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शनिवार, जनवरी 21, 2012

"अस्तित्व की तलाश" (चर्चा मंच-765)

मित्रों!
      रात के दस बजे हैं लेकिन हमारे सहयोगी चर्चाकार "अतुल श्रीवास्तव" जी की कल शनिवार के लिए चर्चा शैड़्यूल नहीं है। इसलिए मैं ही शनिवार की एक संक्षिप्त चर्चा आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ।
तीन साल का लेखा जोखा (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 
      पहले और अब के कवि ... की कोई और फोटो नहीं मिली ...इसलिए सोचा चलो अपनी ही फोटो डाल दे....अरे हम भी तो आज के वक्त की कवयित्री हैं भाई .....! देश में मची तबाही है, जनता दुखी घबराई है, बेशर्मी नेताओ की देखो, हाय कुर्सी हाय लगाई है."रैना" लिख रहे हैं मेरे मन पर..अपने मन की बात। सर्द मौसमघना कोहरा धूप चांदनी लगे ढूंढें तपिश सर्द रात में फुटपाथ आबाद जिंदा हैं लाशें ....! जिनको दोहरापन हमेशा कचोटता है - इनका शुभ नाम है - श्री राजेन्द्र तेला निरंतर Occupation से दन्त चिकत्सक और Location है Ajmer, Rajasthan, India! ज़माना ख़ुद सही होता, तो बदल जाते हम. तू झूठ ही सही, कहता तो, बहल जाते हम, ज़हर ही देता, तू देता तो, निगल जाते हम.. बड़ा ही सर्द रवैया रहा, तेरा हम से, ज़रा सी गर्म-दिली से, क्या उबल जाते हम.. ...! कंप्यूटर को शट डाउन तो हम सभी करते हैं पर कभी कभी कंप्यूटर बंद होने में भी काफी समय लेता है ऐसे में एक छोटा टूल...तकनीक हिंदी में - अपने कंप्यूटर को बंद कीजिये थोडा और जल्दीप्रमुख भारतीय उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा 12 से 25 आयुवर्ग के दो हजार बच्चों और युवाओं पर कराए सर्वेक्षण के आधार पर यह बात कही गई है कि *देश के लोग अब...फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों से ऊबने लगे लोगकुछ बातें तो बस कहने सुनने मे अच्छी लगती हैं... कैसी शय है यार मोहब्बत, बारिश सूखी लगती है... धूप ज़रा ठंडी लगती है, सर्दी गर्मी लगती है...! खुशहाली ,चोट और चोर ...... आज एक बार पुनः पढ़िये-मम्मी की 2 नयी कविताएँ! आज पूरे तीन साल हो गये हैं इनको ब्लॉगिंग करते हुए। लगता तो नहीं लेकिन आप कह रहे हैं तो मान लेते हैं कि ऋतुराज यह वसंत आया ! छंट गया धरा से शिशिर का सघन कुहा, सितारों से सजीला तिमिर में गगन हुआ। भेदता है मधुर कुहू-कुहू का गीत कर्ण, आतप मंदप्रभा का हो रहा अपसपर्ण। सर्दी का मौसम  अमीरों को ही है भाया,बेचारे गरीब की तो वैसे ही लाचार है काया गर्मी की मार तो वो झेल ही जाता है! भ्रष्ट है, पर अपना हैठंड और धुंध ने पूरा कब्जा जमाया हुआ है, हवाई जहाज को सूझता नहीं कि कहाँ उतरें, ट्रेनों को अपने सिग्नल उसके नीचे ही आकर दिखते हैं, कार ट्रक के नीचे घुस जाती है, लोग कुछ बोलते हैं तो मुँह से धुँआ धौंकने लगता है। सारा देश रेंग रहा है, कुछ वैसा ही जैसा भ्रष्टाचार ने बना रखा है, लोगों की वेदना है कि कहीं कोई कार्य होता ही नहीं है।''आभासी मैं'' चेहरे पे ब्रश से फैलाता शेविंग क्रीम.. तेजी से चलता हाथ आफिस जाने के जल्दी सामने आईने में दिखता अक्स... ओह !!  अपने प्रेम को पवित्र बनाएंएक छोटी सी बात... -*'समय'* *'सेहत'* *और * *'सम्बन्ध'* *ये तीनों कभी भी* *'कीमत'* *का लेबल लगा कर नहीं आते,* *पर जब हम इन्हें खो देते हैं* *तब इनकी सही * *'कीमत'* *का एहसास होता है...! पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है Divine Loveयह है चाय.... बहुत दिन से सभी एक ही शिकायत कर रहे हैं शानू जी कुछ लिखते ही नही आप और मुझे... सच्ची में चाय चाय चाय ! और कोई काम ही नही.? मैं निष्पक्ष,निस्वार्थ हमेशा तुम्हारे साथ रहती हूँ..... इसलिए नही कि ...मैं तुमसे प्यार करती हूँ........बल्कि इसलिए कि मैं....तुम पर विश्वास करती हूँ.......! चाय की चुस्की और रज़ाई और उसपे तुम कुछ कुछ अलसाई मेरा भी बस चुपचाप तुम्हे देखे जाना मन को रोमांचित कर जाता हैं सच मे  जाड़ा बहुत भाता है! आज एक ख्याल ने जन्म लिया  स्त्री मुक्ति को नया अर्थ दिया  ना जाने ज़माना किन सोचो में भटक गया और स्त्री देह तक ही सिमट गया या फिर बराबरी के झांसे में फँस गया...! याददास्त बढ़ाने वाली पुस्तको का सेट -- मात्र ३०० रूपये में *छात्रो और प्रतियोगी परीक्षा की तयारी करने वालो के लिए खुशखबरी! कागज पर कोई शब्द नहीं थे... मैंने अब दरवाजों की ओर देखना छोड़ दिया है. वहां से कोई उम्मीद नहीं आती. खिडकियों को भी गहरे नीले रंग के पर्दों के भीतर छुपा दिया है....!  कहनॆ कॊ यूं तॊ, भरॆ पूरॆ हैं हम । मगर हकीकत मॆं, अधूरॆ हैं हम,,,,,! क्योंकि अभी तक ज़िन्दा है कसाब मेरे देश में...नन्ही लौ और इंसान...! -अन्धकार भयावह है... विस्तार लिए हुए है रौशनी नन्ही सी है... एक लौ में सिमटी हुई है पर, जब दोनों देखे जायेंगे तब एक दूरी से वह नन्ही लौ ही नज़र आएगी! ये गठरी संग न जायेगी, क्यों बोझ बढ़ाते जाता है इस पार नहीं लेखा-जोखा,  उस पार ही तेरा खाता है....हे देव.....तुम्हारी बाँसुरी में आखिर कैसा जादू है, मै हरदम सोई रहती हूँ,नशे में खोई रहती हूँ। जब भी तुम मेरे मन के उपवन में हौले से आते हो,....!  अंगूठा बस दिखाने के काम का, काम में पर बहुत आती उंगलियाँ बालपन में थाम उंगलियाँ !..... मुसलमान पति से मिलने वाले लाभ को हर घर में आम कर दिया जाए तो हर घर आनंद से भर जाएगा ! मज़बूत विश्वास की जड़ किसी तूफ़ान बहाव से नहीं हिलती विश्वास पानी में उठता बुलबुला नहीं जो मिट जाये एक पल में ही विश्वास सिद्धांतों से अडिग....वज्र विश्वास...सर्दियों में खुश्क हो चुकी त्वचा की सुरक्षा केवल नमी लौटाने से ही हो सकती है। ....सर्दियां और मॉइश्चराइज़र ! चलते -चलते ....! अस्तित्व की तलाशजिन्हें हम याद करते हैं वह शरीर रूप में विद्यमान नहीं , लेकिन उनका अनुभव हमारे पास है . उन्होंने जो महसूस करने के बाद अभिव्यक्त किया वह हमारे पास है !

