सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के संकल्प के साथ
मॉरीशस में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव संपन्न
--
--
--
बीहड़- इक याद
यत्र तत्र झाड़ झंखर, राहों में धूल कंकड़,
कंटीली झाड़ियों से ढ़की,
वीरान सी वो बीहड़,
वृक्ष विशाल से उग आए हैं अब वहाँ,
शेष है कुछ तस्वीरें,
बसी है जिनसे वो जहाँ,
कुछ बातें कर लेता हूँ मैं उनसे वहाँ...
यदा कदा जाता हूँ मैं यादों के उन बीहड़ में....
purushottam kumar sinha
--
--
--
--
--
--
--
586.
चाँद रोज़ जलता है
तूने ज़ख़्म दिया तूने कूरेदा है
अब मत कहना क़हर कैसा दिखता है।
राख में चिंगारी तूने ही दबाई
अब देख तेरा घर खुद कैसे जलता है...
डॉ. जेन्नी शबनम
अनकहा हो दर्द तब लावा पिघलता है
इस जगत में जो सभी से प्रेम करता है
वह तपिश में चाँदनी बनकर उतरता है...
मधुर गुंजन पर
ऋता शेखर 'मधु'
--
--
--
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंblogpaksh.blogspot.com
जवाब देंहटाएंblogpaksh2015.blogspot.com
vaahgurujio.blogspot.com
बड़ा मनोहर यह है गीत :
आज मेरे देश को क्या हो गया है?
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है?
वोट की है भूख बस सबको यहां ,
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं