सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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हिंदी दिवस:
हिंदी बोलने पर शर्म नहीं, गर्व कीजिए...
*हिंदी* हमारी राजभाषा हैं।
आज भी कई लोग हिंदी को ही राष्ट्रभाषा समझते हैं!
लेकिन हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं, राजभाषा हैं!!
भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं हैं।
क्योंकि भारत में कई प्राचीन भाषाएं हैं
जो पूरी तरह विकसित हैं
और बड़े जनसमूह द्वारा बोली जाती हैं।
Jyoti Dehliwal at
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संभावना
क्या खूब हो अगर* *तुम्हारी कमी को
* *मैं पूरा कर दूं !और मेरे खाली पन्ने कोतुम भर दो !
* *आओ चलो !एक तस्वीर बनाते हैं ,मिल - जुल कर।
अपने - अपनेरंग भर कर।
* *शायद इनके मिलने सेइन्द्रधनुष बन जाये !कितना मज़ा आये !
noopuram at
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चहेते उद्योगपतियों के लिए
कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग कर दी ------
गिरीश मालवीय
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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585.
फ़ॉर्मूला...
मत पूछो ऐसे सवाल
जिसके जवाब से तुम अपरिचित हो
तुम स्त्री-से नहीं
समझ न सकोगे
स्त्री के जवाब
तुम समझ न पाओगे
स्त्री के जवाब में
जो मुस्कुराहट है
जो आँसू है
आखिर क्यों है...
डॉ. जेन्नी शबनम
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ये विखंडनवादी तत्व जीयेंगे
तो भारत मरेगा
अरुंधति राय का टोला विचार एक वेशभूषा और नाम अनेक। ये सारे एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं :कश्मीरी अलगाववादी ,नक्सली ,माओवादी ,सीपीआई ,सीपीआई (एम् ),रक्तरँगी वाम पंथी इतिहासखोर रामचंद्र गुहा , अरुंधति राय ,सागरिका घोष ,प्रशान्त भूषन ,और ऐसे ही इनके और संगी साथी। इन्होनें देश को तोड़ने की अपने तरीके से बहुबिध कोशिश की है। रामचंद्र गुहा जैसों ने आपात काल में आरएसएस के योगदान अवदान और अभिव्यक्ति को बहाल करवाने में सहने न सहने योग्य कष्टों को हँसते हँसते झेलने की अवमानना तथा हेटी अपनी पूरी सामर्थ्य से की...
Virendra Kumar Sharma
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शायद यही परिवर्तन है!
आजकल टीवी के लिये फिल्म बनाने की कवायद जोर-शोर से चल रही है इनमें से अधिकतर फिल्म आधुनिक सोच को लिये होती है। वे युवा मानसिकता को हवा देती हैं और एक सुगम और सरस मार्ग दिखाती हैं। हर कोई इनसे प्रभावित होता है। क्यों प्रभावित होता है? क्योंकि ऐसे जीवन में अनुशासन नहीं होता, पूर्ण स्वतंत्रता की मानसिकता को दर्शाने का प्रयास रहता है और जहाँ कोई भी अनुशासन नहीं हो भला वह सोच किसे नहीं पसन्द होगी! मैं नवीन पीढ़ी की सोच से रूबरू होना चाहती हूँ इसलिये जब भी मौका मिलता है इन फिल्मों को टीवी पर देख लेती हूँ। मेरी संतान के मन में भी क्या चल रहा है, मुझे भान हो जाता है और मैं सतर्क हो जाती हूँ...
smt. Ajit Gupta
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर सोमवारीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंजन्माष्ट्मी की हार्दिक शुभकामनाएं...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, राधा दी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं!!!
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना
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