फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, जनवरी 18, 2012

"फेसबुक-गूगल सावधान!" (चर्चा मंच-762)

मित्रों!
मैं फिर आपकी सेवा में अपनी पसन्द के कुछ लिंक लेकर उपस्थित हूँ!


       अपर्णा खरे जी बता रहीं हैं रूहानी सुहानी में - जो हैं सबके खुदा जा रहे हैं स्कूटर पे शामिल होने किसी प्रतियोगिता मे उन्हे क्या पता जिंदगी की सारी प्रतियोगिता वो ही तो आयोजित करते हैं लोगो की आँख मे धूल झोंकते रहते हैं। जबकि मुझे लगता है हमारी मंजिल एक थी मैं आज भी नही जान सका क्यों हमारा संवाद वाद-विवाद की सीमाएं लांघ कर मौन में तब्दील हो गया...कुछ तो है इसके पीछे-अहम या इमानदारी ...! (१) अकेले चलो मिलता नहीं साथ मंज़िल तक. (२) गलती एक सज़ा उम्र भर की कैसा इन्साफ? (३) नभ में चाँद नदी में परछाईं दोनों है दूर...सभी हाइकु बहुत बढ़िया रहे! कन्या और भूर्णहत्या की मिली जुली सोच के साथ लिखी गई कविता ......बहुत दुःख होता है जब आज कल की पढ़ी लिखी लड़की जब इस तरह का कदम उठती है तो ...आखिर कब तक ? वो दिल भी क्या जिसे कभी प्यार ना मिला, वो इन्सां भी क्या जिसे कभी यार ना मिला ! वो दिन भी क्या जिसमे ख़ुशी का जाम ना मिला,वो जीवन भी क्या....!!  देश की बिगड़ी जो कहानी है/ यह सियासत की मेहरबानी है / लोग कहते हैं कि भ्रष्टाचार ही अभिशाप है, किन्तु राजनीति तो उसका भी बाप है / यहाँ बेतरह भाई - भतीजावाद है...शल्य चिकित्सक की दरकार है काश ऐसा एक रोज़ हर किसी की ज़िन्दगी मे आये और वो उसमे अपनी पूरी ज़िन्दगी जी जाये कौन सा...? मुझे उस एक रोज की तलाश है...! सरगोशी तो यही रही कि वक़्त ठहरता नहीं पर जाने कितने वक़्त ठहरे हुए हैं ...! पाकिस्तान मे आज हंगामा खेज माहौल है। भारतीय मीडिया में दिखाई जा रही खबरो पर यकीं करे तो किसी भी समय वहा की सरकार के गिरने का फ़ौज के सत्ता पर काबिज होने का ख़तरा है, मगर पाकिस्तान के हालात इतने बुरे भी नही हैं! प्रिय मित्रो सादर ब्लॉगस्ते! *इं*सान की शुरू से ही दूसरे के घर में ताक-झाँक करने की आदत रही है. क्योंकि हम देखते हैं-उड़न तश्तरी में उड़ते समीर लाल! चलो कुछ तो है दुनिया में अच्छा..क्या हर तरफ़ बुराई है ? भारत और भुखमरी! भारत और भुखमरी - *अरुण चन्द्र रॉय* कुछ माह पूर्व* *इसी ब्लॉग पर इसी शीर्षक से मेरा एक आलेख प्रकाशित हुआ था.मकर , कुंभ और मीन लग्‍न वालो के लिए लग्‍न राशिफल ... कैसा रहेगा आपके लिए वर्ष 2012 ?? अरे! यहाँ तो हमारी राशि का भी जिक्र है! वो एक ख्वाब था  पर जो भी था, लाजवाब था । चंद लम्हों को आया था, मुस्कुराहट भी लाया था....। उसकी आंखों में समंदर सा उतर आया था, डूब जाता न भला और तो क्या करता मैं.*मु*झे इसी बात का डर था, कि कहीं सचिन अपने खराब प्रदर्शन से लोगों के निशाने पर ना जाएं और वही हुआ।  बस यूं हीनहीं चाहिए सचिन का महाशतक ...वो आँखे वो आँखे कितनी खुश थीं ढेरो मिठाई बंटी बड़ी देर तक काँसे की थाली बजी थी हर एक पल रोमांच था जब तुमने कुछ नया किया था अंगुली थाम चलना...! दांपत्य में अल्पविराम के बाद...राधे तूने मुरली क्यूँ है चुराई ...? मन को किया स्वीकार ,तुम्हारी आँखों ने किया सम्पूर्ण मेरा विस्तार, तुम्हारी आँखों ने धड़कन में रब ने ऐसे तुम्हे बसा डाला किया हर भ्रम को निराधार....! वो सुलगते हैं बरसों - उत्तमराव क्षीरसागर -इनका शुभ नाम है Uttamrao Kshirsagar और उत्तमराव जी कहते हैं - जो आग होना चाहते हैं । सुलगते हैं बरसों । यह जानकर भी । कि‍ राख हो जाऍंगे । और इनका परिचय है...! आरक्षण की मार है , रही देश को मार । इक जाति कभी दूसरी , मांगे ये अधिकार....। छलावा ! *नादां, हतभाग्य भंवरा ! * ** *शरीफों के जमाने में * ** *उसके लिए टेढ़ी-मेढ़ी, * ** *भूलभुलैया हर गली थी, * *दिल में पुष्प की स्पृहा थी,* *मगर हर शाख़ पे...! किसी अच्छे काम के लिए पीसफ़ुल एक्टिविटी करना जिहाद हैमन की मजबूरियों की क्या कीमत लगाओगे या बात-बात पर नपे-तुले व्यावहारिकता की चादर ओढाओगे... ध्रुवों पर कील गाड़कर आस्था-विश्वास को बाँध आओगे और मान जाओगे...! मुझे पता नहीं कब अश्क बहे और कब आँखों से वो सब कुछ धुल गया जो बेरौनक था ,ग़मगीन था ,उदास बैठे ,समझ नहीं आ रहा था की हम गुनेहगार हैं या ...स्मृतियाँ .... ! ये दिया जलाये बैठी हूँ,*आशा से .....! *स्नेह भरा था जीवन का,* *ये जीवन दीप भी* *अब कब तक * *जल सकता है ?* *इसको अब* *आओ संभालो तुम..! स्वास्थ्य-सबके लिए सभी इंद्रियों में कान की स्थिति विशिष्ट है। शेष सभी इंद्रियों को कम या ज्यादा समय के लिए नियंत्रित किया जा सकता है,..कान है कुछ ख़ास,बनाए रखिए संजीदाइगो : एक मनोरोग ! 
      अन्त में - गरीबी ! तू न यहाँ से जा....!

