स्नेहिल अभिवादन के साथ
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ।
रविवासरीय चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
देखिये मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ |
अनीता सैनी
--
दोहे
"माता का गुणगान"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
फीकी सी चाय
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
--
ग़ालिब की दिल्ली :
सच्चिदानंद सिंह
समालोचन पर arun dev
--
--
एक पवित्र और एक अपवित्र कथा
कथा – बुद्ध का शिष्य था - पूर्ण ! बहुत दिनों तक उनके पास रहा, जब शिक्षा पूरी हो गयी तो बुद्ध ने कहा – ‘शिष्य ! अब तुम मेरे प्रेम और अहिंसा के संदेश को हिंसक लोगों के बीच ले जाओ!
--
अकिंचन बना नाम रति का ज़मीं पर, सितारों की थाली सजाती रही थी; मोती से जगमग करें दंत उसके, रजनी नज़र बस चुराती रही थी...
--
"कौन हो तुम"
कौन दिशा से आई हो? कल देखा था तुझे जलधि तट पर आज मिली हो निर्जन वन में शावक छोने सी चंचल हिरणी सी इस लोक की हो सुन्दरी या देव लोक से आई हो...
--
मैंने देखा, पिता को जाते, अचानक,बिना-वजह. उनके चेहरे पर थी रुकने की ख़्वाहिश, उनकी आँखों में बेबसी, उनके होंठों पर थे कुछ अस्पष्ट-से शब्द...
--
कमलाक्षी हूं मृगनयनी, अधरों पर मेरे स्मित है। मैं सौंदर्य में उर्वशी-रंभा हूं, मैं आदिशक्ति-जगदंबा हूं। मैं जन्मदात्री हूं इस जग की मैं पालनहारी इस जग की मैं प्रकृति हूं...
--
फीकी सी चाय
सितारों भरी रातें, खुली ये आँखें, भूली सी बातें, एक तड़प, करवटो के दोनों ही तरफ, ताकती दो आँखें, एक ही चेहरा, और एक तुम! यादें, भूले से वादे, फीकी सी पड़ती एक चाय,..
--
बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया * *तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने * *पहले तो नेह के समन्दर छलकते थे इनसे * *पर अब नफरत के ज्वार उठते हैं इनमे...
--
वर्ण व्यवस्था को इस बुरी तरह बुद्ध ने तोड़ा | यह कुछ आकस्मिक बात नही थी कि डा अबेडकर ने ढाई हजार साल बाद फिर शुद्रो को बौद्ध होने का निमत्रण दिया ...
--़
वर्ष 1994 में जब आजीविका की तलाश में भटकते हुये सांध्यकालीन गांडीव समाचार पत्र लेकर काशी से मीरजापुर आया था। तो उस वर्ष वासंतिक नवरात्र से पूर्व ताऊजी ने मुझसे कहा था कि जब प्रतिदिन तुम्हें मीरजापुर जाना ही है...
--
सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार अनीता सैनी जी।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के नए चर्चाकार आदरणीया अनीता सैनी जी का आभारी हूँ । इस मंच के संयोजन भविष्य में और भी रोचक व सार्थक होनी की आशा और प्रबल हो गई है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ । समस्त रचनाकारों का भी अभिवादन ।
नित नवीनता की आशा में, मै आपका नियमित पाठक।
सुन्दर चर्चा। मेरी कविता शामिल की। शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक चर्चा अंक । मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा। आभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढियाँ रचनाओं का समावेश चर्चा मंच पर
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अंक
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएं
मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आभार जी सादर
अनिता बहन, आपका आभार विंध्यवासिनी देवी पर लिखे गये इस लेख को सम्मान देने के लिये।
जवाब देंहटाएं