मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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वाकया 2013 का है।
उस समय मेरे पिता श्री घासीराम जी की आयु 90 वर्ष की थी।
90 साल की उम्र में भी वे अपने दैनिक कार्य स्वयं ही करते..
उस समय मेरे पिता श्री घासीराम जी की आयु 90 वर्ष की थी।
90 साल की उम्र में भी वे अपने दैनिक कार्य स्वयं ही करते..
समय धार पर चलता जीवन
मोह माया में फंसा है जीवन इस की यही कहानी
सिसकता रहा हृदय नही मिटती बेईमानी...
गूँगी गुड़िया पर
Anita saini
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सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की
दो कविताएँ
पेड़ों के झुनझुने,
बजने लगे;
लुढ़कती आ रही है
सूरज की लाल गेंद।
उठ मेरी बेटी सुबह हो गई...
लुढ़कती आ रही है
सूरज की लाल गेंद।
उठ मेरी बेटी सुबह हो गई...
काव्य-धरा पर
रवीन्द्र भारद्वाज
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'रचनाकार.ऑर्ग'
लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन
2019 में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत
मार्टिन जॉन की लघुकथा --
'डिजिटल स्लेव'
Chandresh
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विविध विषयों का समायोजन बड़ी खूबसूरती से इस मंच पर किया गया है। पिता जी का संस्मरण वाला आलेख का लिंक खुल नहीं पा रहा था।
जवाब देंहटाएंपथिक के संस्मरणों को स्थान देने के लिये हृदय से आभार शास्त्री सर, प्रणाम।
सुप्रभात आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
शानदार रचनाएँ ,मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार
सादर
बहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मूर्ख दिवस चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों की खबर देता चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स। मेरी रचना शामिल की. शुक्रिया
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