फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, जनवरी 04, 2012

"चीनी सामानों का बहिष्कार होना चाहिये" (चर्चा मंच-748)

मित्रों!
       बुधवार के चर्चा मंच के अंक 748 में सभी ब्लॉगर बन्धुओं और पाठकों का स्वागत करते हुए चर्चा का शुभारम्भ करता हूँ!
        कभी कुहरा, कभी सूरज, कभी आकाश में बादल घने हैं। दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं। लेकिन क्या 2012 मे ऐसा ही होना है? खैर फिलहाल तो एक करुण कहानी,एक आईआईटीयन की जुबानी पढ़िए! कम से कम अपने राजनयिक पर हमले के विरोध में ही सही चीनी सामानों का बहिष्कार होना चाहिये! लेकिन हम भारतीय मुसाफिर ! तो चीन के सस्ते सामान के दीवान बने हुए हैं। छू लेने दो इन नन्हे हाथों को आसमान वरना चार किताबें पढके हम जैसे हो जाएँगे जी लेने दो खुशियों में चार पल इन्हें...क्योंकि  बचपन दोबारा जीवन में लौटकर नहीं आता है।मृग से चंचल नयन .. मदमाती चाल ... मोर से पंख ... जीवन से ऐसी सुरुचि .. जो कर दे निहाल .. ... जैसे जिजीविषा से भरी ... नवयौवना का हाल ...! काश ऐसा हो हम सबके लिए नया साल ...!! भ्रष्टाचार को कम करने के लिए बहुत बड़ी लड़ाई छिड़ चुकी है और कुछ गिरफ्त में आ जाते हें और कुछ खुले आम उसे अपनाये हुए हें भ्रष्टाचार कम कहाँ? दिल के अरमान कभी पूरे नहीं होते दिल की आग बुझाने की कोशिश में निरंतर भड़काते रहते सम्हलने की कोशिश में और उलझते जाते...फिर भी...दिल के अरमान कभी पूरे नहीं होते हैं! नव - वर्ष के नाम नेह की * *देख वसीयत कर जाएँ | किरण चढी जो चौबारे पर तल में आकर अब वो देखे हाँडी चूल्हे पर रखी है! चित्रों पर काव्यधारा यहाँ भी बह रही है-धारा और किनारा-हाइगा मेंसब कुछ खत्म होने के बाद भी बची रहती है धूप के भीतर की नमी पत्थरों के भीतर की हरारत रेत के भीतर उग ही आता है, फिर भी बचा रहता है इंतजार...आते रहेंगे, जाते रहेंगे...नए दिन,नए साल...अब तक कई आए...कई चले गए.... हर साल आता है एक नया संदेशा ले कर... एक नई उम्मीद ले कर.... एक नई पहचान दिलाने के लिए... लेकिन ना होगा कोई चमत्कार..होगा सिर्फ धमाल...मुहब्बत में घायल वो भी है और मैं भी हूँ, वस्ल के लिए पागल वो भी है और मैं भी हूँ, रेल की पटरी, सड़क, फुटपाथ पर भी, भूख अक्सर दौड़ती देखी है मैने... बंदगी, अच्छाइयाँ, ईमान जैसी, नीयतें दम तोड़ती देखी हैं मैने...! वो पगली है बिल्‍कुल चंचल हवा सी वह मुझे देवदार कहती तो मेरे अधरों पे एक मुस्‍कान ठहर जाती मैने उसकी बातों को कभी दिल से नहीं लिया, यही तो होता है- नज़रों का सम्मान ! ठिठुरते मौसम में* जिन्दगी की सांझ की अंगीठी तापते हुए तुम्हारी ये शिकायत वाजिब ही है कि उम्र दोनों की ही तमाम हुई सुलझाने में! एक पुरानी कविता का यूँ याद आ जाना... कभी कहीं खो जाने के बाद... कुछ याद था... कुछ पुनः लिखा... इससे पहले कि फिर खो जाये... सहेज लें! किसी जन्म का सम्बन्ध...यही तो है- स्वार्थरहित रिश्तों का आकाश...! उसकी आँखों में एक किताब रहती थी. एक कहानी की किताब-- लाल डोरे वाली. जिसकी कहानियों में होती थी एक खारे पानी की झील, जिसमें तैरती रहती थी ....नीलोफर की आँख- एक किताब! अब गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष में आज़माइए इस भविष्यवाणी को- जनवरी 2012 का पूर्वार्द्ध शेयर बाजार के लिए कमजोर ... उत्‍तरार्द्ध मजबूत ! देश की एकता को बल मिलेगा, निरामिष: यदि अखिल विश्व शाकाहारी हो जाय तोपिछली रात यमराज से मुलाक़ात हुई गुजरे साल के बारे मे भी उनसे बात हुई यमराज से मैने पूंछा, इस साल आप कईयों को ले गये बताओ कुछ कमीने नेताओं को कब ले जायेंगे? यमराज बोले हम भी नेताओं के पापों से डरते हैं, इसी लिए पापी नेता जल्दी नही मरते हैंकार्टूनिस्ट और डिज़िटल आर्टिस्ट  सागर कुमार जी ने *" हे हनुमान बचालो " * एलबम के लिए फिर से परिश्रम किया है, कहिए कैसा लग रहा है? हरकीरत ' हीर' जीअस्पताल से ... लिख रहीं हैं - आये थे कुछ वादों के साथ ....लौट गए ख़ामोशी से ...इस बार की ये तेरी ख़ामोशी खूब खलेगी वर्ष ..... ऐसा लगता है ये वर्ष जल्द बीत गया ...कई वादे थे ....उम्मीदें थी..! 

