मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गीत
"हिन्दी की बिन्दी"
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गौरय्या का नीड़, चील-कौओं ने है हथियाया
हलो-हाय का पाठ हमारे बच्चों को सिखलाया
जाल बिछाया अपना, छीनी है हिन्दी की बिन्दी
अपने घर में हुई परायी, अपनी भाषा हिन्दी
खोटे सिक्के से लोगों के मन को है बहलाया
हिन्दीभाषा से हमने, भारत स्वाधीन कराया
हिन्दी में भाषण करके, सत्ता का आसन पाया
लेकिन गद्दी पाते ही उस हिन्दी को बिसराया
चीन और जापान आज भाषा के बल पर आगे
किन्तु हमारे खेवनहारे नहीं नींद से जागे
अन्न देश का खाकर, हमने राग विदेशी गाया
वाणी क्यों हो गयी विदेशी, क्या ऐसी लाचारी
विश्वपटल पर कैसे होगी, अब पहचान हमारी
पुरखों के गौरव-गुमान पर भी संकट गहराया
अन्धे-गूँगे-बहरों को क्या अपनी व्यथा सुनायें
हुक्मरान हिन्दी के दिन को हिन्दी-डे बतलाएँ
हलवा-पूड़ी व्यञ्जन छोड़े, पिज्जा-बर्गर खाया
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निर्भया
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
निर्भया के साथ जो कुछ था हुआ
उसने तो पूरी धरा को था छुआ
रात का अंधियार अब भी बोलता है
ईमान निशा काल में क्यों डोलता है...
राधे का संसार पर
RADHA TIWARI
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कितनी छलक गयी
कितनी जमा हुई
बूँदें बारिश की
कुछ गिनी गयी
कुछ गिनते गिनते भी
यूँ ही कहीं और ही रह गयी
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उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
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587.
मीठी-सी बोली
(हिन्दी दिवस पर 10 हाइकु)
1.
मीठी-सी बोली
मातृभाषा हमारी
ज्यों मिश्री घुली!
2.
हिन्दी है रोती
बेबस व लाचार
बेघर होती! ...
डॉ. जेन्नी शबनम
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*हिन्दी फिल्मों के गायक कलाकार*
गायक कलाकार फिल्मों के, रहते हैं पर्दे से दूर
किन्तु नायिका नायक को वे, कर देते काफी मशहूर...
अरुण कुमार निगम
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जन्मदिवस हिंदी
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बावरा मन पर
सु-मन (Suman Kapoor)
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तेरे मेरे मन के नगर झितिज के पार होंगे
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tHe Missed Beat पर dr.jafar
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कहीं दीप जलेंगे – कही दिल
साँप-छछून्दर की दशा, मुहावरा तो आपने सुना ही होगा। एक साँप ने छछून्दर पकड़ लिया, अब यदि साँप छछून्दर को निगल लेता है तो वह अंधा हो जाता है और उगलना उसके वश में नहीं। मैंने इस मुहावरे का उल्लेख क्यों किया है, यह बताती हूँ। परसो मोदी जी अपने कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे। एक महिला कार्यकर्ता ने पूछा कि 17 सितम्बर को आपका जन्मदिन है, इसे हम कैसे मनाएं? मोदी जी ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना था, उससे पहले तक मुझे मेरे जन्मदिन का पता भी नहीं था, फिर लोगों ने मनाना शुरू किया, अब चूंकि मैं बड़े पद पर हूँ तो सभी यह प्रश्न करते हैं। मैं एक काम करने को कहता हूँ, क्या आप करेंगे...
smt. Ajit Gupta
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"हिन्दी"
(अतुल बालाघाटी)
दया सभ्यता प्रेम समाहित जिसके बावन बरनों में
शरणागत होती भाषाएं जिसके पावन चरनों में...
आपका ब्लॉग पर
atul Balaghati
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बिना खोये और बिना चाशनी के बनाइए
ताजा नारियल की बर्फी
(fresh coconut barfi
without khoya and chashni)
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंचर्चा का एक और अंक बहुत शानदार हैं
आभार
बहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंधन्यबाद।
सुन्दर लिंक्स.आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन। आभार।
जवाब देंहटाएंduibaat.blogspot.com
सुन्दर रविवरीय संकलन। आभार आदरणीय 'उलूक' की बारिश की बूँदों को भी आज की चर्चा में जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी .
जवाब देंहटाएंहिंदी की बिंदी सदा दमकती रहे .
चर्चा में नित नए रंग भरती रहे .
बहुत ही बढ़िया संकलन, और मेरी पोस्ट को जगह देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंअपना अंतर्जाल