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रविवार, जनवरी 29, 2012

पंजाबी मजदूर जब : चर्चा-मंच : 773


पंजाबी मजदूर जब, इटली जाय कमाय ।
राहुल जी कहिये भला, झन्खे या इठलाय ।।
                               ---- रविकर

यादों के झूले....

तब १९६९ में .

और अब २०१२ में 
          
यादें ....

यादों... के भवंडर,
दुखों की आंधियां...
एक सदियों पीछे ले जाता है 
और एक मीलों आगे....

वैसे तो आगे बड़ने को ही जिन्दगी मानते हैं 
पर कभी-कभी पीछे मुड कर देखना भी 
बड़ा सुखद लगता है ,अपने छोड़े हुए कदमों 
के निशां,जिन रास्तों से हम चल के आये 
उन्हें अपने पीछे  छोड़ आये ,यादे हमेशा हमारे 
साथ-साथ चलती हैं |पर अक्सर हम  उन्हें नजर-अंदाज 
करके बहुत आगे निकल आते हैं ,उनकी तरफ ध्यान 
ही नही जाता |फिर भी चलते-चलते एक नजर पीछे 
पड़ ही जाती है ,और हम फिर मुस्करा कर आगे  
बड जाते हैं |जब जिन्दगी के रास्तों पर चलते-चलते 
थकने लगते हैं ,तब-तब हम पीछे छूटे रास्तों को 
पहचानने की कोशिश करने लगते हैं |

पर नजरें अब कमजोर हो चुकी हैं ,शरीर बुढ़ापे  की 
और बढ़ चला है ,यादाशत धोखा देने लगी है |
अब सब कुछ धुधला चुका है |पर यादें हैं की आती 
ही जाती हैं ....यादें...यादें और अब बस यादें ...
"अपने बोलने से मुकरना तो  सभी को आता है
अपने लिखे को झुठलाना समझाओ तो जाने"

पहली 

ऋतुराज बसंत

महेश्वरी कनेरी जी की प्रस्तुति 




लो ऋतुराज बसंत फिर आए

सजधज धरती पर छाए ।

हर्षित धरती पुलकित उपवन
सुगंध बिखेरे पवन इठलाए
शाखों ने फ़िर ओढ़ी चुनरी

  दूसरी

चुनावी सर्कस के दोरान, खटीमा में बी.जे.पी. ने बुलाया शक्ति कपूर ...



 तीसरी 

कुछ तो गलत है ...





सदा पर 








इंसाफ़ होने में देर हो तो
अंदेशा होता है अंधेर का
ज़रूर कहीं न कहीं
कुछ तो गलत है ...
''जागते रहो'' की
आवाज़ लगाता सुरक्षा प्रहरी
अनभिज्ञ रहता है

बहार ऐसे ही आती है .

जैसे दुखों के बाद सुख - तपते
मौसम के बाद बारिश - सूखते
जखम के बाद होने वाली -
मंद मंद खारिश -
अहसास दिलाती है - शायद
पतझर के बाद - बहार
ऐसे ही आती है  .

पांचवी 
फ़ुरसत में ... 90
IMG_3308मनोज कुमार
कहीं पढ़ा था, “किसी की मदद करते वक़्त उसके चेहरे की तरफ़ मत देखो, ... क्योंकि उसकी झुकी हुई आंखें आपके दिल में गुरूर न भर दे ...।” इस सूक्ति को मैंने दिल में गांठ की तरह बांध ली थी। मुझे नहीं पता था कि यह गांठ दिल को सुकून पहुंचाएगी या किसी दिन गले की फांस बन जाएगी।

 छठी 

स्वास्थ्य-सबके लिए

 कमर दर्द का कारण स्लिप्ड डिस्क तो नहीं?


वह ज़माना बीत चुका है जब गर्दन दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द या स्लिप्ड डिस्क जैसी समस्याओं को वृद्घावस्था का लक्षण माना जाता था। अब २५-३० साल के लोग भी कमर पक़ड़े नज़र आ जाते हैं। विभिन्न अध्ययनों से यह सामने आया है कि विश्व में हर आठवां आदमी पीठ दर्द या स्लिप्ड डिस्क के दर्द से त्रस्त है।

सातवीं 
  देवेन्द्र पाण्डेय  बेचैन आत्मा  पर
तूने दिया हैप्यार माँ स्वीकार कर आभारमाँ माता-पिता कोईनहीं बस तू ही हैआधार माँ मेरा नहीं तेराही है जो कुछ भी है घर-बारमाँ कोई न था बस तूही थी जब था बहुत लाचार माँ आशीष दे लड़तारहूँ जितना भी होअंधियार ...



हँसते-मुस्कुराते पीले फूल .....!

 




नौवीं 
वैसवारी पर

हम वो परिंदे हैं !

उनकी याद भी अब उनकी तरह नहीं आती,
कोई खुशी अब खुशी की तरह नहीं आती !(१ )


हमने मौसम की तरह,उनका इंतज़ार किया,
पतझर के बाद भी ,बासंती-हवा नहीं आती ! (२)


वे खूब खुश रहें ,अपने जहान में,
हमें तो अब दुआ भी,देनी नहीं आती !(३)


दसवीं 

ए बसंत तेरे आने से

ए बसंत तेरे आने से
नाच रहा है उपवन
गा रहा है तन मन
-----------------
ए बसंत तेरे आने से ।
,,,"दीप्ति शर्मा "

ग्यारहवीं 
Dr.J.P.Tiwari   pragyan-vigyan  पर 
आखिर क्या है यह - चित्र, कृति या विकृति? कला या मन की कालिमा? अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता? या संवेदनाओं का दुरुपयोग? यह अरूप का रूप है या अपने मन का कुत्सित रूप
                                     

