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शनिवार, सितंबर 15, 2018

"हिंदी पर अभिमान कीजिए" (चर्चा अंक-3095)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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गीत  

"हिंदी पर अभिमान कीजिए"  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 


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भारत में रहने वालों हिंदी पर अभिमान कीजिए 
अपनी भाषा बोली पर इस जीवन को बलिदान कीजिए... 
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हैप्पी हिंदी डे डूड 

हिंदी को लेकर कई तरह की दुकानदारियां चल रही हैं, चलती आ रही हैं और चलती ही रहेंगी. आम जन हिंदी में लिखने को साहित्य समझता है. साहित्यकार भी मठाधीशी करते हुए हिंदी को अपनी बपौती समझने लगे हैं. विश्व हिंदी दिवस से लेकर तमाम विमर्श हैं हिंदी में, पर ज्ञान की भाषा अभी भी अंग्रेजी क्यों है?... 
गुस्ताख़ पर Manjit Thakur 
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लेखक 

मतदाता का पक्ष होता है, वो किसी व्यक्ति को अपना मत देता है। लेकिन लेखक को निष्पक्ष होकर विषय पर ही लिखना चाहिए, व्यक्ति पर नहीं... 
ZEAL 
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हिन्दी का घर वार है  

हिन्दी ही है हमारी हम सफर, हम राज है।  
हर हिन्दूस्तानी इस पर करे,नित नाज है... 

स्व रचना पर 

Girijashankar Tiwari 

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रूप तेरा 

Akanksha पर Asha Saxena - 
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यह जीवन है... 

ये रिश्ते भी अजीब होते हैं..  
कुछ अपने हो कर भी अपने नहीँ लगते ..  
कुछ पराए हो कर भी पराए नही लगते ..  
नयी उड़ान + पर Upasna Siag  
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कमजोर नहीं हैं हम ... 

कमजोर नहीं हैं हम 
हम तो वो बहती हवा हैं 
जो नदियों का रुख बदल देतीं हैं ... 
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5 टिप्‍पणियां:

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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