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Wednesday, November 28, 2018

"नारी की कथा-व्यथा" (चर्चा अंक-3169)

सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

संस्कृत पर दोहे  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

थोड़े शब्दों में बने,  संस्कृत के सब वाक्य। घर में जाकर कीजिएआप सदा शालाक्य ।।
फोर्ब्स मैगजिन बोलतेसंस्कृत को उपयुक्त। बोलचाल में कीजिएइसको भी प्रयुक्त... 
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नवम्बर 

सु-मन (Suman Kapoor) 
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सजाई महफिलें  

जो प्रेम की  

खामोश पायल ने ...  

सजाई महफिलें जो प्रेम की खामोश पायल ने
मधुर वंशी बजा दी नेह की फिर श्याम श्यामल ने... 
Digamber Naswa  
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हुस्न का इश्क़ पे  

बे तर्ह फ़िदा हो जाना 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’  
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नीले आसमान पर 

लिखता मन पढता तन  
सफ़र में एक परिंदा  
पेड की शाख पर बैठा  
इंतजार करता भोर की... 
संध्या आर्य  
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"एक फुट के मजनूमियाँ"  

आदरणीया रश्मि प्रभा जी की नज़र से 

Sudhinama पर sadhana vaid  
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विधाता की अनमोल कृति 

हंसती मुस्कुराती चंचल सी मन को भाती मनमोहिनी सी यह प्रकृति का अनुपम उपहार बेटियां हैं घर का श्रृंगार अपने कोमल निर्मल मन से करती शोभित दो-दो घर माँ-बाप के दिल का यह टुकड़ा सुंदर इनका चाँद सा मुखड़ा करती शोभित घर पिया का करती रोशन नाम पिता का प्रभू की यह अनमोल कृति है ... 
anuradha chauhan  at  
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कविता :  

मनुष्यता की आशा 

बढ़ती इस दुनियां में कुछ ढूँढ रहा हूँ, लोक मनुष्यता का कुछ आश | सरल से स्वभाव को, मन का आज़ाद हो | दिल का हो स्नेह बहार, हौशलों से उड़े आसमान से परे, कुछ कर जाए वे ऐसा | किसी को भी मालूम न हो, उस कारनामा का पता न हो ... 
BAL SAJAG  at  बाल सजग 

12 comments:

  1. सुंदर चर्चा आज की
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ...

    ReplyDelete
  2. शुभ प्रभात आदरणीया
    बेहतरीन चर्चामंच का संकलन 👌
    सह्रदय आभार आदरणीया, मेरी रचना को स्थान देने के लिए
    सादर

    ReplyDelete
  3. नारी की तो कथा यही है
    आदि काल से प्रथा रही है
    पली कहीं तो, फली कहीं है
    दुनिया के उन्मुक्त गगन में
    कितने सपने देखे मन में
    नारी का एक चित्र बांधती प्यारी प्यारी सी ये रचना
    veerusa.blogspot.com
    veeruji05.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. veerusa.blogspot.com
    veeruji05.blogspot.com
    संस्कृत पर दोहे

    थोड़े शब्दों में बने, संस्कृत के सब वाक्य।
    घर में जाकर कीजिए, आप सदा शालाक्य ।।

    फोर्ब्स मैगजिन बोलते, संस्कृत को उपयुक्त।
    बोलचाल में कीजिए, इसको भी प्रयुक्त।।

    उपयोगी होती बहुत, है शब्दों की खान।
    शब्दकोश इसका बड़ा, इतना लेना जान।।

    सन् सत्तर में छप गया, संस्कृत में अखबार।
    सुधर्मा के नाम से, जग में हुआ प्रचार।।

    लिक्खे संस्कृत में यहाँ , सारे वेद पुराण।
    जिन से मिलता है यहाँ , मानव को परित्राण।।

    संस्कृत भाषा सीखकर, होता तेज दिमाग।
    इससे ही है बन गए, सारे राग विराग।।
    कम्प्यूटर पर खरी उतरती है ये भाषा ,एक एक शब्द के नौ नौ दस दस अर्थ यहां हैं। बढ़िया प्रयोग धर्मी भाषा और उतनी ही भाव पूर्ण रचना राधे तिवारी राधा जी की (राजस्थानी में बणीठणी की )

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  5. जब इंदिराजी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लाया गया था वे ब्रेन डेड थीं लेकिन उनकी मृत्यु की घोषणा तक उन्हें क्लिनिकली लाइव रखा गया था। मृत्यु के मुख से आये लोगों के अनेक किस्से हैं एक ढूंढों हज़ार मिलेंगे।गूगल पिटारे में सब कुछ है।
    बढ़िया जानकारी मानवीय पहलु का स्पर्श करता हुआ जनकल्याण कारी आलेख आदरणीय डॉ.तिरलोकी (त्रिलोकी )सिंह दराल साहब का।
    veeruji05.blogspot.com

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  6. Veeru Sahab1 second ago - Shared publicly

    Good job

    ये कैसी नस्ल है अपने बड़ों से
    बग़ावत की इजाजत चाहती है
    बजा तुम ने लहू पानी किया है
    मगर मिटटी मुहब्बत चाहती है
    veeruji05.blogspot.com

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर रचनाएं सुंदर संकलन मेरी रचना को
    चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत
    धन्यवाद राधा जी

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  9. शुभ प्रभात सखी
    आभार
    सादर

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर सूत्र एवं बेहतरीन रचनाएं !मेरी ब्लॉग पोस्ट को भी सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार राधा जी ! सस्नेह वन्दे

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  11. शानदार लिंक्स आज की |

    ReplyDelete

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