मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जहां कोई अपना न था
गांव अपना खोजता रहा
वर्षों
पर लकीरें मिटती रही
वहीं
जहां कोई अपना न था...
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मेरे मितवा
Sudhinama पर sadhana vaid
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उल्फ़त में तेरी..।।
उल्फ़त में तेरी कोई ,भी सज़ा क़बूल है।
बे वजह ही सही कोई ,भी वज़ह क़बूल है...
kamlesh chander verma
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
जवाब देंहटाएंकितने ही वट वृक्ष थे, तब भी दल में शेष।
अनुभवहीन-अयोग्य क्यों, फिर बन गया विशेष।।
जन-गण ने युवराज को, बिल्कुल दिया नकार।
इसीलिए तो देश में, बदल गयी सरकार।।
वंशवाद के दंश को, झेल न पाया देश।
बदल सियासत का दिया, जनता ने परिवेश।।
संसद में कमजोर है, अब तो बहुत विपक्ष।
इसीलिए मनमानियाँ, करता सत्तापक्ष।।
रोज-रोज ही बढ़ रहे, अब ईंधन के दाम।
मोदी की मँहगाई पर, कोई नहीं लगाम।।
बेहतरीन दोहावली शास्त्री जी की एक प्रतिक्रिया इस दोहावली से प्रेरित :
अमरनाथ तेरे धाम पर ,पहुंचे हैं युवराज
गंगे तेरे हाथ अब कांग्रेस की लाज।
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न जाना रूठ कर प्रियवर मना लूंगी तुम्हें आकर
जवाब देंहटाएंराधा के तो धड़कन की अभी अनुनाद बाकी है
कई संवाद बाकी हैं ,कई रुस्वाइयाँ बाकी ,
कहाँ को छोड़के प्याला चले जाते मेरे साकी। बेहतरीन ग़ज़ल राधे तिवारी राधे गोपाल की।
जयश्रीकृष्ण जय राधे राधे !
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उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लिंक्स एवं सुन्दर सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंsundar charcha shamil karne hetu hardik dhnyawad
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंतुलसी के पत्ते सूखे हैं और कैक्टस आज हरे हैं ,
जवाब देंहटाएंआज राम को भूख लगी है ,रावण के भण्डार भरे हैं।
प्रतिभा को अब जंग लगी है छिड़ी कलम के संग लड़ाई ,
आरक्षित क्यों करें पढ़ाई ,कैसी भैया गाढ़ी कमाई।
बढ़िया शब्दचित्र रस्मी रावण जल भी जाए तो क्या अंदर तो वही ठांठें मार रहा है।
kabirakhadabazarmein.blogspot.com
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तुलसी के पत्ते सूखे हैं और कैक्टस आज हरे हैं ,
आज राम को भूख लगी है ,रावण के भण्डार भरे हैं।
प्रतिभा को अब जंग लगी है छिड़ी कलम के संग लड़ाई ,
आरक्षित क्यों करें पढ़ाई ,कैसी भैया गाढ़ी कमाई।
बढ़िया शब्दचित्र रस्मी रावण जल भी जाए तो क्या अंदर तो वही ठांठें मार रहा है।
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सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका धन्यवाद