो आसमानी छटा 
वो सावन की घटा 
बस यादें पुरानी 
दिल की किताबों में 
सिमट रह गयी 
सपनों की वो मंज़िल
 चाँद सितारों सी हो गयी... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL 
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तिरंगे की आह 

फ़िरदौस इस वतन में फ़रहत नहीं रही ,  
पुरवाई मुहब्बत की यहाँ अब नहीं रही . . 
! कौशल ! पर 
Shalini Kaushik 
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अधरों पर मुस्कान 

बरखा रानी दे रही, अधरों पर मुस्कान  
धान बुआई कर रहे, हर्षित भये किसान... 
shashi purwar 
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कोई बात नहीं 

प्यार पर Rewa tibrewal  
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मैं क्या हूँ आप क्या हो न ये तज़्किरा करो 

होना तो चाहिए ही सलीक़ा के क्या करो  
क्यूँ मैं कहूँ के आप भी ये फ़ैसला करो... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर राविवारीय चर्चा। आभार आदरणीय 'उलूक' को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर सार्थक सूत्र एवं हमेशा की तरह पठनीय चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर सार्थक चर्चा,, मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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