अत्यंत सुन्दर एवं विविध रंग के सूत्रों का गुलदस्ता आज के मंच पर ! मेरी रचना को भी आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी !
झूठ के प्रभाव से, सत्य है डरा हुआ, बेबसी के भाव से, आदमी मरा हुआ, राम के ही देश में, राम बेकरार है। तन-बदन में आज तो, बुखार ही बुखार है।। सशक्त रचना है शास्त्री जी की।
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राम तो मरा नहीं है आदमी मरा हुआ , सत्य को नकारने पे इस कदर अड़ा हुआ , चोर -चोर खुद ही करे चोर बे-दयार है।
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बेहद सुंदर रचनाओं से सजा गुलदस्ता तैयार है आज के अंक में,मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभारी हूँ आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसादर।
बेहतरीन लिंक्स, पठनीय सुंदर रचनाएँ ! चर्चामंच की खूबसूरत प्रस्तुति में अपनी रचना देखना अच्छा लगता है। सादर धन्यवाद आदरणीय !
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर एवं विविध रंग के सूत्रों का गुलदस्ता आज के मंच पर ! मेरी रचना को भी आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा मंच की प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसार्थक लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
सुन्दर गुरुवारीय गुलदस्ते में 'उलूक' के सिम सिम को भी जगह देने के लिये आभार दिलबाग जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स.....दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका.....आभार !!
विविधरंगी रचनाओं के सूत्र देता आज का चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंदिल बाग-बाग हो गया
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर लिंकों से सजी चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंझूठ के प्रभाव से, सत्य है डरा हुआ,
जवाब देंहटाएंबेबसी के भाव से, आदमी मरा हुआ,
राम के ही देश में, राम बेकरार है।
तन-बदन में आज तो, बुखार ही बुखार है।।
सशक्त रचना है शास्त्री जी की।
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राम तो मरा नहीं है आदमी मरा हुआ ,
सत्य को नकारने पे इस कदर अड़ा हुआ ,
चोर -चोर खुद ही करे चोर बे-दयार है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आपको धन्यवाद।
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