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बुधवार, नवंबर 14, 2018

"बालगीत और बालकविता में भेद" (चर्चा अंक-3155)

सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू को  

शत्-शत् नमन! 

शासक था स्वदेश का पहला,
अपना प्यारा चाचा।
नवभारत के निर्माता का,
मन था सीधा-साचा।
उद्योगों का जिसने,
चौबिस घण्टे चक्र चलाया।
उसका जन्मदिवस भारत में
बाल दिवस कहलाया।।
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आस्था  

आस्था है मन की  मर्जी
किसी पर थोपी नहीं जाती
जिसकी जैसी सोच हो
वह वहीं ठहर जाती |
आत्मविश्वास सुद्रढ़ हो जब
 कोई नहीं बदल सकता उसे
मन का मालिक है वह
अच्छे बुरे का है  भान 
तभी सफल है जिन्दगी
 यही उसका प्रमाण ... 
Akanksha पर 
Asha Saxena  
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"बालगीत और बालकविता में भेद"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 

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सामने कारनामे जो आने लगे -  

अर्पित शर्मा "अर्पित" 

yashoda Agrawal  
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चलते जाने का सबब कोई नहीं 

Pratibha Katiyar 
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कार्टून :-  

शेक्‍सपियर, तुझे क्‍या पता  

कि नाम में क्‍या-क्‍या रक्‍खा है 

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  1. श्याम बिहारी श्यामल की ग़ज़ल -  

हर चेहरा सब कुछ कहता था 

Shyam Bihari Shyamal 
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परख :  

कोरियाई कविता के  

हिंदी अनुवाद की समस्या :  

पंकज मोहन 

arun dev  
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नाम’ और उससे जुड़ी राजनीति 

जिज्ञासा पर pramod joshi  
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एक मुक्तक 

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विज्ञापनों में सार्थक और  

सकारात्मक संदेश होने चाहिए 

कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 
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बिखरे शब्द 

purushottam kumar sinha 
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2 टिप्‍पणियां:

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