शुक्रवार चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे
"तिलक दूज का कर रहीं, सारी बहनें आज"
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दोहे
"कोजावत उपवास "
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
धवल चंद्र की चांदनी, देती सदा सुकून।सबसे अच्छा है यहाँ , कुदरत का कानून...
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प्यार को इबादत,
महबूब को ख़ुदा कहें
क्यों हम इस ख़ूबसूरत ज़िंदगी को सज़ा कहें
आओ प्यार को इबादत, महबूब को ख़ुदा कहें।
मुझे मालूम नहीं, किस शै का नाम है
वफ़ातूने जो भी किया, हम तो उसी को वफ़ा कहें...
क्यों हम इस ख़ूबसूरत ज़िंदगी को सज़ा कहें
आओ प्यार को इबादत, महबूब को ख़ुदा कहें।
मुझे मालूम नहीं, किस शै का नाम है
वफ़ातूने जो भी किया, हम तो उसी को वफ़ा कहें...
Dilbag Virk
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तस्वीर
तस्वीर तेरी धुँधली हो गयी
या मेरे आँखों की रोशनी मंद हो गयी
छूट गयी यारी जो तेरी
गलियों से दूर हो गयी...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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आओ मिलकर दीप जलाएं
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आओ मिलकर दीप जलाएं
अँधेरा धरा से दूर भगाएं
रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना
सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना
हर घर -आँगन में रंगोली सजाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं...
अँधेरा धरा से दूर भगाएं
रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना
सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना
हर घर -आँगन में रंगोली सजाएं
आओ मिलकर दीप जलाएं...
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दोहे
"धन्वन्तरि संसार को देते जीवनदान"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
साफ-सफाई को करो, सुधरेगा परिवेश।।
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दीपक यम के नाम का, जला दीजिए आज।
पूरी दुनिया से अलग, हो अपने अंदाज...
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592.
रंगीली दिवाली
(दिवाली पर 10 हाइकु)
1.
छबीला दीया
ये रंगीली दिवाली
बिखेरे छटा।
2.
साँझ के दीप
अँधेरे से लड़ते
वीर सिपाही। ...
डॉ. जेन्नी शबनम
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बुझते दीप
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purushottam kumar sinha
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मोदी ने हिंद महासागर में बसाए
भारत के दो ‘सीक्रेट आइलैंड’
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Virendra Kumar Sharma -
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मंगलाचार :
वसु गन्धर्व
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समालोचन पर arun dev
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंभाई दूज की मंगलकामनाएं। सुन्दर चर्चा प्र्स्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसेहत के हैं देवता धन्वन्तरि महान ,
जवाब देंहटाएंचरक संहिता में भरा पूरा रोग-निदान।
जवाब देंहटाएंsatshriakaljio.blogspot.com
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सीधी -सच्ची भाषा में लिखा हुआ कसाव दार बहु -उपयोगी लघु आलेख। बधाई।
पूजा की थाली तुलसी का पत्ता हैं माँ.....!!!
जवाब देंहटाएंएक इबादत एक दुआ है माँ,
मेरी सारी मन्नते मेरा ख़ुदा है माँ,
हार जाती हैं जमाने भर की मुश्किलें
हर उलझन को आसां है माँ,
क्यो सफ़ेद चादर तूने ओढ़ ली
अब्बा के बाद तुझे क्या हुआ है माँ,
पुरानी खटिया सी कोने पे लेटी हुयी,
सिरहाने एक पीतल लोटा मोटा चश्मा है माँ,
दो आँख झुर्रियों से टकी लगायें रखे,
घर के हर शख्श के लिये परेशाँ है माँ,
ख़ास-खास कर जब कोई रात सो ना सके,
गुनगुना पानी और मुलेठी का टुकड़ा है माँ,
चार-आने आठ-आने के शहंशाह थे हम,
पापा से लड़कर दिलाती,वो छुट्टा है माँ,
तीज़ त्योहार रश्मो रिवाज़ की गठरी,
पूजा की थाली तुलसी का पत्ता है माँ,
चिता की आग़ मे जब रोशनी घुल गयी,
पता बहुत चला कि क्या है माँ,
तू तो कहती थी मरकर सितारा बनूंगी ,
चाँद से पूछता रह गया कहाँ है माँ,
बहुत सुन्दर भाव बोध जुड़ाव की गुनगुनाहट है इस संस्मरण नुमा गीत में प्रीत भी है साँसों का संगीत भी। बधाई ज़फ़र साहब।
वीरुभाई बुलन्दशहरी
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