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शुक्रवार, अगस्त 09, 2019

"रिसता नासूर" (चर्चा अंक- 3422)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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पुकारेगी इक दिन ज़िन्दगी मुझे 

ऊँचे नीचे पथरीले रास्तों पर  
डगमगाती ज़िन्दगी  
राह अंजान  
पथ है सूना  
चला जा रहा हूं  
ज़िंदगी में अकेला... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi  

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३७३. 

परिवर्तन 

मेरे गाँव में अब पढ़े-लिखे रहते हैं,  
हिंदी समझते हैं, पर अंग्रेज़ी कहते हैं.  
बैठकर बातचीत अब कम ही होती है,  
व्हाट्सएप्प-फ़ेसबुक से रिश्ते निभते हैं.... 
कविताएँ पर Onkar  
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सावन-भादों 

मुकेश कुमार सिन्हा 
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सौभाग्य......  

अनुराधा चौहान 

माँ का तर्जुबा रह-रहकर  
मेरी आँखों में झाँकता रहा,  
सौभाग्य से आती हैं  
बेटियाँ घर के आँगन में  
खुशियाँ वहीं हैं बसती  
बेटियाँ जहाँ हैं ... 
मेरी धरोहर पर संजय भास्‍कर  
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एक विलक्षण राजनेता की  

असमय विदाई 

जिज्ञासा पर Pramod Joshi 
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संविधान को रौंदती तानाशाही 

370(3) में संशोधन के लिए राज्य विधान सभा और संविधान सभा की सहमति आवश्यक होगी और इसी वजह से आज तक यह अनुच्छेद संशोधित नहीं हो पाया था क्योंकि संविधान सभा का कोई सदस्य जीवित नहीं था और इस संबंध में कोई संशोधन भी नहीं किया गया था.

           और जहाँ तक वहां की संविधान सभा की बात है तो १ मई १९५१ को जम्मू कश्मीर के लिए पृथक संविधान सभा बनाने की उद्घोषणा युवराज कर्ण सिंह ने की जो ३१ अक्टूबर १९५१ को अस्तित्व में आई और 21 अगस्त 1952 को उसने  युवराज कर्ण सिंह को सदर-ए- रियासत के रूप में निर्वाचित किया .इस प्रकार जम्मू-कश्मीर राज्य में राजाओं का शासन समाप्त  हो गया और राज्य का प्रधान निर्वाचित व्यक्ति होने लगा .संविधान सभा के गठन के उपरांत ४० हज़ार की आबादी पर एक चुनाव क्षेत्र बना .७५ चुनाव क्षेत्रों से ७५ प्रतिनिधि आये इनमे ७३ पर शेख की नॅशनल कॉन्फ्रेंस निर्विरोध जीती तथा दो पर उसने चुनाव जीते २४ सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए सुरक्षित छोड़ी गयी जो अभी तक नहीं भरी जा सकी हैं .
वहां की तत्कालीन संविधान सभा के सदस्यों की सूची निम्नलिखित है...  
! कौशल ! पर Shalini kaushik 
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हमें नाज है भारत की इस बेटी पर 
जो जन-जन की आवाज बनी 
जिसने पहचाना ही नहीं भारत की आत्मा को 
अपने शब्दों से उसे सुंदर आकार दिया 
लाखों लोगों के दिलों पर राज किया 
जिसका दिल इतना विशाल था 
'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना को कर दिया जीवंत 
अपने कर्मों से सरहद पार भी अपना प्यार दिया...  
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7 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

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  2. पठनीय रचनाओं के सूत्र देती सुंदर चर्चा..

    जवाब देंहटाएं
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  4. इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए शुक्रिया डॉ रूपचन्द्र शस्त्री जी एवं हिन्दी के प्रचार -प्रसार हेतु आपके इस चर्चामंच रूपी अतुलनीय योगदान के लिए हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं !

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  5. सुन्दर अंक. मेरी कविता को शामिल किया. धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सर
    बेहतरीन रचनाएँ,मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
    सादर

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