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रविवार, सितंबर 16, 2018

"हिन्दी की बिन्दी" (चर्चा अंक-3096)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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गीत  

"हिन्दी की बिन्दी"  


गौरय्या का नीड़चील-कौओं ने है हथियाया 

हलो-हाय का पाठ हमारे बच्चों को सिखलाया
जाल बिछाया अपनाछीनी है हिन्दी की बिन्दी 

अपने घर में हुई परायीअपनी भाषा हिन्दी 
खोटे सिक्के से लोगों के मन को है बहलाया
हिन्दीभाषा से हमनेभारत स्वाधीन कराया 

हिन्दी में भाषण करकेसत्ता का आसन पाया 
लेकिन गद्दी पाते ही उस हिन्दी को बिसराया
चीन और जापान आज भाषा के बल पर आगे 

किन्तु हमारे खेवनहारे नहीं नींद से जागे 
अन्न देश का खाकरहमने राग विदेशी गाया
वाणी क्यों हो गयी विदेशीक्या ऐसी लाचारी 

विश्वपटल पर कैसे होगीअब पहचान हमारी 
पुरखों के गौरव-गुमान पर भी संकट गहराया
अन्धे-गूँगे-बहरों को क्या अपनी व्यथा सुनायें 

हुक्मरान हिन्दी के दिन को हिन्दी-डे बतलाएँ 
हलवा-पूड़ी व्यञ्जन छोड़ेपिज्जा-बर्गर खाया 
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निर्भया  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )  

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निर्भया के साथ जो कुछ था हुआ
उसने तो पूरी धरा को था छुआ
 रात का अंधियार अब भी बोलता है
 ईमान निशा काल में क्यों डोलता है... 

राधे का संसार पर 

RADHA TIWARI  

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587.  

मीठी-सी बोली  

(हिन्दी दिवस पर 10 हाइकु) 

1.   
मीठी-सी बोली   

मातृभाषा हमारी   
ज्यों मिश्री घुली!   
2.   
हिन्दी है रोती   
बेबस व लाचार   
बेघर होती! ... 
डॉ. जेन्नी शबनम 
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दायरा 


ये अब किन दायरों में सिमट गए हो तुम... 
छोड़ कर बाबुल का आंगन, 

इक दहलीज ही तो बस लांघी थी तुमने! 
आशा के फूल खिले थे मन में,  
नैनों में थे आने वाले कल के सपने, 
उद्विग्नता मन में थी कहीं, 
विस्तृत आकाश था दामन में तुम्हारे! 
ये अब किन दायरों में सिमट गए हो तुम... 
purushottam kumar sinha 
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*हिन्दी फिल्मों के गायक कलाकार* 

गायक कलाकार फिल्मों के, रहते हैं पर्दे से दूर  
किन्तु नायिका नायक को वे, कर देते काफी मशहूर... 
अरुण कुमार निगम 

कहीं दीप जलेंगे – कही दिल 

साँप-छछून्दर की दशा, मुहावरा तो आपने सुना ही होगा। एक साँप ने छछून्दर पकड़ लिया, अब यदि साँप छछून्दर को निगल लेता है तो वह अंधा हो जाता है और उगलना उसके वश में नहीं। मैंने इस मुहावरे का उल्लेख क्यों किया है, यह बताती हूँ। परसो मोदी जी अपने कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे। एक महिला कार्यकर्ता ने पूछा कि 17 सितम्बर को आपका जन्मदिन है, इसे हम कैसे मनाएं? मोदी जी ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना था, उससे पहले तक मुझे मेरे जन्मदिन का पता भी नहीं था, फिर लोगों ने मनाना शुरू किया, अब चूंकि मैं बड़े पद पर हूँ तो सभी यह प्रश्न करते हैं। मैं एक काम करने को कहता हूँ, क्या आप करेंगे... 
smt. Ajit Gupta  
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"हिन्दी"  

(अतुल बालाघाटी) 

दया सभ्यता प्रेम समाहित जिसके बावन बरनों में  
शरणागत होती भाषाएं जिसके पावन चरनों में... 
atul Balaghati  
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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    चर्चा का एक और अंक बहुत शानदार हैं
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर रविवारीय चर्चा।
    धन्यबाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर रविवरीय संकलन। आभार आदरणीय 'उलूक' की बारिश की बूँदों को भी आज की चर्चा में जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन संकलन एवं प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद शास्त्रीजी .

    हिंदी की बिंदी सदा दमकती रहे .
    चर्चा में नित नए रंग भरती रहे .

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही बढ़िया संकलन, और मेरी पोस्ट को जगह देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी।

    अपना अंतर्जाल

    जवाब देंहटाएं

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