सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ज़िक्र होता है जब क़यामत का
ज़िक्र होता है जब क़यामत का
तेरे जलवों की बात होती है
तू जो चाहे तो नोट बदलता है
तू जो जागे तो रात होती है...
Rahul Upadhyaya at
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कविता :
जब मैं बैठा माँ से हटकर,
पूछा उनसे एक सवाल डटकर |
कौन है भीमराव अंबेडकर,
सोचने लगी वह कुछ देर बैठकर |
चुपके से खिसक लिया वहां से,
माँ बैठी थी जहाँ पर |
गया मैं पुस्तकालय के अंदर,
दिखा मुझे ज्ञान का समंदर |
एक किताब उठाकर देखा,
उनके बारे में था लिखा |
समझ में आया उसको पढ़कर,
कौन थे भीमराव अम्बेडकर |
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर ...
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मरने के इन्तजार में एक दिन
जिस दिन
मैं मर जाऊंगा
घर के सामने वाला पेड़
कट जाएगा
उजड़ जाएंगे
कई जोड़े घोसले
उनपर नहीं चहचहाएंगी
गौरैया मैना...
मैं मर जाऊंगा
घर के सामने वाला पेड़
कट जाएगा
उजड़ जाएंगे
कई जोड़े घोसले
उनपर नहीं चहचहाएंगी
गौरैया मैना...
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जलोटा कहां और शर्मा यहां....!
ऐसा क्यों ?
आज हारमोनियम ने पंजाब के एक छोटे से शहर के, एक छोटे से मोहल्ले के, एक छोटे से घर में रहने वाले अपने प्रियजन, पुरषोत्तम दास जलोटा के सुपुत्र अनूप जलोटा को, उनकी पकी उम्र के बावजूद, ऐसा सम्मान, ऐसी शोहरत, ऐसी मित्र मंडली फिर दिलवाई, जिसके लिए युवा लोग तरसते रह जाते हैं। आज अनूप जी के जलवे देख लोग दांतों के नीचे ऊँगली रख चबाए जा रहे हैं। चबाने से ध्यान आया कि उंगली तो मेरी भी दर्द कर रही है; और क्यों ना करे ! पंजाब के उसी शहर फगवाड़े के उसी हांड़ों के मोहल्ले, उसी गली में मेरा भी तो निवास था ! मेरे घर पर भी हारमोनियम था ! भजनों से मेरा भी नाता था ! आज मेरी भी उम्र हो गयी है ! तो फिर; जलोटा कहां और शर्मा यहां क्यों ?...
कुछ अलग सा पर
गगन शर्मा
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माँ ...
मेज़ पर सारी किताबों को सजा देती थी माँ
चार बजते ही सुबह पढने उठा देती थी माँ
वक़्त पे खाना, समय पे नींद, पढना खेलना
पेपरों के दिन तो कर्फ्यू सा लगा देती थी माँ...
Digamber Naswa
सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंआभार इतने रंगों से भरी चर्चा प्रस्तुत करने और हमे जोड़ने के लिए।
धन्यवाद
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार राधा जी चर्चा मंच पर आपने मेरे द्वारा लिखी रचना को स्थान दिया
सादर
विस्तृत चर्चा है आज की ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए ...
सुन्दर चर्चा। आभार राधा जी 'उलूक' के रोने को भी आज की प्रस्तुति में जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा। आभार।
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा। आभार राधा बहन जी।
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या! सभी प्रस्तुती अतिउतम, काजल भाईसाब के कार्टून हमेशां लाजवाब होते हैं।
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट -: विंडोज एक्स्प्लोरर में एड करें क्रोम ब्राउज़र की तरह टैब