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शनिवार, सितंबर 08, 2018

"मँहगाई पर कोई नहीं लगाम" (चर्चा अंक-3088)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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देह की नौका 


प्यार पर Rewa tibrewal  
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जहां कोई अपना न था 

गांव अपना खोजता रहा
वर्षों
पर लकीरें मिटती रही
वहीं
जहां कोई अपना  था... 
हमसफ़र शब्द पर संध्या आर्य  
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मेरे मितवा 

Sudhinama पर sadhana vaid 
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उल्फ़त में तेरी..।। 

उल्फ़त में तेरी कोई ,भी सज़ा क़बूल है।  
बे वजह ही सही कोई ,भी वज़ह क़बूल है... 
kamlesh chander verma 
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10 टिप्‍पणियां:


  1. कितने ही वट वृक्ष थे, तब भी दल में शेष।
    अनुभवहीन-अयोग्य क्यों, फिर बन गया विशेष।।

    जन-गण ने युवराज को, बिल्कुल दिया नकार।
    इसीलिए तो देश में, बदल गयी सरकार।।

    वंशवाद के दंश को, झेल न पाया देश।
    बदल सियासत का दिया, जनता ने परिवेश।।

    संसद में कमजोर है, अब तो बहुत विपक्ष।
    इसीलिए मनमानियाँ, करता सत्तापक्ष।।

    रोज-रोज ही बढ़ रहे, अब ईंधन के दाम।
    मोदी की मँहगाई पर, कोई नहीं लगाम।।

    बेहतरीन दोहावली शास्त्री जी की एक प्रतिक्रिया इस दोहावली से प्रेरित :
    अमरनाथ तेरे धाम पर ,पहुंचे हैं युवराज
    गंगे तेरे हाथ अब कांग्रेस की लाज।
    veeruji005.blogspot.com

    veerubhai1947.blogspot.com

    veerijialami.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. न जाना रूठ कर प्रियवर मना लूंगी तुम्हें आकर
    राधा के तो धड़कन की अभी अनुनाद बाकी है
    कई संवाद बाकी हैं ,कई रुस्वाइयाँ बाकी ,
    कहाँ को छोड़के प्याला चले जाते मेरे साकी। बेहतरीन ग़ज़ल राधे तिवारी राधे गोपाल की।
    जयश्रीकृष्ण जय राधे राधे !
    veerusa.blogspot.com

    veerujan.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही बेहतरीन लिंक्स एवं सुन्दर सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  6. तुलसी के पत्ते सूखे हैं और कैक्टस आज हरे हैं ,

    आज राम को भूख लगी है ,रावण के भण्डार भरे हैं।

    प्रतिभा को अब जंग लगी है छिड़ी कलम के संग लड़ाई ,

    आरक्षित क्यों करें पढ़ाई ,कैसी भैया गाढ़ी कमाई।

    बढ़िया शब्दचित्र रस्मी रावण जल भी जाए तो क्या अंदर तो वही ठांठें मार रहा है।

    kabirakhadabazarmein.blogspot.com

    veeruji05.blogspot.com

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    veerujiaalami.blogspot.com

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    आज राम को भूख लगी है ,रावण के भण्डार भरे हैं।

    प्रतिभा को अब जंग लगी है छिड़ी कलम के संग लड़ाई ,

    आरक्षित क्यों करें पढ़ाई ,कैसी भैया गाढ़ी कमाई।

    बढ़िया शब्दचित्र रस्मी रावण जल भी जाए तो क्या अंदर तो वही ठांठें मार रहा है।

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  7. सुन्दर चर्चा
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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