चरखा चर्चा चक्र चल, सूत्र कात उत्कृष्ट ।
पट झटपट तैयार कर, पलटे नित-प्रति पृष्ट ।
पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर ।
डालें शुभ शुभ दृष्ट, अनुग्रह करिए गुरुवर ।
अंतराल दो मास, गाँव में रहकर परखा ।
अतिशय कठिन प्रवास, पेश है चर्चा-चरखा ।
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बोलोगे तो अपराधी , चुप रहे तो मरोगे ... बोलो क्या करोगे ?
tarun_kt
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नुक्कड़
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अरुन शर्मा 'अनन्त'
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Randhir Singh Suman
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shikha kaushik
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मुकेश पाण्डेय चन्दन
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shikha kaushik
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उपासना सियाग
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"वीरान गुलशन सजाकर दिखा तो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
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सतीश सक्सेना
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झारखण्ड सी जिन्दगी, उगें हृदय में शूल-
टुकड़े-टुकड़े था हुआ, सारा बड़ा कुटुम्ब,
पाक, बांगला ब्रह्म बन, लंका सम जल-खुम्ब ||
अब घर छत्तिसगढ़ हुआ, चंडीगढ़ था यार,
पांडीचेरी चेरि सी, बिखरा घर-परिवार ||
झारखण्ड सी जिन्दगी, उगें हृदय में शूल,
खनिज सम्पदा लुटा के, मार नागरिक-मूल ||
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पूर्ण कलश लेकर अर्पण का अर्ध्य तुम्हे प्रेषित कर डाला
Manoj Nautiyal
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ओम पुरोहित'कागद'
[1]
न इश्क है
न बीमारी
न चिँता है
न खुमारी
फिर क्योँ उड़ गई
रातोँ की नीँद हमारी ?
सवाल तो
और भी हैँ
फिलहाल
इसी का चाहिए
हमेँ जवाब ;
पेट भरने के बाद भी
क्योँ चाहिए तुम्हेँ
दुनियां की दौलत सारी ?
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udaya veer singh
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ऋता शेखर मधु
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shashi purwar
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"मयंक का कोना"
(1) खुद को छलते रहना.. धूप में चलते हुए, इस ख़ुश्क ज़मीन पर क़दम ठिठके ज़रा छाँव मिली लगा किसी दरख्त के नीचे आ पहुंची हूँ. मगर नहीं , यह तो बादल का एक टुकड़ा है जो ज़रा बरसा और पानी बन कर बह गया, धूप अब और तेज़ लगने लगी है मुझको ... Vyom ke Paar...व्योम के पार (2) खूँटे से बँधी गाय... खूँटे से बँधी गाय जुगाली करती-करती जाने क्या-क्या सोचती है अपनी ताकत अपनी क्षमता अपनी बेबसी और गौ पूजन की परंपरा जिसके कारण वह जिंदा है या फिर इस कारण भी कि... (3) हाइकु डूबता सूर्य मदहोश-सी शाम कैसा अंजाम... Dr. Sarika Mukesh (4) विवाह की इकतीसवीं वर्षगाँठ : ब्याह हुये इकतीस सुहावन साल भये नहिं भान हुआ नित्य निरंतर जीवन में पल का पहिया गतिमान हुआ छाँव कभी अरु धूप कभी हर मौसम एक समान हुआ... अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) पर अरुण कुमार निगम बहुत-बहुत शुभकामनाएँ निगम जी! |
आज शुक्रवार (07-06-2013) को पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर चर्चा मंच 1268 में दो माह से इसी मनभावन-सतरंग चर्चा का इन्तजार था सबको!
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुरंगी लिंक्स हैं आज की \
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंउत्तम चर्चा ..
जवाब देंहटाएंशानदार,बहुत उम्दा लिंक्स ,,,
जवाब देंहटाएंअरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) पर
जवाब देंहटाएंअरुण कुमार निगम
हार्दिक बधाइयाँ
शुभकामनाये
बाहिन-बांह फंसाय रहे, लिपटे जस फोर बनावत हैं |
काह कहें जब झूठ लिखें, इकतीस हमें बतलावत हैं |
ब्याह हुवे दुइ वर्ष हुवे, मन से मुखड़े मुसकावत हैं |
क्यूँ भइया-भउजी मिलके, अरुणे-सपने भरमावत हैं -
शादी की इकतीसवीं सालगिरह पर मित्र
हटाएंदी सुंदर शुभ-कामना , खूब सवैया चित्र
खूब सवैया चित्र , हवायें महकी -महकी
आलम है रंगीन , दिशायें बहकी -बहकी
मैं भी मन की बात , कहूंगा सीधी-सादी
लगता मानों अभी-अभी ही की थी शादी
तकली कर लेकर करूँ, मैं भी थोड़ा यत्न
जवाब देंहटाएंरविकर लाये मंच फिर , चर्चाओं के रत्न
चर्चाओं के रत्न , बड़ी ही कमी खली थी
सूरजमुखी उदास ,बाग की कली कली थी
दूर्वादल पर ओस, ढलक आई थी असली
बीते दिन चालीस,बीच में सुधि नहिं तक ली ||
सुस्वागतम्...............
