सभी को मेरा अभिवादन … इस तेज दौड़ती दुनियां में गेट सेट गो कहना और रेस शुरू करना बेहतर - ज्यादा गोल-मोल बातों में ना उलझ सीधी चर्चा शुरू करते है - सरस्वती वंदना से माँ शारदा को नमन |
ब्लॉग की दुनियाँ में कदम रखा है तो क्या आपको ब्लॉग फोलोवरों की तलाश है ? एक उल्लेखनीय पोस्ट डॉ. डंडा लखनवीं जी| ═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗सब कुछ नया चाहती हूँअपर्णा मनोज भटनागर जी मौलश्री से ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ ═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗ अख्तर खान अकेला मोम का तेरा बुत ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ ═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗ ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ |
═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗हसरतसंज से अनिलकांत जीदेहरी से आगे का मकान ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ═════════════════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗Sher O Shayariलिंक खोलें तो अपने रिस्क पर क्यूंकि इस लिंक की पूर्ण जानकारी नहीं ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ═════════════════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗अर्पित सुमन से तन्हा हम ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ═════════════════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗एहसासbas yun hi.... से ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ═════════════════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗खुद के सायों का पहरा हैrahul-dilse-2 से ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ ═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗पडोसीशैल सूत्र से आशा शैली जी की एक लघु कथा ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ ═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗ आज कुछ श्रृंगार की बातें करें रास्ते की धुल से तिलक राज कपूर जी ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ ═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗ |
═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗ चोरों से मंदिर की रक्षा करने वाले हिन्दुवों की रक्षा देवता क्यों करें ? छींटें और बौछारें, व्यंग से दिनेश पारीखजी ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ ═════════════ ೋღ☃ღೋ ══════════════╗ | विचारों का चबूतरा से | | ♥ गारंटी दीजिए कहती हैं शिखा कौशिक जी♥ | ╚══════════════ ೋღ☃ღೋ ════════════ |
एक कविता - जोड़ तोड़ मैं जब भी किसी को दरबदर देखतें हैं अब अश्रु नहीं बहाती हूँ | भूली नहीं थी फिर भी बहारों का करवा याद आया| तुमसे ना कोई सुन्दर देखा ऐ बसंत ! प्रकृति के रंग सुनहरे थे | रहने दे रंग लाल -क्या पड़ा है इन बातोंमें उम्मीद के पुष्प तो खिल रहे है क्यूंकि प्यार तो बस प्यार होता है चाहे बाहर छाया हुवा अँधेरा है | जुड़े नहीं फिर भी जोड़ दिए | काश कुछ ज्यादा समय होता और दिन नहीं होता मात्र २४ घंटे का तो कुछ और बात होती | |
अच्छा अब विदा लेती हूँ | हां जाते जाते - मै अपनी एक पोस्ट को पढ़ने के लिए कहूँगी क्यूंकि वह कहानी मुझे बहुत पसंद आई ..और शिक्षाप्रद भी है लड़का और सेब का पेड़ जरूर पढ़ें | जाती हूँ …. बाय …..शाम को फिर आउंगी | डॉ नूतन डिमरी गैरोला "नीति " |
अच्छी चर्चा,आभार.
जवाब देंहटाएंsarthak charcha -upyogi links .mere aalekh ''garantee dijiye' ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanywad .
जवाब देंहटाएंgo set go jaise hi aapka padha ki aankhen aur hath dono chalne lage.are bhai padhne aur un par comment likhne me.bahut sarthak charcha .mere aalekh ''maa to maa hai '' ko sthan dene ke liye dhanyawad.
जवाब देंहटाएंगेट सेट गो में तो आपने बहुत अच्छे लिंकों का समावेश किया है!
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुन्दर लिंक्स .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा,आभार|
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स... अच्छी चर्चा....आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिँको से सजाया है आपने चर्चा मँच नूतन जी । आभार !
जवाब देंहटाएं"देखे थे जो मैँने ख़्वाब.............गजल "
सुन्दर लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा………मेरी 2 पोस्टो को लेने के लिये आभार्।
जवाब देंहटाएंनूतन जी, यह डिजायनर चर्चा बढिया लगी। बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
नूतन जी बहुत ही खुबसुरत चर्चा आज की...............
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा ..सुभानल्लाह ....
जवाब देंहटाएंरोचक चर्चा !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, कुछ नए भावों, विचारों में डूबने का अवसर मिला।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है आभार.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक दिए आपने...
जवाब देंहटाएंसार्थक सुन्दर चर्चा ...
आभार..
सुंदर और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा………सार्थक सुन्दर चर्चा ..
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा .........मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही मेहनत से की गई एक लाजवाब चर्चा, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार.
मित्रों !! कल मैं यह साईट नहीं खोल पायी थी ........शायद सर्वर से गडबडी थी....और यहाँ आप लोग के विचारों को टिपण्णी रूप में नहीं देख पायी थी ....
जवाब देंहटाएंआज ही यह साईट खुली तो आपकी टिप्पणिय मिलीं... आप सभी का आभार ... आपने मेरे प्रयास को सराहा ... आप सभी को शुभदिवस
और हां ! कई बार मै ब्लॉग में जा कर सूचित नहीं कर पाती..
जवाब देंहटाएंइसके तीन कारण
नेट बहुत स्लो चलता है - ब्रोडबेंड काम नहीं करता ..सर्फिंग नहीं कर पाती ..पेज नहीं खुलते
अत्यधिक व्यवस्तता - समयाभाव -- अतः २ बजे सोना ५ बजे उठना होता है ..
कल चर्चामंच की साईट बंद थी ..हमारे यहाँ ...
अतः सूचित ना किये जाने के लिए मै क्षमाप्राथी हूँ ...आप सभी की आभारी...
der se aane ke liye kshamapraarthi hoon......
जवाब देंहटाएंkuchh busy rahne ke baad charchamanch par der se aai, lekin aane ke baad der se aane ka afsos hua...itne din achhi rachnaon se vanchit rahi...mujhe yaad karne aur yaad rakhne ke liye aabhaar.....