25 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी लिंक्स और अच्छी चर्चा जाड़े़ के मौसम में
    बिना चाय के काम कैसें करें |उच्चारण की वर्ष ग्रंथि पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  2. शास्त्री जी, सर्वप्रथम उच्चारण को वर्ष-गाँठ की हार्दिक शुभकामनाये ! साथ ही एक अच्छी चर्चा के लिए आपका आभार !

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  3. उच्चारण को वर्ष-गाँठ की हार्दिक शुभकामनाये...अच्छी लिंक्स और अच्छी चर्चा... हमारी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...

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  4. ♥ उच्चारण की वर्ष-गाँठ पर हार्दिक शुभ कामनाएं |

    ♥ ♥ एक अच्छी चर्चा के लिए आपका आभार !

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  5. उच्चारण की वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनायें.

    सुंदर लिंक्स- सुंदर चर्चा.

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  6. BADHAAI UCHCHAARAN KEE SAALGIRAH KEE ,BEHATREEN CHRCHAA KEE .AAJ GOOGAL ANUVAAD NAHIN KAR RHAA HAI .MAAF KIJIE .

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  7. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स का संयोजन ...आभार ।

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  8. बहुत अच्छी चर्चा।
    मम्मी की कविताओं को यहाँ स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!


    सादर

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  9. कम समय होने के बाद भी आपने गजब का चर्चा मंच को सजाया है।
    बहुत सुंदर चर्चा

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  10. सुन्दर लिंक संयोजन ……सुन्दर चर्चा।

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  11. Bahut hi achhe links sir..
    Bahut bahut dhanyawad meri rachna ko shaamil karne ke liye :)

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  12. उच्चारण और आपको "उच्चारण" की वर्ष-गाँठ की हार्दिक शुभकामनाये...
    अच्छी लिंक्स और अच्छी चर्चा...
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...

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  13. बहुत बढ़िया लिनक्स मिले|

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  14. बहुत ही खुबसूरत लिनक्स दिए है आपने....मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

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