मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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समीक्षा
“लौट चलें अब गाँव”
(समीक्षक-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
कभी-कभी अनायास ही छन्द शास्त्र के पण्डितों से भेंट हो जाती है। दिल्ली में पिछले सप्ताह किसी पुस्तक के विमोचन में मेरी भेंट सुस्थापित साहित्यकार डॉ. सुरेशचन्द्र शर्मा से हुई। वो बिल्कुल मेरी बगल में ही मंचासीन थे। बातों-बातों में पता लगा कि आप पद्य ही नहीं अपितु गद्य के भी सिद्धहस्त लेखक हैं। आपने मुझे पाँच सौ दोहों के संकलन“लौट चलें अब गाँव” की प्रति भेंट की। पुस्तक को सांगोपांग पढ़ने के उपरान्त विचार आया कि क्यों न पहले “लौट चलें अब गाँव” पर ही कुछ शब्द लिखूँ और कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर मेरी अँगुलियाँ चलने लगीं...
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हिन्दी की दुर्दशा
हिंदी बेल्ट कहे जाने वाले ' उत्तर प्रदेश' में 10 लाख से अधिक परीक्षार्थी हिन्दी विषय में ही अनुत्तीर्ण हो गये। ==============================
सच में ! 👿 आज इस समाचार को पढ़कर मुझे क्रोध आया है !!!!!!!! -----
बहुत ही चिंतनीय स्थिति है परन्तु अब अनुत्तीर्ण छात्रों की इतनी बड़ी संख्या होने पर कम से कम व्यवस्था का ध्यान इस तरफ जाएगा I परन्तु पूरा दोष छात्रों का नहीं है इसलिए हमें छात्रों को कोसना नहीं चाहिए ,शिक्षा व्यवस्था ही ऐसी हो गयी है I बहुत-से स्कूलों में हिंदी के अध्यापक हैं ही नहीं ,अगर हैं तो पढ़ाते नहीं ...
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हर कोई बेगाना है
बातें ज़ेह्न की हों के जिगर की
लुत्फ़ हो जिसमें पूछो सब इस दुनिया से
उस दुनिया तक अपना आना जाना है
जी कुछ और तो दस्तो पा करते रहते हैं
और ही कुछ ग़ाफ़िल जी ऐसे भी
जो देखो हर कोई बेगाना है...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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सौगात किस-किस ने भेजी!
मैं चोरी-छिपे तुझे सौगात भेजूँ और तू है कि सबको ढोल बजाकर बता दे कि दीदी ने सौगात भेजी है! तू देख, अब मैं तुझे कंकर वाले लड्डू भेजूंगी। दीदी नाराज क्यों होती हो? कोई भी सौगात भेजे तो उसे बताने पर तो उसका सम्मान ही बढ़ता है ना! कहीं ऐसा तो नहीं है कि एक तरफ तुम मंचों से गाली देती हो और अन्दर ही अन्दर रिश्ता बनाकर भी रखना चाहती हो! मोदीजी भी गजब करते हैं, क्या जरूरत थी पोल खोलने की! हँसते-हँसते इतनी बड़ी पोल खोल दी...
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सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति 👌
सादर
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। सादर।
जवाब देंहटाएंरवीश भाई, कन्हैया और मेरा सपना
अच्छी और दिलचस्प चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
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