31 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्री जी,चर्चामंच में आपके प्रस्तुति का जबाब नहीं
    सुंदर लिंक्स के लिए बधाई,...


    "काव्यान्जलि":

    जवाब देंहटाएं
  2. आज विशेष रोचक है चर्चा मंच ...!!बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....!!
    आभार मुझे भी स्थान दिया !

    जवाब देंहटाएं
  3. Mukhtasar aur umda.
    हक़ीक़त को पाने के लिए गहरी नज़र, कड़ी साधना और निष्पक्ष विवेचन की ज़रूरत पड़ती
    है।

    http://vedquran.blogspot.com/2012/01/sufi-silsila-e-naqshbandiya.html
    सूफ़ी
    साधना से आध्यात्मिक उन्नति आसान है Sufi silsila e naqshbandiya

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर लिंक्स,सुंदर प्रस्तुति...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर प्रस्तुति और सुंदर लिंक्स के लियें बधाई आपको.... मेरा ब्लॉग शामिल करने के लियें आभारी हूँ ....

    आप सभी को नव-वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ... चर्चा मंच नये साल में और भी कमाल दिखाए ..

    मंगल कामनाएँ..

    जवाब देंहटाएं
  6. चीनी सामान का बहिष्कार बिलकुल होना चाहिए! अच्छे लिंक्स ke साथ बढ़िया चर्चा के आपने...

    जवाब देंहटाएं
  7. नव-वर्ष की मंगल कामनाएं ||

    धनबाद में हाजिर हूँ --

    जवाब देंहटाएं
  8. shastriji,
    sadaa kee tarah achhe links ,kuchh padhe kuchh phir padhoongaa

    जवाब देंहटाएं
  9. बड़े ही अच्छे सूत्र लाये हैं आप।

    जवाब देंहटाएं
  10. bahut hi badhiya charcha aur shaandar links bhi.abhari hun aapka shastri ji ki mere likhe ko bhi isme sthan mila aur ye jyada se jyada logo taq pahunch paya.ek bar fir badhai badhiya charcha ke liye.

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह ...बहुत बढि़या लिंक्‍स का संयोजन ...जिनके साथ मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बढ़िया लिंक्स...
    लाजवाब संग्रह.
    आभार
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  13. सुंदर प्रस्तुति और सुंदर लिंक्स के लियें बधाई आपको|
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार|

    जवाब देंहटाएं
  14. aabhaar is sammaan ke liye sath hi sabhi any kalam ke pujariyon ko naman...

    जवाब देंहटाएं
  15. सुंदर चर्चा।
    बेहतर लिंक्‍स।

    जवाब देंहटाएं
  16. प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर!मेरी रचना को शामिल करने लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  17. बेहद ख़ूबसूरत! शानदार प्रस्तुती! मेरी शायरी शामिल करने के लिए धन्यवाद! ज़बरदस्त चर्चा रहा ढेर सारे लिंक्स के साथ!

    जवाब देंहटाएं
  18. 'चीनी' वस्तुओं का बहिस्कार आज नहीं तो कल करना ही पड़ेगा.

    जवाब देंहटाएं
  19. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।