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समीक्षा-
'कवच'
वर्तमान परिवेश के धरातल पर रची गई काल्पनिक सत्य है 'कवच'
मानव का परिपक्व मन समाज की, परिवार की हर छोटी-बड़ी घटना से प्रभावित होता है और एक साहित्यकार तो हर शय में कहानी ढूँढ़ लेता है। आम व्यक्ति जिस बात या घटना को दैनिक प्रक्रिया में होने वाली मात्र एक साधारण घटना मान कर अनदेखा कर देते हैं या बहुत ही सामान्य प्रतिक्रिया देकर अपने मानस-पटल से विस्मृत कर देते हैं, उसी घटना की वेदना या रस को एक साहित्यिक हृदय बेहद संवेदनशीलता से महसूस करता है और फिर उसे जब वह शिल्प सौंदर्य के साथ कलमबद्ध करता है तो वही लोगों के लिए प्रेरक और संदेशप्रद कहानी बन जाती है। एक कहानीकार की कहानी कोरी काल्पनिक होते हुए भी अपने भीतर सच्चाई छिपाए रहती है, वह एक संदेश को लोगों के समक्ष रोचकता के साथ प्रकट करती है और चिंतन को विवश करती है...
मानव का परिपक्व मन समाज की, परिवार की हर छोटी-बड़ी घटना से प्रभावित होता है और एक साहित्यकार तो हर शय में कहानी ढूँढ़ लेता है। आम व्यक्ति जिस बात या घटना को दैनिक प्रक्रिया में होने वाली मात्र एक साधारण घटना मान कर अनदेखा कर देते हैं या बहुत ही सामान्य प्रतिक्रिया देकर अपने मानस-पटल से विस्मृत कर देते हैं, उसी घटना की वेदना या रस को एक साहित्यिक हृदय बेहद संवेदनशीलता से महसूस करता है और फिर उसे जब वह शिल्प सौंदर्य के साथ कलमबद्ध करता है तो वही लोगों के लिए प्रेरक और संदेशप्रद कहानी बन जाती है। एक कहानीकार की कहानी कोरी काल्पनिक होते हुए भी अपने भीतर सच्चाई छिपाए रहती है, वह एक संदेश को लोगों के समक्ष रोचकता के साथ प्रकट करती है और चिंतन को विवश करती है...
ANTARDHWANI
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जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत आभार आपका शस्त्री सर।
मेरी यह रचना , मेरे मन का भाव है, एक पीड़ा है,एक जिज्ञासा भी है।
प्रश्न कुछ लोगों को कड़ुवा भी लग रहा है, फिर भी हिन्दू धर्म इस संदर्भ में क्या कहता है, मार्ग दर्शन की अभिलाषा भी है।
मैं मांसाहार दो कारणों से पसंद नहीं करता एक तो अनावश्यक पशु वध। जबकि क्षुधा पूर्ति के लिये विकल्प है।
दूसरा बड़ा कारण चौरासी लाख योनिया हैंं। कर्म के अनुसार हमारे पूर्वज भी यदि इनमें भटक रहे होंगे।
कहीं बकरे, मुर्गे और मछली के रुप में अपने इन पूर्वजों की हत्या का निमित्त न बन जाऊँ और इनका मांस ग्रहण कर महापाप न कर बैठूँ।
समाधान चाहता हूँ।
प्रणाम।
"कवच" पुस्तक के रचनाकार व समीक्षक दोनो ही बधाई के पात्र,हैं । इसे पूरा पढने की जिज्ञासा अब प्रबल हो उठी है। आपके सफ़लता की कामना है। पुनः बधाई ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
हटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंकल ही डाक से प्राप्त हुई है "कवच"। अभी पढ़नी है। बधाई । सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी
हटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चा के शीर्षक के लिए हार्दिक धन्यवाद
कल ही डाक से प्राप्त हुई है "कवच"। अभी पढ़नी है। बधाई । सुन्दर चर्चा। old gold earrings design , head pieces for races , jewelry boxes wholesale , faux fur scarf
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