मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रूमानी
यूँ तो हैं
साधारण नयन नक्श
पर दिल है बहुत रूमानी
यह बात कम ही जानते हैं
जो जान जाते हैं
हो जाते हैं कायल उसके...
Akanksha पर
Asha Saxena
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चोर ही चौकीदार है
राफेल घोटाला, नोटबन्दी घोटाला, जी0एस0टी0 घोटाला और अब सी0बी0आई0 जैसी संस्था को नष्ट कर मोदी देश को दिवालिया बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ‘चोर ही चैकीदार’ है, ‘नारे के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेे जुलूस निकाला जुलूस में शामिल लोगों को सम्बोधित करते हुए पार्टी के राज्य परिषद सदस्य रणधीर सिंह ‘सुमन’ ने यह उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक आफ इण्डिया को डरा धमकाकर 3.6 लाख करोड़ रूपये लेकर अपनी विदेेश यात्राओं के मद में खर्च कराना चाह रहे हैं...
Randhir Singh Suman
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दो पल तुझको देखकर मिट जाती है प्यास ,
जवाब देंहटाएंअगले ही पल मन करे फिर मिलने की आस।
आशा तृष्णा न मरी मर मर गए शरीर
बिन देखे भी रहा न जाए ,
पर देखे से और रिझाये।
कहने लगे तो कहा न जाए ,
बिना कहे भी रहा न जाए।
बढ़िया भाव का दोहा -मनोज अबोध का ,बोध जगाता
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जवाब देंहटाएंसाग-दाल को छोड़, अमानुष भोजन को अपनाया है,
लुप्त हो गयी सत्य अहिंसा, हिंसा का युग आया है,
नादानों की होली में, अनुपान बदलते देखे हैं।
धनवानों की झोली में, सामान बदलते देखे हैं।।
बाहुबली हैं सत्ताधारी, हरिश्चन्द्र लाचार हुए,
लोकतन्त्र के दरवाजे पर, पढे-लिखे बेकार हुए,
बलवानों की खोली में, दरबान बदलते देखे हैं।
धनवानों की झोली में, सामान बदलते देखे हैं।।
बहुत सशक्त पंक्तियाँ -पर्यावरण चेतना हमारे खान पान से भी जुड़ी है ,मांस की खपत घटाने से जलवायु को सहारा मिलेगा यही संकेत है गीत का। सुंदर सांगीतिक रचना सुप्रिय शास्त्री जी की -
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पूरा देश जानता है लेफ्टीयों का दादालाई धंधा ,जैसे भी हो देश तोड़ो ,परम्पराओं को ठेंगा दिखाओ ,केरल में जो अफरातफरी रक्तरंगियों ने फैलाई है वह बे -मिसाल है। ये क्या कहते हैं इसका कोई मतलब नहीं होता ,इस विलुप्त होती बौद्धिक गुलामी को क्या कहिये ये चोरी भी करते हैं है और चोर -चोर ,पकड़ो पकड़ो का शोर -शोर भी। भारतीय राजनीति के राहु राहुल बोले चौकीदार चोर ये बोले चोर चौकीदार यही धंधा रहा है इन अवसर भोगियों का ,मुखबिरों का ,संतोष का विषय है सनातन परम्परा के नाम लिए जो घूम रहे हैं उनका नाम लेवा निकट भविष्य में कोई मिलना नहीं -ये कामोदरी विलुप्त प्राय :हैं अब अलबत्ता 'सीता -राम 'रहेंगें ,"ये -चारि" रहें न रहें ,तुलसी वन रहेगा ,वृन्दावन भी 'वृंदा' रहे न रहे।
जवाब देंहटाएंनिकालो जितने जुलूस निकालते हो और काम क्या है तुम्हारा ?
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बहुत सुन्दर सूत्रों का संयोजन आज की चर्चा में ! मेरे ब्लॉग से मेरी बाल कहानियों की पुस्तक एक फुट के मजनू मियाँ की आपके ही द्वारा लिखी हुई समीक्षा को आज के मंच पर स्थान देकर आपने मुझे उपकृत किया है ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंचोर ही चौकीदार है
जवाब देंहटाएंराफेल घोटाला, नोटबन्दी घोटाला, जी0एस0टी0 घोटाला और अब सी0बी0आई0 जैसी संस्था को नष्ट कर मोदी देश को दिवालिया बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ‘चोर ही चैकीदार’ है, ‘नारे के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेे जुलूस निकाला जुलूस में शामिल लोगों को सम्बोधित करते हुए पार्टी के राज्य परिषद सदस्य रणधीर सिंह ‘सुमन’ ने यह उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक आफ इण्डिया को डरा धमकाकर 3.6 लाख करोड़ रूपये लेकर अपनी विदेेश यात्राओं के मद में खर्च कराना चाह रहे हैं...
लो क सं घ र्ष ! पर
Randhir Singh Suman
लोकसंघर्ष की आड़ में ये देश तोड़क परम्परा से मुखबिरी करते आये हैं इन्होने नेता जी सुभाष को तोदो का कुत्ता कहा था ,देश भक्त इन्हें अपनी पार्टी में भी रास नहीं आते। दादा सोमनाथ चटर्जी को इन्होनें उनकी राष्ट्र को सर्वोपरि मान ने निष्पक्ष रहने के मुद्दे पर पार्टी से निकाल बाहर किया था। इन भकुओं के लिए मार्क्सवाद की गुलामी इतनी ज्यादा प्रिय है इन्होनें ज्योति वसु को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित नहीं होने दिया। देश विरोधी प्रदर्शन करना इनका पेशा है।१९६२ के चीनी हमले का इन्होनें समर्थन किया था इसी मुद्दे पर कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया अपनी अलग पहचान बनाकर खड़ी हो गई थी। अपनी ही पार्टी को तोड़ने का कीर्तिमान भी ये लेफ्टिए रक्तरँगी बना चुके हैं। वर्तमान प्रबंध की कर्मठता के आगे ये और टूटेंगे:
blog.scientificworld.in
kabirakhadasaraimen.blogspot.com
veerusa.blogspot.com
veerujan.blogspot.com
बहुत अच्छा संकलन लिंक्स का |मेरी रचनाएं शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी ।
जवाब देंहटाएंरचनाओं का खज़ाना है चर्चा ।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा चर्चा मंच की प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंमेरी रचनाएं शामिल करने के लिए धन्यवाद |
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