मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्रॉपर्टी -
लघुकथा
"अभी आ रही हो,
इतनी रात गए कहाँ थी तुम?"
"मैं तुम्हारी प्रॉपर्टी नहीं
जो तुम मुझपर बन्धन लगाओ" ,,,
इतनी रात गए कहाँ थी तुम?"
"मैं तुम्हारी प्रॉपर्टी नहीं
जो तुम मुझपर बन्धन लगाओ" ,,,
मधुर गुंजन पर
ऋता शेखर 'मधु'
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बिना मालिक के भी कोई जीवन है?
हाय रे हाय, कल मुझसे मेरा मालिक छिन गया! कितना अच्छा तो मालिक था, अब मैं बिना मालिक के कैसे गुजरा करूंगी? मेरी आदत मालिक के पैरों में लौटने की हो गयी थी, उसकी जंजीर से बंधे रहने की आदत हो गयी थी। मैं किताब हाथ में लेती तो मालिक से पूछना होता, यदि कलम हाथ में लेती तो मालिक से पूछना होता, हाय अब किससे पूछूगी? मेरी तो आदत ही नहीं रही खुद के निर्णय लेने की, मैं तो पूछे बिना काम कर ही नहीं सकती...
smt. Ajit Gupta
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आधार कार्ड पर
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला,
जानें 10 बड़ी बातें
फैक्ट फाइल
Active Life पर
Sawai Singh Rajpurohit
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रंगसाज़
सफेद जिंदगी
एक माँ अनेक रंगों की
एक इंतजार रंगीन हो जाने का
एक उतावलापन रंगों को जनने का.
मिलन हो उनसे तो पनपे
वो रंग जो तितलियाँ
अपने पंखों में सजाये रखती है.
वो सिंदूरी
जो सूरज ढल आई शाम को
आसमाँ की गालों पर
हक से लगा देता है. ...
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नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि
प्रायः हम सभी, मौत से डरते हैं और यह भी सच है कि एक ना एकदिन मरते हैं। गीता कहती है, आत्मा को, ना तो शस्त्र काट सकता, ना हवा सुखा सकती है, ना पानी गला सकता, ना ही आग जला सकती है। यानि आत्मा अमर है फिर मौत से किस बात का डर है? सिर्फ शरीर ही तो मरता है और आत्मा हमेशा जिन्दा रहती है। बावजूद इसके, मानवता मौत से डरी हुई है...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय चर्चा मंच पर आपने मेरे द्वारा लिखी रचना को स्थान दिया ।
सभी रचना कारों को हार्दिक बधाई।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
साथ ही आपके संदेश-(पावन हो परिवेश ) मन में स्फूर्ति का संचार करते।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शनिवारीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स.
जवाब देंहटाएंआधार की जानकारी का लेख बेहद अच्छा लगा.
आभार
सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंचित्रकूट के घाट पर शह -ज़ादन की भीर ,
जवाब देंहटाएंममता जी चंदन घिसें माया लें तस्वीर।
भारत भर में हो गए गली- गली शिव भक्त ,
रोटी सबको मिलेगी भैया दोनों वक्त।
बड़ा अनोखा हो गया राजनीति का भांड।
जनता मुंह तकती रहे खुद ही खा लें खांड।
उठकर सुबह जापिये एक नाम राफेल ,
वोट मिले या न मिले ये सत्ता का खेल।
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एक श्राप जो राहुल गांधी को
कभी पीएम नहीं बनने देगा!
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर
लिखने वाली आप हो, मैं हूँ मात्र निमित्त।
जवाब देंहटाएंपावन करना चित्त को, नहीं चाहिए वित्त।।
न हम किया न करेंगे ,न किछु करे शरीर ,
जो कुछ किया सो तुम किया ,हुआ कबीर कबीर।
वंदना के स्वर तुम्हारे ,राग शब्द अउरु भाव सारे ,
सब तुम्हारे सब तुम्हारे ,.....
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बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंराजनीति का खेत चुगे ,
जवाब देंहटाएंउड़ी जाये यहां चिरैया ,
सभै सुनो मेरे भैया।
बेहतरीन हाइकु राधे तिवारी जी के।
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जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
मेरी ब्लॉग पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद/🙏🏻🙏🏻आभार