मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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तेल में आग और रुपये पर पानी
तिवारी जी का पुराना बकाया है घंसू पर. आज जब तिवारी जी ने पुनः तकादा किया तो घंसू भड़क उठे. उधार का व्यवहार ही यह है कि जब अपना ही पैसा वापस मांगो तो भीखमंगे से बत्तर नजर आते हो. क्या मतलब है तिवारी जी आपका? कोई भागे जा रहे हैं क्या? तिवारी जी भी गुस्से में आ गये बोले कि भाग तो नहीं रहे मगर रुपया भी तो वापस नहीं कर रहे हो? चार साल हो गये. दो महिना में लौटा देंगे बोल कर लिया था. हर चीज की एक हद होती है. रकम भी छोटी मोटी तो है नहीं, पूरे ५० हजार हैं. वो तो भला मानो कि हम ब्याज नहीं लगा रहे! किसी किसान से पूछ कर देखो कि सरकार कैसे ऋण देती है और कैसे ब्याज वसूलती है?...
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कुछ मंदिरों में प्रवेश निषेध जैसे
नियमों का औचित्य
उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में फूहड़ता प्रदर्शित करती युवती **जैसे लोग अच्छी तरह जानते हैं कि उनके कर्म-कुकर्म के विरोध में यदि हजार आवाजें उठेंगीं तो पक्ष में भी सौ लोग खड़े हो जाएंगे ! यही सौ लोग सदा ऐसे सिरफिरों की ताकत और ढाल बन उनका मंतव्य पूरा करवाने का जरिया बन जाते हैं। । कुछ दिनों पहले तक कौन इस युवती को जानता था ! आज वह घर-घर में पहचानने वाली "चीज'' हो गयी है। उसका उद्देश्य पूरा हो गया है; देख लीजिएगा आने वाले कुछ ही दिनों में हमारे किसी ''पारखी-जौहरी'' फिल्म निर्माता ने उसे अपनी फिल्म ऑफर कर देनी है.......
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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My Lord,
आप भी सोचिए कि
मॉब लिंचिंग पर कानून की
जरूरत ही क्यों पड़ी ?
अब छोड़ो भी पर
Alaknanda Singh
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सुन्दर रविवारीय चर्चा में शीर्षक पर 'उलूक' को स्थान देने के लिये आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्रीजी, रविवारीय बैठक में शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंकाजल कुमारजी के कार्टून ने हँसा दिया.
अलकनंदा जी के प्रश्न में उत्तर निहित है. हम सबको सोचना चाहिए ऐसी चीज़ें क्या कानून बना कर रोकी जा सकती हैं ? लक्षण नहीं मर्ज का इलाज होता है. बहुत सार्थक शीर्षक और चर्चा.
नमस्ते.
चिट्ठागिरी का भी उसूल होता है ...बात मज़ेदार और असरदार लगी !
जवाब देंहटाएंभाई वाह !
धन्यवाद शास्त्री जी , मेरी ब्लॉगपोस्अ को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स। आभार
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