बारहवीं 

"करता हूँ माँ का अभिनन्दन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


मन के कोमल अनुभावों से,
करता हूँ माँ का अभिनन्दन।
शब्दों के अक्षत्-सुमनों से,
करता हूँ मैं पूजन-वन्दन।।

तेरहवीं 

अमृता तन्मय की प्रस्तुति  

मनतारा

चिड़ियों  की  चीं-चीं , चन-चन
भ्रमरों  का  है  गुन-गुन , गुंजन
कलियों की  चट-चट , चटकन
मानो  मंजरित हुआ  कण-कण

चौदहवीं 




बसंत पंचमी की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें ...बसंत को महसूस करने के लिए डूबिये मां-बेटी  मलिका पुखराज और ताहिरा सईद की दिलकश आवाज़ में-


पंद्रहवीं 

बसंत एक रंग अनेक ( हाईकू )


पीत वसन 
उल्लसित  है मन 
बसंत आया 
*************************


श्रीहीन मुख 
गरीब का बसंत 
रोटी की चाह .

सोलहवीं 
निरंतर की प्रस्तुति 

दिल किस के बस में है



दिल
किस के बस में है
अब तक पता नहीं चला
ज़िन्दगी क्यों बेबस है
ये भी पता नहीं चला
इतना ज़रूर पता है

 सत्रहवीं 

भक्तों को घंटे-घन्टी बजाने से रोक...इसे पढ़कर तो बहुत आश्चर्य हुआ और क्षोभ भी...

क्या ऐसा भी हो सकता है? आँध्रप्रदेश सरकार की साम्प्रदायिकता का एक अजीब और दुखद उदाहरण सामने आया है | हैदराबाद में चार मीनार के पास स्थित भाग्यलक्ष्मी जी के मंदिर पर ‘आरती के समय घंटे’ बजाने पर रोक है; जिसके लिए प्रशासन ने दो महिला कांस्टेबल भी भक्तों को घंटे-घन्टी बजाने से रोकने के लिए लगाये है| नीचे  का फोटो देखकर आपको हकीकत का अंदाजा लग जायेगा | 


अट्ठारहवीं 
सुकरात संग, मॉल में - अपने अनुशासन से बुरी तरह पीड़ित हो गया तो आवारगी का लबादा ओढ़ कर निकल भागा। कहाँ जायें, सड़कों पर यातायात बहुत है, एक दशक पहले बंगलुरु की जिन सड़कों पर बि...

उन्नीसवीं 

वेद क़ुरआन में ईश्वर का स्वरूप God in Ved & Quran

शारदा देवी को एक वर्ग ज्ञान की देवी मानता है। आज उसकी पूजा की जा रही है। बहुत से ब्लॉगर्स ने इस पूजन-अर्चन को आज अपने लेख का विषय बनाया है और उसकी पूजा और प्रशंसा में गीत भी लिखे हैं।
देवी देवताओं की पूजा उन लोगों का मौलिक अधिकार है जो कि उनकी पूजा में विश्वास रखते हैं। लेकिन जब इस पूजा और विश्वास को इस महान देश की ज्ञान परंपरा देखा जाता है तो पता चलता है कि वैदिक परंपरा में मूर्ति पूजा बाद के काल में शामिल हुई।

बीसवीं 

ग़ज़ल

तू मेरी जरूरत भी रहा, मेरी आदत भी।
तू ही खुदा था  मेरा, मेरी  इबादत भी।

दरिया से  कतरा मांग  कर क्या करता,
यही वक्त का तकाजा है, मेरी चाहत भी।

क्यूं शर्मिंदा रहूं करके इश्क-ए-गुनाह,
सज़ा भी यही है, और मेरी राहत भी।
 

21 टिप्‍पणियां:

  1. रविकर जी, बहुत मन से जुटाए हैं आपने ये लिंक। बधाई1

    जवाब देंहटाएं
  2. कुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
    बसंत पचंमी की शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. निराले अंदाज में आपकी लगाई चर्चा आकर्षित करती है ..

    जवाब देंहटाएं
  4. ये Links आपने बहुत मन से जुटाए हैं।

    बधाई !!

    and see :
    जब भी पुरवा बयार आती है
    ज़िन्दगी खूब खिलखिलाती है
    http://mushayera.blogspot.com/2011/12/blog-post_8475.html

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत-बहुत आभार आपका !
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  6. श्रमसाध्य चर्चा.... बहुत अच्छे लिनक्स मिले ...
    चैतन्य को जगह दी , हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. खूब सजाकर जोरदार चर्चा करी है आपने। जब आपने इतनी मेहनत करी है तो देखना पढ़ेगा सभी लिंक।..आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. रविकर जी ..
    बहुत सुन्दर , मनभावन और
    बेहतरीन लिंक्स से चर्चा मंच को सुसज्जित किया है
    सारे लिंक्स देख लिए सब बहुत ही अच्छे लगे ..
    धन्यवाद ...

    जवाब देंहटाएं
  9. वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ ....
    माता सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहे ...

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  10. dil mere bas mein nahee,
    nirantar charchaa manch par machaltaa hai

    dhanyawaad aur badhaayee

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर वासंती छटा को जीवंत करते लिंक्स और सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  12. आज की चहकती महकती वासन्ती चर्चा का जवाब नही।
    बहुत बढ़िया लिंकों का चयन किया गया है।

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  13. bahut dino badh muje samay mila ki may blog aak najar dekh saka,bahut aacha laga,bahut sundar charcha...
    aap sab kiyese hai

    जवाब देंहटाएं
  14. बासंती रंगो से सजा सुन्दर चर्चा मंच..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार..

    जवाब देंहटाएं

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