मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
आँसुओं की माप क्या है?.....
अमित निश्छल
रोक लेता चीखकर तुमको मगर अहसास ऐसा,
ज़िंदगी की वादियों में शोक का अधिवास कैसा?
नासमझ, अहसास मेरे क्रंदनों के गीत गाते,
लालची इन चक्षुओं को चाँद से मनमीत भाते...
मेरी धरोहर पर
Digvijay Agrawal
--
--
--
वेदना
इस बार का हमारा विषय है वेदना । यह वह मानसिक कष्ट, संताप है, जिससे मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन ही कभी- कभी बिखर जाता है। जब कभी स्नेह आहत होता है, किसी प्रियजन से वियोग होता है अथवा कटु वचन से स्वाभिमान को ठेस पहुँँचता है, तब हृदय में इसकी अनुभूति होती है।
मेरा मानना है कि जिस भी मनुष्य में संवेदना है , उसमें वेदना निश्चित होगी...
मेरा मानना है कि जिस भी मनुष्य में संवेदना है , उसमें वेदना निश्चित होगी...
--
--
--
ज़िंदगी तू कितनी बदल गई
सुकून की तलाश में दौड़ रही ज़िंदगी
गमों से खेल गई
खुशियों से भरा दामन लाँघ,
हँसी को तरस गई...
गमों से खेल गई
खुशियों से भरा दामन लाँघ,
हँसी को तरस गई...
अनीता सैनी
--
बनारस की गलियाँ-8
बनारस की एक गली
गली में चबूतरा
चबूतरे पर खुलती बड़े से कमरे की खिड़की
खिड़की से झाँको कमरे में टी.वी.
टी.वी. में दूरदर्शन
एक से बढ़कर एक सीरियल...
बेचैन आत्मा पर
देवेन्द्र पाण्डेय
--
--
सदैव की भांति बहुत सुंदर मंच।
जवाब देंहटाएंमेरे लेख को स्थान देने के लिये हृदय से आभार शास्त्री सर।
सुप्रभात आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति 👌
मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंयंदा संकलन रचनाओं का |
मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन. मेरी रचना को शामिल करने के लिए शुक्रिया सर 🙏 🙏
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंकों का चयन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।