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रविवार, अप्रैल 14, 2019

"दया करो हे दुर्गा माता" (चर्चा अंक-3305)

रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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स्नेह की लालिमा 

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स्नेह की लालिमा फैली  

यूँ धरा पर दूर तलक   
मखमली कोमल अहसासों में  
लिपटा हो जैसे  
जमी से नील फ़लक ... 
गूँगी गुड़िया पर Anita saini 
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धर्म 

     ******तुझसे  सीखा हे पुरुषोत्तम है  संघर्ष  ही  जीवन- धर्म ।
विमाता को दे कर सम्मानपुत्र धर्म का किया  निर्वहन ।
सिंहासन की चाह न कीकह, वन भी है अपना स्वर्ग... 

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स्वप्न अधूरा रह जाता 

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एक ग़ज़ल :  

जब भी शीशे का --- 

जब भी शीशे का इक मकां देखा  
पास पत्थर की थी , दुकां देखा  
दूर कुर्सी पे है नज़र जिसकी  
उसको बिकते जहाँ तहाँ देखा... 
आनन्द पाठक 
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महत्वपूर्ण सबक 

... मतदान के रूप में खड़े जनविरोध को जनसमस्याओ के विरुद्ध जनांदोलन में बदला जा सकता है और बदल देना चाहिए | जनहित के लिए जनांदोलन को बहुआयामी बनाने की शुरुआत अगर ब्रिटिश काल में ब्रिटिश राज विरोधी आंदोलनों से हुई थी तो आज की शुरुआत चुनाव में जनविरोधी नीतियों के जनविरोध की अभिव्यक्ति के साथ ''नोटा '' पर मतदान के रूप में की जा सकती है |
sunil kumar  
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एक औरत ..... 

पूजा प्रियम्वदा 

तुम्हारे बच्चों की माँ को
उनके साथ सोता छोड़कर
एक औरत दुनिया में लौटती है
हँसती है
जितना वो चाहें
जब वो चाहें और
पहनती है जो वो चाहें... 
yashoda Agrawal  
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बात है शब्द नहीं हैं -  

रवीन्द्र भ्रमर 

बात है
शब्द नहीं हैं
कैसे खोल दूँ ग्रंथित मन !!

तुम अधीर प्रान हुए कुछ सुनने को
मर्म के उगे दो आखर चुनने को,
प्रीति है
मुक्ति नहीं है,
कैसे तोड़ दूँ सब बंधन ... 
रवीन्द्र भारद्वाज  
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8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सारी सामग्री है मंच पर,धर्म पर लिखी मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार शास्त्री सर।

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रणाम आदरणीय 🙏🙏
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति👌👌
    मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सिय |

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं

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