शानदार चर्चा!!
जवाब देंहटाएंछैंया बन कर लाड़ दे , झेले खुद ही धूप
जवाब देंहटाएंमन ममता से हो भरा ,भाये वो ही रूप
भाये वो ही रूप , निभाये रिश्ते सारे
समझ सकें तो समझें, क्यों हैं सागर खारे
वन्दनीय वटवृक्ष, पूज्य हैं कृष्ण- कन्हैया
झेले खुद ही धूप , लाड़ दे बन कर छैंया ||
पारिवारिक स्नेह प्रदान करने हेतु आभार.........
बहुत दिनों बाद आदरणीय आपकी सजाई चर्चा मिली है जिसमें सुन्दर सूत्रों का संकलन किया है !!
जवाब देंहटाएंसादर आभार !!
आपकी वापसी अच्छी लगी...सुंदर सुव्यवस्थित चर्चामंच...सादर आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंrecent post
माइक्रोसॉफ्ट फाइल को पीडीऍफ़ में बदलने का तरीका
adobe reader में कंप्यूटर बोल के पढ़ता है pdf फाइल
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंमैं वही तू वही सब उसी का कोई अंश है अवतार है ।
जवाब देंहटाएंकल्पना से सृजन तक सब ज्ञान का एक आधार है ॥ जय जय श्री राधे ! सुप्रभात , शुभ दिवस मित्रों ...
चरखा चर्चा चक्र चल, सूत्र कात उत्कृष्ट ।
पट झटपट तैयार कर, पलटे नित-प्रति पृष्ट ।
पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर ।
डालें शुभ शुभ दृष्ट, अनुग्रह करिए गुरुवर ।
करिए अनुग्रह गुरुवर खोलिए पट दिगंत तक ।
कहा रहे कैसी कटी कहिये जो बीती कथा अब तक ॥
आदरणीय रविकर जी एवं समस्त सद्भावी मंच श्रेष्ठ को सदर वन्दे मातरम । आपके नित्य प्रेम का पारितोषिक मिलाता रहे यही कामना करता हूँ ।
सबको यथायोग्य अभिवादन और सभी सुधि पाठक व रचनाकार भगिनी / बंधुओं को बहुत बहुत शुभकामनाये एवं सस्नेह धन्यवाद !
आपका
तरुण कुमार ठाकुर
जय हिन्द ! जय हिंदी !
आभार -
अपनी सतरंगी आभा बिखेरती, तमाम महत्त्वपूर्ण लेखों से अवगत करती आपकी यह पोस्ट बेहद अच्छी लगी, इसके लिए आपको धन्यवाद और तमाम लेखकों का आभार!
जवाब देंहटाएं"पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर चर्चा मंच 1268 में "मयंक का कोना" के अंतर्गत अपनी प्रविष्टि देखकर आह्लादित हुए, आपको हार्दिक धन्यवाद! अपना स्नेहाशीष यूँ ही बनाए रखें!
मंगल कामनाओं सहित, सादर,
सारिका मुकेश
बहुत सारे और उपयोगी लिंक्स मिले, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
उत्कृष्ट चरचा व सुन्दर दोहे से आरंभ करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुरंगी लिंक्स
जवाब देंहटाएंकिसी भी रचना पर रचना से भारी रविकर जी की प्रतिक्रिया होती है।
जवाब देंहटाएंउनकी विनम्रता के कारण ही कलम के सिपाहियों की फौज एक जगह इकट्ठा होकर खुद को धन्य मानने लगती है।
इस ब्लॉग जगत में रविकर-सा प्रवाहमान काव्य-झरना कोई दूसरा नहीं। उनकी हर प्रतिक्रिया सुख देती है।
कुछ यही भाव अरुण कुमार निगम जी को पढ़ने पर भी आता है। आपकी चर्चा में मयंक जी, निगम जी, सुज्ञ जी के शामिल हो जाने मात्र का सुख वर्णन नहीं कर सकता। :-।
आभार रविकर भाई जी ,
जवाब देंहटाएंनिगम जी को बधाई !
मैं थोड़ी देर से आया...
जवाब देंहटाएंलिंक्स सारे बेहतरीन हैं.. आज फुर्सत है, सारे पढ़ूँगा......