मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
कुछ भी करिये
कैसा भी करिये
घर के अन्दर करिये
बाहर गली में आ कर
उसके लिये
शरमाना नहीं होता है
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
--
--
--
--
--
--
चाँद उतरता है
होले से ज़ीने पर ...
हुस्नो-इश्क़, जुदाई, दारू पीने पर
मन करता है लिक्खूं नज़्म पसीने पर
खिड़की से बाहर देखो ... अब देख भी लो
क्यों पंगा लेती हो मेरे जीने पर...
दिगंबर नासवा
--
आदमी खोखले हैं -
उदयभानु ‘हंस’
आदमी खोखले हैं पूस के बादल की तरह,
शहर लगते हैं मुझे आज भी जंगल की तरह।
हमने सपने थे बुने इंद्रधनुष के जितने,
चीथड़े हो गए सब विधवा के आँचल की तरह...
शहर लगते हैं मुझे आज भी जंगल की तरह।
हमने सपने थे बुने इंद्रधनुष के जितने,
चीथड़े हो गए सब विधवा के आँचल की तरह...
काव्य-धरा पर
रवीन्द्र भारद्वाज
--
--
" पंछी "
( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )
उड़ने की शक्ति दे कर के, पंछी एक बनाया है।
सुंदर-सुंदर पंखों से फिर, उसको खूब सजाया है...
--
कहो भीड़ बन जाऊं क्या
मैं भी प्यार ‘जताऊं’ क्याझूठों में मिल जाऊं क्याजिस दिन कोई नहीं होताउस दिन घर पर आऊं क्या...
Sanjay Grover
--
कहानियों की कहानी
कहानियों की हालत बहुत ख़राब है.. किसी के सिर में दर्द है तो किसी के पीठ में...किसी को भावनाओं की ड्रिप चढ़ी हुई है तो कोई बिस्तर पर पड़ी कराह रही है। किसी की धड़कनें मद्धम है तो बाहर उसके इंतज़ार में खड़ी कहानियाँ एक-दूसरे के गले लग आँसू बहा रही हैं...
--
--
‘वे’
अब ऐसी गलतियों से ही
याद किए जाएँगे
लोक सभा के चुनावों के महत्व को अनुभव करते हुए विश्वास कर रहा हूँ कि दैनिक भास्कर के आज (14 अप्रेल 2019) के अंक में छपा उपरोक्त समाचार निश्चय ही भास्कर के समस्त संस्करणों में छपा होगा। इस समाचार में, प्रदेश के पूर्व मुख्य मन्त्री स्वर्गीय श्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा का हवाला देते हुए उनका जो चित्र छपा है वह सकलेचाजी का नहीं, किसी और का है। समाचार का, गलत चित्र वाला हिस्सा भी यहाँ दे रहा हूँ। *समाचार का वह अंश जिसमें सकलेचाजी के चित्र की जगह किसी और का चित्र छपा है...
एकोऽहम्पर विष्णु बैरागी
--
--
इस बार तुरुप का पत्ता ही हुँकार भरेगा
तिवारी जी और घंसु देश की दोनों बड़ी पार्टियों का और तमाम आंचलिक पार्टियों का घोषणा पत्र पढ़ पढ़ कर तय कर रहे हैं कि किसमें से कौन सा हिस्सा उठाना है. इस तरीके से वो एक नया घोषणा पत्र तैयार कर रहे हैं. तिवारी जी और घंसु ने मिलकर गैर मान्यता प्राप्त एक नई पार्टी बना ली है. बस दो ही सदस्य हैं. तिवारी जी राष्ट्रीय अध्यक्ष घंसु के द्वारा चुने गये हैं और घंसु राष्ट्रीय सह अध्यक्ष चुने गये हैं तिवारी जी के द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से. तिवारी जी पास वाले शहर, जो कि उनका ससुराल भी है, से चुनाव लड़ेंगे और घंसु चूँकि विवाहित नहीं हैं, अतः वे अपने ही शहर से चुनाव लड़ेंगे. आज घोषणा पत्र आ गया है...
Udan Tashtar
--
बहुत विस्तार से आज की चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए ...
सुन्दर चर्चा। आभार आदरणीय 'उलूक' को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसादर