नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से चर्चा मंच पर हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा में मेरी पसंद की कुछ पोस्ट और एक लाइना के साथ।
आज महात्मा गांधी की पुण्य तिथि है। आइए सबसे पहले हम उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करें।
१. Bhushan जी की प्रस्तुति
कबीर और कुमार गंधर्व :: कबीर को जिन गिने-चुने गायकों ने सलीके, तरीके और अदब से गाया है उनमें कुमार गंधर्व हैं. उनकी शैली कबीर के बहुत अनुकूल बैठी है.
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२. राकेश 'सोहम' जी लाए हैं
आक्रामक पन्नियाँ ::
ये कभी
नष्ट नहीं होतीं /
और
बना देती हैं /
हमारी मानसिक /
उर्वरा शक्ति को /
क्षीण ! अति क्षीण !!
३. पं.डी.के.शर्मा"वत्स" का कहना है
यथा पिण्डे तथा ब्राह्मण्डे :: अर्थात जो ब्राह्मण्ड में है, वही इस हमारे शरीर में है. हम साढे तीन हाथ व्यास वाले इस मानव शरीर को अनन्त विस्तार वाले ब्राह्मण्ड का संक्षिप्त संस्करण कह सकते हैं. जैसे विस्तृत भूगोल का समस्त संस्थान छोटे से नक्शे में अंकित रहता है, ठीक उसी प्रकार ब्राह्मण्ड में विद्यमान समस्त वस्तुओं का मूल स्त्रोत हमारा अपना ये शरीर है.
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४. Vijai Mathur प्रस्तुत कर रहे हैं
गाँधी जी की हत्या –साम्राज्यवादी साजिश (बलिदान दिवस ३० जनवरी पर विशेष ) :: तमाम साम्राज्यवादी सांप्रदायिक साजिशों के बावज़ूद भारत आज प्रगति पथ पर अग्रसर तो है,परन्तु इसका लाभ समान रूप से सभी देश वासियों को प्राप्त नहीं है.सामाजिक रूप से
इंडिया और भारत में अंतर्द्वंद चल रहा है और यह साम्राज्यवादियों की साजिश का ही हिस्सा है.
५. बलिदान दिवस पर अरविन्द सिसोदिया,कोटा, राजस्थान प्रस्तुत कर रहे हैं गांधी जी ने गिनाए , सात सामाजिक पाप :: वे जो आज भी प्रासंगिक हैं जिनकी आज भी उपयोगिता है ..! महात्मा गांधी ही पुन्य तिथि पर इनका अनुशरण भारतीय राजनीति करे तो यह बापू को सबसे बड़ी श्रधांजलि होगी !
६. स्वप्निल कुमार 'आतिश' की घुंघराले बालों वाली शाम :: मैंने रोका नहीं तुम्हें / और रोकना चाहता भी नहीं था, / चाहता था ले आओ तुम उसे / लगाओ बालों में अपने / (शायद उसी से तुम्हारी लटें हो जाएँ घुंघराली) / और मजबूर कर दो दिन को वहीं ढलने पर / के दिन भी घुंघराले बालों में ढलना चाहता था...
७. नवीन सी. चतुर्वेदी लाए हैं
पहली समस्या पूर्ति - चौपाई - मयंक अवस्थी जी [६] और रवि कांत पाण्डेजी [७] ::
तुम बादल मैं प्यासी धरती| तुम बिन मैं सिँगार क्या करती| बन जाते माथे पर कुमकुम| कितने अच्छे लगते हो तुम|
८. Rachana जी की
एक अलग दुनिया है! ::
तुम्हारा सूनापन / मेरा अकेलापन / तुम्हारे सूखे होठ / मेरी खिलखिलाती हसी / तुम्हारे ठहराव
मेरे अन्तरंग भाव / तुम्हारे घाव की टीस / मैं बैठी की आँखें मीच
९.
चिरयुवा Puja Upadhyay वो फूल मुरझाते नहीं हैं, जाने कौन से अमृत घाट से पानी आता है. इश्क की तरह वो दो फूल भी हैं...पुनर्नवा.
१०. Kirtish Bhatt, Cartoonist कह रहे हैं
कार्टून: हम मजाक के मूड में नहीं हैं :: टेंशन बहुत है भाई।
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११. Er. सत्यम शिवम जानना चाहते हैं
तुम हो अब भी……...(सत्यम शिवम) ::
राहे मुझसे पुछती है, / है कहा तेरा वो अपना, / साथ जिसके रोज था तु, / खो गया क्यों बन के सपना।
१२. बलिदान दिवस पर Kailash C Sharma कहते हैं
फिर एक बार आओ बापू ::
हर शहर के चौराहे पर / है तुम्हारी मूर्ती / ज़मी है जिस पर / उदासी की धूल. / तुम्हारा दरिद्र नारायण / तुम्हारी ही तरह लपेटे / कमर में आधी, / पर फटी धोती, / खडा है आज भी / लेकर कटोरा हाथ में.
१३. नवीन प्रकाश दे रहे हैं जानकारी
2010 के टॉप 10 इंटरनेट ब्राउजर्स :: इंटरनेट ब्राउजर ही आपका रास्ता होते हैं इंटरनेट की विशाल दुनिया तक पहुँचने का । मनोरंजन, व्यापार, ज्ञान, मेल जोल आपकी जो भी आवश्यकताएं हो उसके अनुरूप आपको अपना ब्राउजर चुनना होता है पर सबसे बेहतर ब्राउजर तो वही है जिसमे ज्यादा से ज्यादा सुविधाएँ हो और वो सुरक्षित भी हो ।
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१४. संतोष त्रिवेदी याद करते हैं
बीबीसी की हिंदी सेवा ! :: दो दिन पहले ख़बर आई कि हम सबको सालों-साल ख़बरदार करती आई बीबीसी की हिंदी सेवा बस चंद दिनों की मेहमान है.यह ख़बर शायद आज के ज़माने में एक हाशिये भर की ख़बर बन कर रह गयी है.प्रसारणकर्ताओं ने धन की कमी का रोना रोया है. हो सकता है की यह सेवा कमाऊ न रह गयी हो पर सार्वजनिक -हितों के लिए इसका ज़ारी रहना न केवल हिन्दुस्तान के लोगों के लिए अपितु विश्व-बिरादरी के लिए भी ज़रूरी है.
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१५. Navin C. Chaturvedi की माने, न माने ..
पसंद अपनी अपनी ::
किसी को ये सुहाता है, किसी को वो सुहाता है |
ज़माने में सभी को, अपना - अपना रंग भाता है |
किसी को सुर्ख साड़ी में सजी दुल्हन लुभाती है |
किसी को दुस्साशन का कारनामा गुदगुदाता है ||
१६. chavanni chap की
फिल्म समीक्षा :दिल तो बच्चा है जी :: उनकी ईमानदार कोशिश का कायल हुआ जा सकता है, लेकिन दिल तो बच्चा है जी अंतिम प्रभाव में ज्यादा हंसा नहीं पाती। खास कर फिल्म का क्लाइमेक्स बचकाना है।
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१७.
त्रिपुरारि कुमार शर्मा की
बेबस ज़िन्दगी ::
भीग गये अब तो आँसू भी रोते-रोते /
एक सदी का सा एहसास देता है पल /
घाव-सा कुछ है सितारों के बदन पर /
आँखं छिल जायेंगी देखोगे अगर चाँद
१८. RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA का आह्वान -
आईये आपका अंधविश्वास और भी बढाऊँ । :: अगर किसी इंसान को जहरीला सर्प डस ले । तो इलाज में दस - बीस हजार के तो इंजेक्शन ही लगते हैं । लेकिन कोई इंसान यदि आपसे यह कहे कि पीपल की एक स्वस्थ पत्तेदार डाली तोङ लायें । और मरीज को लिटाकर बारबार दो पत्ते तोङकर उसकी डंडी ( शाखा से जुङने वाली ) की तरफ़ से मरीज के दोनों कानों में आहिस्ता आहिस्ता प्रवेश करायें । इस पर मरीज तङपेगा और चीखेगा । इस तरह दो तीन बार करायें । जब मरीज शान्त हो जाय ।
१९. गुस्ताख़ मंजीत की
गुस्ताख़: जाड़े की सुबह-कविता ::
खोजता रहा कहीं गरमाहट, /
उम्मीद की... / लाल सूरज भी सिकुड़ता-सा लगा..
२०. सलीम ख़ान का कहना है
आशियाना मुझे एक मयस्सर न हो सका: ऐ खुदा तुने ये जहाँ किस तरह बनाया है ! ::
किस्मत की दास्ताँ कुछ इस तरह हुई /
ग़म-ख्वार ने ही 'सलीम' हर ग़म बढाया है
२१. लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`की प्रस्तुति
अमरीकी समाज का महत्त्वपूर्ण अंग है, अमरीका का राष्ट्रीय खेल - फूटबोल जहां ३० सेकण्ड के टेलिविज़न विज्ञापन की कीमत २.६ मिलियन डालर.... ::
अब फरवरी माह आरम्भ होते ही , अमरीकी जनता , कौन सी टीम जीतेगी और कौन सा खिलाड़ी , फूटबोल के करतब दिखाकर ' प्लेयर ऑफ़ ध यर ' का खिताब हासिल करेगा , इसका इंतज़ार है ....और हां इस साल पीट्सबर्ग शहर की टीम स्टीलर और ग्रीन बे की टीम पेकर के बीच यह जनता के मनोरंजन का खेल ६ फरवरी को होगा .
