--मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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तथास्तु
कठिन तप करने पर
ठाकुरजी ने प्रसन्न होकर
भोले भक्त से कहा,
सेवा से संतुष्ट हुआ
बोल तुझे चाहिए क्या ?
भक्त ने अपना मन टटोला
फिर सकुचा कर प्रभु से बोला
अपने लिए कुछ मांगने का
आज बिल्कुल मन नहीं ...
ठाकुरजी ने प्रसन्न होकर
भोले भक्त से कहा,
सेवा से संतुष्ट हुआ
बोल तुझे चाहिए क्या ?
भक्त ने अपना मन टटोला
फिर सकुचा कर प्रभु से बोला
अपने लिए कुछ मांगने का
आज बिल्कुल मन नहीं ...
noopuram
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यौवन गुलाबी फूलों का सेहरा
तो बुढ़ापा कांटों का ताज होता है
लम्बी उम्र सब चाहते हैं
पर बृढ़ा होना कोई नहीं चाहता है
यौवन गुलाबी फूलों का सेहरा
यौवन गुलाबी फूलों का सेहरा
तो बुढ़ापा कांटों का ताज होता है...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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नेहरू पंथी चाटुकारिता के कमाल
...देखिये कैसा समर्पण कैसी निष्ठा है इन नेहरुपंथी चाटुकारों की सब कुछ जानते हुए मानते हुए भी मसखरे भ्रम -चारि की अंधी पैरवी किये जा रहे हैं। यह किसी कमाल से कम है क्या ?
Virendra Kumar Sharma
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----- ॥पद्म-पद २६ ॥ -----
----- || राग-भैरवी || -----
सोहत सिंदूरि चंदा जूँ रैन गगन काल पे..,
लाल लाल चमके रे बिंदिआ तुहरे भाल पे..,
NEET-NEET पर
Neetu Singhal
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राफेल - बोफोर्स - का माजरा ?
शरारती बचपन पर
sunil kumar
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मनोज कुमार पाण्डेय की कहानी
'न्याय विभाग ने मरे हुए व्यक्ति के साथ
भूल सुधार किया'
पहली बार पर
Santosh Chaturvedi
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श्रद्धा़ञ्जलि
"भोलादत्त पाण्डेय को, नमन हजारों बार"
चर्चा मंच की चर्चाकारा
पूज्य पिता श्री भोलादत्त पाण्डेय जी का
जोधपुर में लम्बी बीमारी के बाद
देहावसान हो गया है।
मंच दुःख की इस घड़ी में
और अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता है।
बिना आपके है दुखी, सारा घर-संसार।
भोलादत्त पाण्डेय को, नमन हजारों बार।।
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लड़े अन्त तक मृत्यु से, छोड़ गये संसार।
हे परमेश्वर आपकी, लीला अपरम्पार।।
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जहाँ रहो हे पूज्यवर, रहो सदा सानन्द।
पुण्य आत्मा को सदा, प्रभु देते आनन्द।।
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ओ३म् शान्तिः ओ३म् शान्तिः ओ३म् शान्तिः
शुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा मंच की प्रस्तुति 👌
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें,
मेरी रचना को स्थान देने हेतु सह्रदय आभार आदरणीय
सादर
'वंदना 'चहकता -महकता 'चमन प्रांजल भाषा एवं समर्पण बोध की रचना शास्त्री जी की। सुन्दर मनोहर
जवाब देंहटाएंkabirakhadasaraimen.blogspot.com
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राफेल - बोफोर्स - का माजरा ?
जवाब देंहटाएंa
9:28 pm (3 मिनट पहले)
मैं
राहुल भारतीय राजनीति के न सिर्फ राहू हैं नेहरू वंश के लिए भी कुलनाशी बांस ही साबित होंगे।जिस तरह पाक के एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए देश की सुरक्षा से जुड़े राफेल मामले में देश द्रोह के स्तर पर उतर आये हैं ,देश की प्रतिरक्षा से जुड़े इस मामले को बिना समझे बूझे बाल -हट की तरह उछाल रहें हैं इसका खामियाज़ा २०१९ में पार्टी के सामने आ जाएगा। इस ज़मानती आदमी को लगता है अब और कुछ गंवाने को शेष रहा नहीं हो सकता राफेल का दाव लग जाए।
भूलना नहीं चाहिए पासें लगाने और फेंकने वाला सकुनी मारा जाता है। जिस तरह से नेहरू पंथी अपशिष्ट कांग्रेस देश के हितों को नुक्सान पहुंचा रही है उसके लिए इलेक्शन के मुद्दों की बातें बनाना उनके देशद्रोही कारनामों को छिपा नहीं सकता। देश के राहु और कांग्रेस के राहुल के ख़ास प्रिय एक साथी राष्ट्र के सेना अध्यक्ष को गली का गुंडा कहते हैं क्या ये कम अपराध है ?
उनका एक और साथी जिसे फिल्म लाइन में बलात्कार के दृश्य का प्रवर्तक माना जाता है वह नक्सलवादियों को क्रांतिकारी कहता है।
एक बहुत अनुभवी चाटुकारा यह कहती है डसाल्ट का मुख्यप्रशासनिक अधिकारी महात्मा गांधी नहीं है। कहना तो वह यह चाहती है कि वह राहुल गाँधी नहीं है। अपने झूठ को छिपाने के लिए महात्मा गांधी का सहारा क्यों ले रही है। अब जब उनके झूठ बे -नकाब हो रहे हैं तो उन्हें महात्मा गांधी याद आ रहे हैं। तब उन्हें महात्मा गांधी क्यों नहीं याद आये जब उन्होंने स्वाधीनता के थोड़ा पहले यह कहा था कि अब कांग्रेस को राजनीतिक पार्टी के तौर पर समाप्त करके समाज सेवा करनी चाहिए। ये तो ठीक वैसे ही हुआ कि फिसल पड़े तो हर गंगे। जुबान पर राहुल है बचाव के लिए महात्मा गांधी है।
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https://www.youtube.com/watch?v=uLgv1zpYVD8
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जवाब देंहटाएंराफेल - बोफोर्स - का माजरा ?
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राधा जी के पिताजी के निधन के समचार से दुख: हुआ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और प्रभावित परिवार को इस कठिन घड़ी में धैर्य प्रदान करे।
जवाब देंहटाएंराधाजी,पिता का स्थान कोई नहीं ले सकता, उनकी स्मृतियों के अलावा । हरि ॐ तत्सत ।
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को 'चर्चा मंच' में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए आभार गुरुदेव. सार्थक चर्चा.
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