20 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार चर्चा बेहतरीन लिंक्स
    आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  2. सावधानी तो हर जगह जरूरी है जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. ahobhagya aaj charchamanch kee link khul gayi. shastrijee bahut bahut dhanyavad itane achchhe link lene ke liye aur mujhe lene ke liye.

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया लिनक्स के साथ उत्तम चर्चा के लिए बधाई..

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्तम चर्चा के लिए आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर बहुरंगी चर्चा , है अंदाज भी खास
    रूप चंद्र का खिल उठा,बहने लगी सुवास
    बहने लगी सुवास,हृदय में कविता जागी
    गुंजन कर मदमस्त हुए, भँवरे अनुरागी
    लहरें करें शरारत ,शांत मुस्काय समुंदर
    गगनांचल करता मयंक चर्चा अति सुंदर.

    जवाब देंहटाएं
  7. अति धन्यवाद ..मुझे अपनी चर्चा में शामिल करने के लिए...
    और सुन्दर संयोजन से सजी चर्चायों से ज़रूर अवगत होंगे..:)
    kalamdaan.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर चर्चा | बढ़िया लिंक संयोजन |
    सभी लिंक्स पर जाकर रचनाये देख रहा था और कमेन्ट भी कर रहा था |पर अचानक मेरा गूगल खाता निष्क्रिय कर दिया गया | शायद टिपण्णी में लिंक छोड़ने के वजह से | यह पहली बार हुआ | अगर कोई महानुभाव मदद कर सके खाता वापस पाने में तो जरुर मेल करें |
    pradip_kumar110@yahoo.com

    जवाब देंहटाएं
  9. सावधानी से हर जगह रखनी ही पडी है....बहुत अच्छी जानकारी धन्यवाद शास्त्री जी!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर चर्चा, अच्छे लिंक्स
    मुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. लगता है,चीज़ें पैरे में ही ठीक दिखती हैं।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक प्रस्तुति...मेरी रचना शामिल करने के लिये आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. bahut badiya links ke sath sarthak aalekhnuma charcha prastuti ke liye aabhar!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।