२२. देवेन्द्र पाण्डेय ने लगाया है चंदन :: कितनी चतुराई जान लेते हो
चंदन शीतल लेप....!
२३. संगीता पुरी बता रही हैं
मेष लग्न की कुंडली मानव जाति की जीवनशैली का प्रतिनिधित्व करती है !! :: मेष लग्न की कुंडली के अनुसार मन का स्वामी चंद्र चतुर्थ भाव का स्वामी होता है और यह जातक के मातृ पक्ष , हर प्रकार की संपत्ति और स्थायित्व का प्रतिनिधित्व करता है। मानव के मन को पूर्ण तौर पर संतुष्ट करने वाली जगह माता , मातृभूमि , हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति और स्थायित्व ही होती है। माता , मातृभूमि और हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति और स्थायित्व से दूर मनुष्य सुखी नहीं हो सकता।
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२४. वाणी गीत की
भैंस पसरी पगुराय ..... ::
भैंस ने जुगाली करने के बाद एक जोर की डकार ली ...डकारने की आवाज़ के साथ गालियों की बौछार से हतप्रभ रह गए .... ये क्या भैंस , तेरे मुंह से ऐसी गालियाँ ...
२५. खुशदीप सहगल की
श्री समीर-सलाह, डॉ दराल प्रेस्क्रिप्शन, अनवांटेड एडवाइज़...खुशदीप :: नैतिक चेतावनी...
किसी को बिन मांगे सलाह देना भी कम ख़तरनाक नहीं...
२६. अर्कजेश के लिए नए साल में नया क्या है :: कविता अधूरी जैसी है । साल भी अभी बहुत बाकी है।
२७. मनोज कुमार हैं फ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (चौथा भाग) :: ओह! क्या अद्भुत नज़ारा था हमारे लिए! एक ९५ साल का शख्स हमारे लिए, हमारे अनुरोध पर फिर से अपना यौवन जी रहा था। न सिर्फ़ उनकी बल्कि हमारी आंखों से भी अविरल अश्रु की धार बह चली!!!
२८. वन्दना ढूंढ रही हैं अर्थ :: इतना मुश्किल है क्या / हँसी का अर्थ ढूंढना / अभी तो सिर्फ एक ही / अर्थ कहा है ढूँढने को / गर रोने के अर्थ
ढूँढने पड़ते / तो शायद सदियाँ / गुजर जातीं
२९. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" की पेशकश
"बाबा नागार्जुन और निशंक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") :: बाबा का सुनाया हुआ यह संस्मरण मैं जब बी याद करता हूँ तो मुझे आभास होता है कि बाबा ने जिसे भी अपना आसीर्वाद दिया वह मुझे ऊँचाइयों की बुलन्दी पर पहुँचा हुआ मिला।
३०. शिक्षामित्र की चिंता
आंगनबाड़ी पर भी महंगाई की मार :: आंगनबाड़ी में बच्चों को पूरक पोषाहार के लिए दिए जाने वाली चार से छह रुपये प्रतिदिन की राशि अब कम पड़ने लगी है और कई राज्यों ने हाथ खड़े करते हुए केंद्र से इस राशि को कम से कम दोगुना करने की मांग की है।
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३१. महेन्द्र मिश्र का मानना है
चाणक्य जैसे लोकसेवी और सृजन शिल्पी की देश को जरुरत है ... :: ऐसे राष्ट्रसेवी गढ़ना होंगें ... जो अतीत का गौरव स्थापित कर सके जिससे देश और समाज उन्नति कर सकें .
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३२. प्रवीण पाण्डेय की प्रस्तुति
चोला माटी के हे रे :: कुछ विषय ऐसे हैं जिनसे हम भागना चाहते हैं, इसलिये नहीं कि उसमें चिंतन की सम्भावना नहीं हैं या वे पूरी तरह व्यर्थ हैं। संभवतः भय इस बात का होता है कि उस पर विचार करने से हमारे उस विश्वास को चोट पहुँचेगी जिस पर हमारा पूरा का पूरा अस्तित्व टिका है।
आज बस इतना ही! अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।