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बुधवार, सितंबर 12, 2018

"क्या हो गया है" (चर्चा अंक-3092 )

सुधि पाठकों!
 बुधवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बीहड़- इक याद 

यदा कदा जाता हूँ मैं यादों के उन बीहड़ में.... 
यत्र तत्र झाड़ झंखर, राहों में धूल कंकड़, 

कंटीली झाड़ियों से ढ़की,  
वीरान सी वो बीहड़, 
वृक्ष विशाल से उग आए हैं अब वहाँ, 
शेष है कुछ तस्वीरें,  
बसी है जिनसे वो जहाँ, 
कुछ बातें कर लेता हूँ मैं उनसे वहाँ... 
यदा कदा जाता हूँ मैं यादों के उन बीहड़ में....  

purushottam kumar sinha  
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586.  

चाँद रोज़ जलता है 

तूने ज़ख़्म दिया तूने कूरेदा है   

अब मत कहना क़हर कैसा दिखता है।   
राख में चिंगारी तूने ही दबाई   
अब देख तेरा घर खुद कैसे जलता है... 
डॉ. जेन्नी शबनम  

अनकहा हो दर्द तब लावा पिघलता है 

इस जगत में जो सभी से प्रेम करता है  
वह तपिश में चाँदनी बनकर उतरता है... 
ऋता शेखर 'मधु' 
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5 टिप्‍पणियां:

  1. blogpaksh.blogspot.com
    blogpaksh2015.blogspot.com
    vaahgurujio.blogspot.com
    बड़ा मनोहर यह है गीत :
    आज मेरे देश को क्या हो गया है?
    मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
    वोट की है भूख बस सबको यहां ,

    जवाब देंहटाएं

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